यूपी- मोनू उर्फ राजू का आखिर क्या है सच, किडनैप की कहानी और बीमारी के जाल में उलझी 3 राज्यों की पुलिस? – INA
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से सटे गाजियाबाद की पुलिस एक युवक को लेकर घन चक्कर बन गई है. गाजियाबाद की ही पुलिस क्यों, उत्तराखंड में देहरादून और राजस्थान में जैसलमेर की पुलिस भी हैरान और परेशान है. दरअसल, इस युवक का दावा है कि गाजियाबाद का रहने वाला राजू है और 8 साल की उम्र में 31 साल पहले उसे गाजियाबाद के शहीदनगर से अपहरण हुआ था. अपहर्ताओं ने उसे जैसलमेर के मकान में रखा और अब वह एक ट्रक चालक की मदद से छूटकर भाग निकला है.
इससे पहले यही युवक जुलाई महीने में उत्तराखंड के देहरादून स्थित पुलिस की एन्टी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट (AHTU) के पास पहुंच गया था. वहां उसने इसी तरह की कहानी बताई थी. उसने पुलिस को अपना नाम मोनू शर्मा बताया था. कहा था कि 31 साल पहले पहले उसका अपहरण हुआ था. इसके बाद देहरादून पुलिस ने बड़ी मुश्किल से उसके परिवार की तलाश कराई और एक आशा शर्मा नाम की महिला उसे अपना बेटा बताते हुए घर ले गई. इसी बीच 21 नवंबर को मोनू शर्मा दिल्ली जाने की बात कहकर देहरादून से निकला और गाजियाबाद पहुंच गया.
31 साल पहले अपहरण की कहानी
यहां वह अपना नाम राजू बताते हुए एक घर पहुंच गया. इस परिवार के एक बेटे का अपहरण 31 साल पहले हुआ था. ऐसे में परिवार ने उसकी पहचान कर ली. दो चार दिन इस परिवार के साथ रहते हुस जब राजू सामान्य स्थिति में आ गया तो पुलिस ने उससे पूछताछ शुरू की. इस दौरान उसने बताया कि उसे स्कूल से लौटते समय अपहरण किया गया था और जैसलमेर के एक मकान में रखा गया था. जहां से वह छूटकर भाग निकला है.
देहरादून में भी आया था इसी तरह का मामला
पुलिस ने राजू की कहानी का सत्यापन करना शुरू किया तो पता चला कि यह राजू चार महीने पहले मोनू शर्मा बनकर देहरादून पहुंचा था. वहां भी इसी तरह की कहानी बताई थी. अब मामले की जांच गाजियाबाद के साथ देहरादून पुलिस ने भी शुरू कर दी. इसके बाद इन दोनों राज्यों की पुलिस ने जैसलमेर पुलिस से संपर्क किया. लेकिन वहां से अब तक कुछ खास नहीं मिला है. ऐसे में दोनों राज्यों की पुलिस हैरान और परेशान है कि आखिर जो युवक इस समय पुलिस की हिरासत में है, वो राजू है कि मोनू या फिर भीम सिंह है.
गाजियाबाद में अपहरण की कहानी
राजू उर्फ मोनू गाजियाबाद के जिस घर में पहुंचा है, वहां परिजनों ने बताया कि 31 साल पहले उनका बेटा राजू अपनी छोटी बहन के साथ स्कूल से घर लौट रहा था. इसी दौरान शहीद नगर में उसे अगवा कर लिया गया. बहन ने घर लौट कर इसकी सूचना परिजनों को दी तो साहिबाबाद थाने में राजू के अपहरण की रिपोर्ट लिखाई गई. हालांकि अब तक पुलिस उस राजू की तलाश नहीं कर पायी है. अब राजू अपने आप घर घर पहुंच गया और उस अपहरण की जानकारी दी. इसके बाद राजू की मां ने बचपन के चिन्हों से उसकी पहचान भी कर ली.
देहरादून में अपहरण की कहानी
देहरादून के सीओ सदर अनिल जोशी के मुताबिक जुलाई महीने में AHTU के पास एक युवक आया और खुद को मोनू शर्मा बताया था. उसने कहा था कि 31 साल पहले उसे अगवा कर लिया गया था. इसके बाद पुलिस ने उसकी पहचान कराने की कोशिश की. इस दौरान पटेलनगर के लोहिया नगर में रहने वाले एक शर्मा परिवार ने उसकी पहचान की. इस परिवार की महिला आशा शर्मा ने पुलिस को बताया कि उनका बेटा मोनू 31 साल पहले लापता हो गया था. मोनू की बहन ने बताया कि उसके भैया घर आए सब लोग खुश थे, लेकिन तीन दिन बाद ही उनका व्यवहार बदल गया था. वह लड़ाई झगड़े करने लगे थे और दस दिन पहले अचानक यहां से चले गए.
सिजोफिनिया का मामला तो नहीं?
मनोवैज्ञानिक डॉ. मुकुल शर्मा के मुताबिक यह मामला सिजोफिनिया का हो सकता है. इस बीमारी में किसी बच्चे के दिमाग में कोई भी बचपन की ऐसी घटना छप जाती है, जिसे वह भुला नहीं सकता. इसकी वजह से एक ही दिमाग में उसके दो-दो व्यक्तित्व पैदा हो जाते हैं. ऐसे व्यक्ति की समय रहते काउंसलिंग और उपचार करवाना चाहिए. ऐसा ना करना घातक हो सकता है. उधर, DNA विशेषज्ञ डॉ. एमके अग्रवाल कहते हैं कि यह युवक आखिर कौन है, यह पता करना बहुत मुश्किल नहीं है. डीएनए टेस्ट करा कर दूध का दूध और पानी का पानी कर सकते हैं. फिलहाल उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और राजस्थान पुलिस तीनों ही मामले की जांच में जुट गई है.
(रिपोर्ट- संजीव शर्मा-गाजियाबाद/अवनीश पाल-देहरादून)
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