UP News: ‘दूसरों को मारना कौन सा धर्म…’ पहलगाम हमले को लेकर प्रेमानंद महाराज ने कही ये बात – INA

पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले की संत प्रेमानंद महाराज ने कड़ी निंदा की है. उन्होंने अपने सोशल मीडिया पर जारी वीडियो में कहा कि किसी भी धर्म में हिंसा और आतंकवाद को जगह नहीं है. उन्होंने आतंकवादियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग करते हुए कहा कि ऐसे लोगों को दंडित किया जाना चाहिए जो हिंसा और आतंकवाद का सहारा लेते हैं. महाराज ने इस घटना को अधर्म करार देते हुए कहा कि देश और विश्व शांति के लिए इन अधर्मियों पर शासन करना आवश्यक है.
प्रेमानंद महाराज ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर ‘भजन मार्ग’ से एक वीडियो जारी किया है, जिसमें उन्होंने पहलगाम पर हुए आतंकवादी हमले को लेकर कड़े शब्दों में निंदा की है.उन्होंने कहा है कि ऐसा कोई धर्म नहीं है, जो दूसरे के धर्म को नुकसान पहुंचाए और ना ही ऐसा किसी धर्म में लिखा है. यह तो सरासर अधर्म हुआ.
यह कौन सा धर्म है?
प्रेमानंद महाराज ने कहा कि ऐसा कोई धर्म नहीं है, जिसमें दूसरों के धर्म के प्रति लोगों को कष्ट दिया जाए या उनको मार दिया जाए. उन्होंने कहा कि यदि कैंसर होता है तो उसको काटकर अलग कर दिया जाता है.उन्होंने कहा कि दूसरों को परेशान करना, उनको मारना, यह कौन सा धर्म है? ऐसे लोग जो मनमाने रवैये को अपने धर्म का नाम देते हैं, ऐसे लोगों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए.
‘राक्षसी स्वभाव कोई धर्म नहीं हो सकता’
संत प्रेमानंद ने कहा कि ऐसे लोग जो दूसरों को मार देते हैं, जो गंदे स्वभाव दूसरों की हत्या करते हैं और दूसरों को परेशान करते हैं, ऐसे लोग राक्षसों के स्वभाव के होते हैं. इस प्रकार का राक्षसी स्वभाव कोई धर्म नहीं हो सकता, बल्कि इनको शासन में लेना ही धर्म होता है और दंड देना ही धर्म है. उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों की हिंसा नहीं रोकी गई तो वह न जाने कितने लाखों व्यक्तियों को मार देंगे. देश, प्रजा और विश्व शांति के लिए ऐसे अधर्मियों पर शासन करना होगा. प्रेमानंद महाराज ने कहा कि ऐसे अधर्मियों को शासन ही काबू कर सकता है.
‘दूसरों को मारना कौन सा धर्म…’ पहलगाम हमले को लेकर प्रेमानंद महाराज ने कही ये बात
देश दुनियां की खबरें पाने के लिए ग्रुप से जुड़ें,
#INA #INA_NEWS #INANEWSAGENCY
Copyright Disclaimer :-Under Section 107 of the Copyright Act 1976, allowance is made for “fair use” for purposes such as criticism, comment, news reporting, teaching, scholarship, and research. Fair use is a use permitted by copyright statute that might otherwise be infringing., educational or personal use tips the balance in favor of fair use.
Credit By :-This post was first published on https://www.tv9hindi.com/, we have published it via RSS feed courtesy of Source link,