UP News: मथुरा के नाम के पीछे क्या है इतिहास? जानें पूरी कहानी – INA

उत्तर प्रदेश का मथुरा भगवान कृष्ण की जन्मस्थली के रूप में प्रसिद्ध है. मथुरा का इतिहास रामायण और कृष्ण के समय से जुड़ा हुआ है. यहां कई प्राचीन और पवित्र हिंदू तीर्थ स्थल है. उत्तरकाण्ड (रामायण) के अनुसार, त्रेतायुग में मधु नामक एक राक्षस राजा ने इसे स्थापित किया था.
मधु ने भगवान शिव की पूजा करके उन्हें प्रसन्न किया था. शिव ने मधु को एक शक्तिशाली त्रिशूल वरदान में दिया. मधु के पुत्र लवणासुर ने इसी त्रिशूल का प्रयोग कर लोगों पर अत्याचार शुरू कर दिए. श्री राम के भाई शत्रुघ्न ने लवणासुर का वध किया. फिर मधु ने मधुवन में मधुरा नामक नगर की स्थापना की, जो बाद में मथुरा के नाम से जाना गया.
मथुरा भारत के सात पवित्र शहरों में से एक है, जिसे “सप्त पुरियों” के नाम से जाना जाता है. मथुरा का विशेष धार्मिक महत्व है. क्योंकि यह भगवान कृष्ण की जन्मस्थली है. मथुरा शहर के इतिहास में गुप्त युग, कुषाण युग और अन्य ऐतिहासिक घटनाएं शामिल हैं, जो शहर की सांस्कृतिक समृद्धि और विरासत को प्रदर्शित करती हैं.
कुषाण काल में मथुरा की कला और संस्कृति अपने उच्चतम शिखर पर पहुंच गयी. मथुरा की कलात्मक परम्परा की सबसे प्रसिद्ध और प्रभावशाली शैली ‘मथुरा शैली’ के नाम से जानी जाती है. सम्राट कनिष्क, हुविष्क और वासुदेव के शासनकाल के दौरान यहां के कला केंद्र (कलाशालाएं) अत्यधिक उन्नत और सक्रिय हो गए, जिसके परिणामस्वरूप इस अवधि को मथुरा कला के लिए स्वर्ण युग माना जाता है.
गुप्त युग को भारत का “सांस्कृतिक स्वर्ण युग” माना जाता है. मथुरा इसमें बहुत महत्वपूर्ण केन्द्र रहा है. गुप्त शासकों के समय में मथुरा में सुन्दर दूरदर्शी मंदिर और मूर्तियां निर्मित की गईं, जिनमें विनम्रता, सम्मान और आध्यात्मिकता को अभिव्यक्त करने वाली कला स्पष्ट दिखाई देती है. मथुरा न केवल हिंदू धर्म में बल्कि बौद्ध धर्म के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रहा है. तीसरी शताब्दी से 5वीं शताब्दी ईसा पूर्व तक मथुरा बौद्ध गतिविधियों का एक महत्वपूर्ण केंद्र था.
शाहजहां ने मथुरा के कुछ मंदिरों को नष्ट कर दिया. क्योंकि उसका मुख्य उद्देश्य मुगल शैली में नई मस्जिदें बनवाना था. कुछ ऐतिहासिक स्रोतों के अनुसार, ईदगाह मस्जिद कृष्ण जन्मभूमि के पास स्थित मंदिरों को तोड़कर बनाई गई थी.
औरंगजेब के शासनकाल में धार्मिक असहिष्णुता बढ़ गयी. 1669 ई. में औरंगजेब ने देश में कई स्थानों पर हिंदू मंदिरों को ध्वस्त करने का आदेश दिया. इसमें काशी, मथुरा और सोमनाथ जैसे स्थान शामिल हैं. मथुरा का श्री केशवदेव मंदिर, जिसे कृष्ण जन्मस्थान के रूप में जाना जाता था, को ध्वस्त कर दिया गया और उसके स्थान पर “शाही ईदगाह मस्जिद” का निर्माण किया गया.
हालांकि, कोई भी शासक मथुरा की धार्मिक भावना को दबा नहीं सका, मंदिरों का पुनर्निर्माण समय-समय पर स्थानीय शासकों, भक्तों और ब्रिटिश काल के दौरान हिंदू समुदाय द्वारा किया गया. मथुरा आज भारत के सबसे पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक है. श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर, द्वारकाधीश मंदिर और यमुना नदी के तट पर स्थित घाट इसे आध्यात्मिक आस्था का केंद्र बनाते हैं.
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