यूपी- क्या है गवर्नर आनंदी बेन को मिले सरकारी नोटिस का पूरा सच? जानिए डिटेल – INA

उत्तर प्रदेश के राजभवन में एक सरकारी कागज ने हड़कंप मचा दिया. मलिहाबाद तहसीलदार के नाम से किसी ने फर्जी तरीके से राज्यपाल आनंदी बेन पटेल को नोटिस जारी कर दिया. मामला तब सामने आया जब फाइल राजभवन से कलेक्ट्रेट पहुंची. राज्यपाल ने नाराजगी जताते हुए कार्रवाई का निर्देश दिया तो हड़कंप मच गया. राजधानी लखनऊ में विरासत के एक मुकदमे में शरारती युवक ने राज्यपाल को पक्षकार बनाते हुए फर्जी तरीके से नोटिस राजभवन भेज दिया.

यूपी गर्वनर कार्यालय ने मामले में कड़ा रुख अपनाया है. जिलाधिकारी कार्यालय को इस मामले में पत्र लिखते हुए कहा कि धारा 361 के तहत गर्वनर को इस तरह नोटिस नहीं दी जा सकती है। इसके साथ सख्त चेतावनी भी दी गयी। पत्र मिलने के बाद डीएम ने जांच कराई तो पता चला कि नोटिस ही फर्जी है। तहसीलदार के यहां से ऐसी कोई नोटिर अगला जारी ही नहीं हुई है।

ये है पूरा मामला

गवर्नर आनंदी बेन पटेल को जो नोटिस जारी की गयी है, वह वसीयत के मामले को लेकर है. मलिहाबाद की मीरा देवी बनाम ग्राम सभा के मामले में नोटिस जारी की गयी है. धारा 34 के तहत नोटिस जारी की गई, जो कि वसीयत को लेकर होती है. इसका मामला विवादित होने की वजह से राजस्व निरीक्षक ने तहसीलदार पोर्टल पर इसे आगे बढ़ाया था. इसमें गर्वनर का कोई लेना देना ही नहीं था. लेकिन फर्जी नोटिस में नीचे माननीय राज्यपाल महोदया लिखा गया था. इस नोटिस को देखने के बाद गर्वनर हाउस के अधिकारी सक्रिय हुए. तत्काल डीएम को पत्र भेजा गया. इसमें नोटिस पर कड़ी आपत्ति दर्ज करायी गयी.

डाक के जरिए भेजी गई नोटिस

गर्वनर को जो फर्जी नोटिस भेजी गई वह जीपीओ से डाक से भेजी गई थी. मलिहाबाद तहसील का कोई पत्र जीपीओ से नहीं भेजा जाता है. लेकिन इसे शरारत करने वाले ने हजरतगंज जीपीओ से भेजा. जांच की गई तो पता चला कि एसी कोई नोटिस जारी ही नहीं हुई. इसके बाद अधिकारियों ने राज भवन को सफाई दी.एसडीएम मलिहाबाद ने बताया कि नोटिस फर्जी है. इसे तहसीलदार ने जारी नहीं किया है. उन्होंने कहा कि वसीयत के मामले में नोटिस नहीं जारी की जाती है. इसमें इश्तहार दिया जाता है. उन्होंने कहा कि मामले की जांच की जा रही है. फर्जी नोटिस जारी करने वाले को चिन्हित किया जाएगा.


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