आल इंडिया लायर्स एसोसिएशन फॉर जस्टिस (आइलाज) के दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन में अधिवक्ताओं के हित में उठेंगे विभिन्न मुद्दे: प्रभु सिंह अधिवक्ता

आल इंडिया लायर्स एसोसिएशन फॉर जस्टिस (आइलाज) का राष्ट्रीय सम्मेलन: अधिवक्ताओं के संकट और उनके हितों की रक्षा का एक प्रयास

दुद्धी: आल इंडिया लायर्स एसोसिएशन फॉर जस्टिस (आइलाज) का दूसरा दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन 21 और 22 दिसम्बर को उड़ीसा के कटक में आयोजित होने जा रहा है। इस सम्मेलन में देशभर के विभिन्न प्रदेशों से अधिवक्ताओं का डेलीगेशन हिस्सा लेने के लिए पहुंच रहा है। सम्मेलन का उद्देश्य अधिवक्ताओं की समस्याओं और उनके हितों की आवाज उठाना है, जो वर्तमान समय में गंभीर संकट में है।

इस कार्यक्रम को लेकर आइलाज के उत्तर प्रदेश के सह संयोजक अधिवक्ता प्रभु सिंह कुशवाहा ने मंगलवार को सिविल बार सभागार में एक प्रेस वार्ता आयोजित की। इस दौरान उन्होंने वर्तमान में अधिवक्ताओं की स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि देशभर में अधिवक्ता बिरादरी पीड़ित है। उन्होंने बताया कि हाल के दिनों में सुप्रीम कोर्ट और यूपी हाईकोर्ट ने वकीलों द्वारा विभिन्न मुद्दों पर की जा रही हड़ताल को आपराधिक श्रेणी में डालते हुए इसे न्यायालय के आदेशों का अवमानना मान लिया है, जो अधिवक्ताओं के लिए एक बड़ी समस्या है।

अधिवक्ता को लोकतंत्र और संविधान का प्रहरी माना जाता है। समय-समय पर उनकी भूमिका लोकतंत्र की रक्षा, जनाधिकारों की सुरक्षा, और न्यायपालिका की स्वतंत्रता को बनाए रखने में महत्वपूर्ण रही है। लेकिन जब बार एसोसिएशन की गतिविधियों को न्यायालय के अवमानना के दायरे में लाया जाता है, तो यह लोकतंत्र के लिए एक गंभीर खतरा उत्पन्न करता है।आल इंडिया लायर्स एसोसिएशन फॉर जस्टिस (आइलाज) के दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन

वर्तमान समय में अधिवक्ताओं के लिए कल्याणार्थ वित्तीय सहायता भी दी जा रही है। उत्तर प्रदेश सरकार 5 लाख, दिल्ली सरकार 10 लाख, और राजस्थान सरकार 14 लाख रुपये की सहायता प्रदान कर रही है। सम्मेलन के दौरान इस बात की मांग की जाएगी कि यूपी के अधिवक्ताओं के लिए भी यह राशि 14 लाख रुपये की जाए।

अधिवक्ता कुशवाहा ने उल्लेख किया कि हाल के वर्षों में अधिवक्ताओं पर हमले बढ़े हैं। जब एक अधिवक्ता न्यायपालिका में किसी पक्ष का प्रतिनिधित्व करता है, तो उसे अक्सर विरोधी पक्ष द्वारा दुश्मन मान लिया जाता है। अधिवक्ता का मुख्य उद्देश्य कानून का राज और न्यायपालिका की स्वतंत्रता स्थापित करना है, लेकिन आज दोनों ही चीजें संकट में हैं। आंकड़ों के अनुसार, देश में प्रति वर्ष 400 अधिवक्ताओं की हत्या होती है, जो एक गंभीर समस्या है। जस्टिस लोया से लेकर धनबाद के जिला जज तक की हत्याएं इस संकट का उदाहरण हैं। अधिवक्ताओं और न्यायाधीशों पर हो रहे हमलों से न्यायपालिका की स्वतंत्रता और कानून के राज की स्थापना में बाधाएं उत्पन्न हो रही हैं।

इस सम्मेलन में इन समस्याओं को उठाने के लिए विस्तृत चर्चा की जाएगी। अधिवक्ता कुशवाहा ने कहा कि यह स्थिति केवल अधिवक्ताओं के लिए ही नहीं, बल्कि समूचे न्यायपालिका और लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरा है। उन्होंने दावा किया कि इस सम्मेलन में देशभर के विभिन्न प्रदेशों और जिलों से डेलीगेट हिस्सा लेने जा रहे हैं, जिन्होंने अपने-अपने अनुभव और समस्याएं साझा करने की तैयारी की है।

सम्मेलन का मुख्य आकर्षण सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज एके पटनायक और मद्रास हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस चंद्रु का उपस्थित रहना होगा। इन प्रमुख व्यक्तित्वों के साथ अधिवक्ताओं के मुद्दों, उनके अधिकारों और लोकतंत्र की रक्षा पर खुलकर चर्चा की जाएगी। यह सम्मेलन अधिवक्ताओं के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है, जहां वे अपनी समस्याओं को देश के उच्च न्यायिक संस्थानों के समक्ष रख सकेंगे और उनके समाधान की दिशा में ठोस कदम उठाने की कोशिश कर सकेंगे।

इस प्रकार, आल इंडिया लायर्स एसोसिएशन फॉर जस्टिस का यह राष्ट्रीय सम्मेलन न केवल अधिवक्ताओं के लिए एक मंच प्रदान करेगा, बल्कि लोकतंत्र की मजबूती और न्यायपालिका की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए भी एक महत्वपूर्ण पहल होगी। अधिवक्ता बिरादरी की समस्याओं को पहचानने और हल करने का यह प्रयास निश्चित रूप से न्याय के मार्ग को प्रशस्त करेगा।

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