वैशाली जिलाधिकारी ने हरित महाकुंभ का पोस्टर किया लॉन्च: एक स्वच्छता की नई पहल
संवाददाता-राजेन्द्र कुमार।
वैशाली /हाजीपुर। इस वर्ष का हरित महाकुंभ आने वाले 2025 में वैशाली में आयोजित होने जा रहा है, जिसमें न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक पहलुओं को ध्यान में रखा गया है, बल्कि इसे पर्यावरण के अनुकूल बनाने की दिशा में भी ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। आज, वैशाली के जिलाधिकारी श्री यशपाल मीणा ने नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा प्रोजेक्ट और हरित महाकुंभ का पोस्टर लॉन्च करते हुए इस पहल का उद्घाटन किया। इस अवसर पर राष्ट्रीय पर्यावरण शिक्षा अकादमिक नेटवर्क की प्रोजेक्ट ऑफिसर हनी कुमारी भी उपस्थित रहीं।
जिलाधिकारी श्री मीणा ने अपने संबोधन में कहा कि महाकुंभ 2025 को स्वच्छ और पर्यावरण के अनुकूल बनाना वैशाली प्रशासन की प्राथमिकता है। यह एक अवसर है जब हम अपनी सांस्कृतिक धरोहर को संगठित कर सकते हैं तथा स्वच्छता का संदेश फैलाने का कार्य कर सकते हैं। जिलाधिकारी द्वारा नगर परिषद को कार्यभार सौंपा गया है, जिससे वह इस महाकुंभ के आयोजन में कुशलता से मदद कर सकें।
हरित महाकुंभ का उद्देश्य गंगा और सहायक नदियों के स्वच्छता को सुनिश्चित करना है। इसके तहत ‘एक थाली, एक थैला, एक लोटा’ अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान में सभी श्रद्धालुओं को प्लास्टिक के उपयोग से बचने तथा इसके प्राकृतिक विकल्पों का उपयोग करने की सलाह दी गई है। यह एक दीर्घकालिक समाधान है जो हमें पर्यावरण के प्रति संवेदनशील बनाता है।
वैशाली प्रशासन ने ‘हरित कुंभ’ बनाने का संकल्प लिया है। जिलाधिकारी ने सभी विद्यालयों और महाविद्यालयों को इस कार्यक्रम के संबंध में जागरूकता अभियान, सेमिनार, और वर्कशॉप आयोजित करने का निर्देश दिया है, ताकि महाकुंभ 2025 केवल धार्मिक दृष्टिकोण से नहीं, बल्कि स्वच्छता की दृष्टि से भी एक प्रेरक बन सके।
इस पहल की एक महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि इसे केवल स्थानीय स्तर पर नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी प्रोत्साहित किया जा रहा है। सांस्कृतिक फाउंडेशन, नई दिल्ली और राष्ट्रीय पर्यावरण शिक्षा अकादमिक नेटवर्क के सहयोग से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि महाकुंभ का आयोजन न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक और पर्यावरणीय तौर पर भी अभूतपूर्व हो।
महाकुंभ 2025 का आयोजन वैश्विक स्तर पर स्वच्छता के स्थायी समाधानों का एक प्रेरक संदेश पहुंचाने का कार्य करेगा। इस आयोजन के जरिए वैशाली शहर न केवल अपनी धार्मिक महत्वता के लिए जाना जाएगा, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में अपनी भूमिका के लिए भी पहचाना जाएगा।
स्वच्छता और पर्यावरण का यह संकल्प एक नया आसमान देगा, जिसमें हम सभी को एकजुट होकर काम करने का अवसर मिलेगा। आने वाले दिनों में अगर गंगा और सहायक नदियों की स्वच्छता सुनिश्चित होती है, तो यह हमारी जिम्मेदारी बनती है कि हम इसके प्रति सजग रहें और उसे बनाए रखें।
इस प्रकार, हरित महाकुंभ का आयोजन सिर्फ एक धार्मिक कार्यक्रम नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा अध्ययन और अनुभव है, जो हमें हमारी संस्कृतिक धरोहर, स्वच्छता, और पर्यावरण की सुरक्षा के प्रति सजग करेगा। हम सभी को इसमें पूर्ण सहयोग करना चाहिए, ताकि हम न केवल अपने धर्म से बल्कि अपने पर्यावरण के प्रति भी अपनी जिम्मेदारी निभा सकें।
सम्पूर्ण रूप से, यह पहल निश्चित रूप से एक सकारात्मक ऊर्जा फैलाएगी और स्वच्छता के महत्व को समाज में जागरूक करेगी। यही हमारी जिम्मेदारी है, और यही हमारा संकल्प।]