UP News: UP: 3 मंदिर, तीनों की कहानी गजब, गोरखपुर में यहां मनाइए नया साल – INA
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में नए साल को लेकर उत्साह है. सभी लोग नए साल के स्वागत के लिए तैयार हैं. ऐसे में नया साल बेहतर गुजरे इसके लिए प्रभु के आशीर्वाद के लिए लोग तैयारी कर रखे हैं. शहर के गोरखनाथ मंदिर, गीता वाटिका, बुढ़िया माई, तरकुलहा देवी समेत तमाम स्थानीय मंदिरों पर आस्थावानों का सैलाब उमड़ेगा और अपने आराध्य का दर्शन पूजन कर नए साल को मंगलमय करने की कामना की जाएगी.
गोरखनाथ मंदिर न केवल प्रदेश के वर्ण अन्य प्रांतों व नेपाल तक के आस्थावानों का प्रमुख केंद्र है. यहां पर भी मकर संक्रांति मेले की तैयारी भी शुरू हो गई है. एक माह तक चलने वाला मेला भी सज रहा है. बाबा गोरखनाथ को भगवान शिव का अवतार माना जाता है. लोगों की आस्था यहां सिर चढ़कर बोलती है. मंदिर सूत्रों के अनुसार, यहां सुरक्षा के लिए प्रशासनिक व्यवस्था काफी चुस्त है. हर प्रवेश द्वार पर मेटल डिटेक्टर लगा हुआ है. लोगों को केवल मुख्य द्वार से ही प्रवेश दिया जाएगा. लोग कतारबद्ध होकर अपने आराध्य का दर्शन कर अपने जीवन में खुशहाली लाने की कामना करेंगें.
गीता वाटिका
शहर के शाहपुर मोहल्ले में स्थित गीता वाटिका के प्रति लोगों की अगाध आस्था है. मंदिर के व्यवस्थापक रसेंदु फोगला बताते हैं कि 1945 में संत भाईजी हनुमान प्रसाद पोद्दार ने इस मंदिर की स्थापना करवाई थी. यहां पर कुल 16 गर्भ गृह और 35 शिखर है. सबसे प्रमुख शिखर की ऊंचाई 85 फिट है. यहां पर हिंदुओं के पूजे जाने वाले लगभग सभी प्रमुख विग्रहों की स्थापना की गई है. इसमें राधा कृष्ण के अलावा हनुमान जी, माता दुर्गा जी, गणेश जी समेत तमाम देवताओं की मूर्तियां स्थापित है. यही नहीं यहां पर 1968 लगातार हरिनाम संकीर्तन चल रहा है. यहां नए साल में आस्थावानों की भीड़ उमड़ेगी और लोग प्रभु का दर्शन कर अलौकिक आनंद की अनुभूति करेंगे.
इसके अलावा बुढ़िया माई मंदिर जिला मुख्यालय से करीब 10 किलोमीटर की दूरी पर कुसम्ही जंगल में स्थित है. यहां पर बुढ़िया माई का दो मंदिर है. दोनों मंदिरों के बीच में एक नाला बहता है. स्थानीय लोग बताते हैं कि काफी समय पहले उस नाले पर बने पुल से एक बारात जा रही थी. उसी समय एक बुढ़िया सफेद वस्त्रधारी वहां प्रकट हुई और उन्होंने बारातियों से कहा कि मुझे नृत्य करके दिखाइए, लेकिन किसी ने उनकी बात को सुना नहीं और मजाक उड़ाते हुए सभी लोग चले गए. बारात का एक जोकर वृद्धा को अपना करतब दिखाते हुए मनोरंजन किया.
बुढ़िया ने उससे कहा कि उधर से आते समय तुम बारात के साथ मत आना. यहां पर कोई घटना घटेगी, जब बाराती तीसरे वापस आये और पुल पर पहुंचे वह टूट गया. बारात के लोग नाले में डूब कर मर गए. बरात के साथ न आने वाले जोकर बच गया. उसके बाद उस बुढ़िया ने वहां के निषाद परिवार को सपने में दर्शन दिया और कहा कि मैं बुढ़िया माई हूं. यहां पर मेरा दोनों तरफ मंदिर स्थापित किया जाए, जब भी लोग इधर से जाएं तो मेरा दर्शन करेंगे तो उनका मंगल होगा. तभी से यहां आस्थावानों का सैलाब उमड़ता है. मंदिर के पुजारी रामानंद ने बताया कि यहां पर नए साल पर दर्शकों की भीड़ बढ़ती है. उसके लिए पूरी व्यवस्था की गई है. लोग मां का दर्शन ठीक से करें, इसकी पूरी व्यवस्था कर ली गई है.
तरकुलहा देवी मंदिर
तरकुलहा देवी मंदिर जिला मुख्यालय से करीब 22 किलोमीटर दूर है. बताते हैं कि आजादी की लड़ाई में अमर शहीद बंधू सिंह यहीं से अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह का बिगुल बजाए हुए थे. उस समय यह पूरा क्षेत्र पूरा घना जंगल था. वह यहीं पर रहते थे और अंग्रेजों का सिर काटकर मां के चरणों में चढ़ाते थे. अंग्रेजों ने जब उन्हें पकड़ा और फांसी देने की कोशिश की तो छह बार उनका फंदा टूट गया, लेकिन सातवे बार उन्होंने माता से आराधना करते हुए कहा कि मां मुझे अपनी शरण में ले लो तो उसके बाद अंग्रेजों को उनको फांसी देने में सफलता मिली.
स्थानीय लोग बताते हैं कि बंधू सिंह जहां पिंडी बनाकर मां की पूजा करते थे वहां एक तरकुल का पेड़ था. बंधू के फांसी पर लटकते ही वह तरकुल का पेड़ टूट गया और उसकी जड़ों से रक्त निकलने लगा. तभी से वहां पर मां की पूजा अर्चना शुरू हुई और अनवरत चल रही है. नए साल में बड़ी संख्या में आस्थावांबवहां पहुंचकर मां का कृपा पाने की कोशिश करेंगे. इसके अलावा मुक्तेश्वरनाथ, झारखंडी स्थित महादेव मंदिर, भदेश्वरनाथ, काली मंदिर, दुर्गावाणी समेत तमाम मंदिरों पर आस्थावानों का सैलाब नए साल पर उमड़ेगा.
UP: 3 मंदिर, तीनों की कहानी गजब, गोरखपुर में यहां मनाइए नया साल
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