UP News: महाकुंभ: अखाड़ों के सिंगर हैं ये संत, ‘जंगम साधु’ नाम से फेमस; गाने के नाम पर नहीं लेते एक भी रुपए का दान – INA

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में संगम तट पर लगे आस्था के महाकुंभ में भक्ति, ज्ञान और कर्म की अद्भुत त्रिवेणी प्रवाहित हो रही है. त्रिवेणी की एक धारा है अखाड़ों के ऐसे सिंगर साधु, जो लोगों के मनोरंजन के लिए नहीं बल्कि अपने अखाड़े की गाथा का चौबीस घंटे घूम-घूम कर गान करते हैं. इस तरह घूम-घूमकर क अखाड़े का गान करने वाले साधुओं को जंगम साधु नाम दिया गया है.

महाकुंभ में रंग-बिरंगी पोशाक पहने, हाथ में ढपली लिए गीत गाते कई जत्थे आपको दिख जायेंगे. ये जत्थे बिना रुके गीत गाते रहते हैं. लेकिन इनका मकसद किसी का मनोरंजन करना नहीं है. ये साधु भगवान शिव और उनके उपासक श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े की गाथा के गीत निरंतर गाते रहते हैं. न तो इन्हें प्रवचन करना आता है और न ही अखाड़ों के युद्ध कौशल से इनका कोई सरोकार है. ये तो बस सुर साधक हैं, जो अपने इष्ट और अखाड़े की महिमा का गान करते हैं. ऐसे में इन्हें अखाड़ों के सिंगर कहा जाता है.

ऐसे हुई जंगम साधु की उत्पत्ति

इन जंगम साधुओं की उत्पति भी काफी दिलचस्प है. विजेंद्र जंगम ने कहा कि धार्मिक मान्यता है की भगवान शिव और पार्वती की शादी के बाद, जब भगवान शिव ने भगवान विष्णु और ब्रम्हा को दान देना चाहा तो उन्होंने दान लेने से मना कर दिया. जिससे नाराज होकर भगवान शिव ने अपनी जंघा को क्रोध में पीटकर साधुओं के एक संप्रदाय को पैदा किया. जिसका नाम जंगम साधु दिया गया, अर्थात जांघ से जन्मा साधु. इसी वजह से जंगम साधु आज भी सन्यासी अखाड़ों के पास जाकर शिव की कथा सुनाते है और उनसे मिले दान से अपनी जीविका चलाते हैं. वहीं वैष्णव अखाड़ों में इनका प्रवेश नहीं होता.

ऐसा होता है जंगम साधु का श्रृंगार

मोरपंखों और भोले भंडारी का खास श्रंगार किए ये जंगम साधु, अखाड़ों की शोभा में चार चांद लगा रहे हैं. भगवान शंकर के अभिशाप के बाद खुद शिव द्वारा उत्पन्न किये गए जंगम साधु ग्रहस्थ होते हैं. ये साधु संन्यासी नहीं होते हैं. सर पर भगवान शिव का नाम और कानों में पार्वती के कुंडल. बिंदी और मोर पंख के श्रंगार से सजे शिव जी के नाम की अलख जगा रहे, इन शिव भक्तों को शिव जंगम भी कहा जाता है. इनके और अखाड़ो के बीच अगर एक समानता है तो वो ये है कि दोनों शिव के उपासक हैं. दोनों में ये फर्क है कि यह जंगम शिव भक्त अखाड़ों को शिव जी की कथा सुनाते हैं. अखाड़ों की तरह उपासना पद्यति को नहीं अपनाते हैं. इसलिए ये भगवा वस्त्र न पहनकर बहु रंगी वस्त्र पहनते हैं.

महाकुंभ: अखाड़ों के सिंगर हैं ये संत, ‘जंगम साधु’ नाम से फेमस; गाने के नाम पर नहीं लेते एक भी रुपए का दान





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