UP News: ‘महाशिवरात्रि को नहीं हुआ था शिव-पार्वती का विवाह’, मथुरा के आचार्य मृदुलकांत ने बताई असली तिथि – INA
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महाशिवरात्रि को लेकर बीते कुछ वर्षों से भ्रम की स्थिति बनी हुई है. खासतौर पर सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा है कि भगवान शिव और माता पार्वती का विवाद महाशिवरात्रि को हुआ. चूंकि 26 यानी बुधवार को ही महाशिवरात्रि है, इसलिए एक बार फिर से यह चर्चा तेजी से होने लगी है. मथुरा के प्रसिद्ध कथा वाचक आचार्य मृदुलकांत शास्त्री ने इस भ्रम का निराकरण करने की कोशिश की है. उन्होंने सनातन धर्म को मानने वालों से आग्रह किया कि इस तिथि पर भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह ना करें. बल्कि इस तिथि पर शिवलिंग के प्रकटोत्सव मनाए.
आचार्य मृदुलकांत शास्त्री के मुताबिक देवाधिदेव भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह की तिथि महाशिवरात्रि है ही नहीं. उन्होंने शिव पुराण के 35वें अध्याय में रूद्र संहिता के हवाले से बताया कि भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह मार्गशीर्ष महीने में कृष्ण पक्ष की द्वितीया को हुआ था. उन्होंने कहा कि बीते कुछ वर्षों से एक गलत परंपरा शुरू हो गई है. इसमें महाशिवरात्रि को ही भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह की तारीख बताया जा रहा है. यही वजह है कि बीते कुछ समय से महाशिवरात्रि के अवसर पर शिव बारात निकाली जाने लगी है. जगह जगह शिव पार्वती के विवाह का उत्सव मनाया जाता है.
पुराणों से दिए प्रमाण
उन्होंने आरोप लगाया कि यह सनातन धर्म के मानने वालों को भटकाने का प्रयास है. आचार्य मृदुलकांत शास्त्री ने अपनी बात को प्रमाणित करने के लिए शिव महापुराण, श्री लिंग पुराण, श्री स्कंद पुराण आदि का प्रमाण दिया और दावा किया कि मार्गशीर्ष के महीने में कृष्णपक्ष की द्वितीया तिथि और दिन सोमवार को ही भगवान शिव का विवाह हुआ. उन्होंने कहा कि मार्गशीर्ष महीने में ही ब्रह्मा और विष्णु का युद्ध हुआ, तब भगवान शंकर उस युद्ध को रोकने के लिए विशाल अग्नि स्तंभ के रूप में प्रकट हुए थे.
शंकराचार्यों से मुहिम में सहयोग का आग्रह
इस अग्नि स्तंभ का आदि और अंत न ब्रह्मा ने पाया ना भगवान नारायण ने. इसी प्रसंग में झूठ बोलने पर भगवान शंकर ने ब्रह्मा जी का पांचवा सर धड़ से अलग कर दिया. इसी के साथ भैरवनाथ को प्रकट किया. उस समय भगवान शंकर ने अपने अग्निस्तंभ के आकार को छोटा करके शिवलिंग के रूप में बदल दिया था. उन्होंने कहा कि शिवलिंग के प्रकट होने की तिथि को ही महाशिवरात्रि कहा गया है.
खुद भगवान शंकर ने भी कहा है कि समस्त तिथियों में यह शिवरात्रि उनके लिए पवित्र और प्रिय है. उन्होंने कहा कि यह बड़े आश्चर्य की बात है कि सनातन विरोधी महाशिवरात्रि को शिव विवाह की तिथि बताकर प्रचारित कर रहे हैं और कोई भी इन्हें रोकने की कोशिश नहीं कर रा. आचार्य मृदुलकांत शास्त्री ने सभी जगतगुरु शंकराचार्य एवं वैष्णव आचार्य तथा सनातनियों से इस मुहिम में साथ देने का आग्रह किया है.
‘महाशिवरात्रि को नहीं हुआ था शिव-पार्वती का विवाह’, मथुरा के आचार्य मृदुलकांत ने बताई असली तिथि
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