National-Health Insurance: किन वजहों से रिजेक्ट होता है हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम, क्या है बचने का तरीका? – #INA

Health Insurance Claim Rejection: अक्सर लोग सोचते हैं कि हेल्थ इंश्योरेंस खरीदने के बाद उनके इलाज का पूरा खर्च बीमा कंपनी उठाएगी। लेकिन जब क्लेम रिजेक्ट हो जाता है, तो परेशानी और गुस्सा दोनों बढ़ जाते हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या इंश्योरेंस कंपनियां जानबूझकर क्लेम रिजेक्ट करती हैं? नहीं, हर बार ऐसा नहीं होता। असल में, ज्यादातर मामले ऐसे होते हैं जहां थोड़ी-सी सतर्कता से क्लेम रिजेक्शन से बचा जा सकता था। तो चलिए जानते हैं कि किन वजहों से हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम रिजेक्ट होते हैं और आप इससे कैसे बच सकते हैं।

पहले से मौजूद बीमारियों की जानकारी न देना

हेल्थ इंश्योरेंस की दुनिया में ‘Utmost Good Faith’ का सिद्धांत लागू होता है। इसका मतलब है कि बीमा खरीदते समय पॉलिसीधारक और बीमा कंपनी, दोनों को पूरी ईमानदारी से जानकारी साझा करनी चाहिए। लेकिन कई लोग पहले से मौजूद बीमारियों (Pre-existing Conditions) की जानकारी नहीं देते, जैसे कि डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, या हार्ट से जुड़ी समस्याएँ। ऐसा करने से बीमा कंपनी आपके क्लेम को अस्वीकृत कर सकती है।

इससे बचने का तरीका काफी आसान है। आप पॉलिसी खरीदते समय अपनी पूरी मेडिकल हिस्ट्री बताएं, भले ही वह आपको मामूली लगे। इससे आपका क्लेम सुरक्षित रहेगा।

पॉलिसी की शर्तों को सही से न पढ़ना

अक्सर लोग पॉलिसी खरीदते समय इसकी शर्तों को ध्यान से नहीं पढ़ते। जब बाद में क्लेम करते हैं, तो पता चलता है कि बीमा में वह इलाज कवर ही नहीं है या फिर उस पर वेटिंग पीरियड लागू है। जैसे कि कई पॉलिसियों में सर्जरी (जैसे हर्निया, कैटरैक्ट) के लिए 2-3 साल का वेटिंग पीरियड होता है।

इससे बचने के लिए पॉलिसी के सभी नियम और शर्तों को ध्यान से पढ़ें। कोई चीज समझ न आए तो एजेंट या बीमा कंपनी से पूछ लें। इससे चीजें साफ रहेंगी।

इंश्योरेंस पॉलिसी समय पर रिन्यू न कराना

अगर आपकी पॉलिसी लैप्स हो जाती है, तो बीमा कंपनी आपके क्लेम को रिजेक्ट कर सकती है। कभी-कभी लोग भूल जाते हैं कि प्रीमियम जमा करने की आखिरी तारीख कब है और इससे उनका कवरेज खत्म हो जाता है।

ऐसे में आपको अपनी पॉलिसी को ऑटो-पे मोड में रखना चाहिए। आप रिमाइंडर भी सेट कर सकते हैं, ताकि समय पर भुगतान हो सके।

गलत या अधूरे दस्तावेज देना

क्लेम प्रक्रिया के दौरान जरूरी दस्तावेज नहीं होने से आपका क्लेम रुक सकता है या रिजेक्ट हो सकता है। कई बार लोग अस्पताल के बिल, मेडिकल रिपोर्ट या डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन को संभालकर नहीं रखते, जिससे क्लेम पास नहीं हो पाता। इससे बचने के लिए कुछ चीजों पर अमल करना होगा।

  • सभी मेडिकल दस्तावेज को सुरक्षित रखें।
  • अस्पताल के बिल और डिस्चार्ज समरी की कॉपी लें।
  • इंश्योरेंस कंपनी के मांगे गए सभी दस्तावेज समय पर जमा करें।

इलाज पॉलिसी के तहत कवर न होना

हर हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में कुछ बीमारियां और इलाज शामिल होते हैं, और कुछ नहीं। उदाहरण के लिए, कॉस्मेटिक सर्जरी, डेंटल ट्रीटमेंट, फर्टिलिटी ट्रीटमेंट आदि आमतौर पर कवर नहीं किए जाते। अगर आप ऐसे किसी इलाज के लिए क्लेम करते हैं, तो वह रिजेक्ट हो सकता है।

इससे परेशानी से बचने के लिए अपनी पॉलिसी की ‘Inclusions’ और ‘Exclusions’ लिस्ट ध्यान से पढ़ें। इससे आपको पता चल जाएगा कि आपकी पॉलिसी में कौन से इलाज कवर हैं और कौन से नहीं।

कैशलेस क्लेम में प्री-अप्रूवल न लेना

अगर आप किसी प्लान्ड सर्जरी के लिए अस्पताल में भर्ती हो रहे हैं और आपने पहले से बीमा कंपनी को सूचित नहीं किया, तो आपका कैशलेस क्लेम रिजेक्ट हो सकता है।

ऐसे में जरूरी रहता है कि इलाज से पहले ही बीमा कंपनी को सूचित करें और उससे जरूरी अप्रूवल ले लें।

हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम रिजक्ट होने पर क्या करें?

हेल्थ इंश्योरेंस आपको आर्थिक सुरक्षा देने के लिए बना है, लेकिन इसके लिए आपको भी कुछ सावधानियां बरतनी होंगी। सही जानकारी देना, पॉलिसी की शर्तों को ध्यान से पढ़ना, समय पर रिन्यूअल कराना और सभी दस्तावेज सही तरीके से रखना आपकी जिम्मेदारी है।

अगर आपका क्लेम फिर भी रिजेक्ट होता है, तो आप बीमा कंपनी से स्पष्टीकरण मांग सकते हैं। फिर भी जरूरत पड़े तो बीमा लोकपाल (Insurance Ombudsman) के पास शिकायत भी दर्ज करा सकते हैं।

यह भी पढ़ें : मौत हार्ट अटैक से, फिर भी इंश्योरेंस क्लेम रिजेक्ट! कहीं आप भी तो नहीं कर रहे ये गलती

Health Insurance: किन वजहों से रिजेक्ट होता है हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम, क्या है बचने का तरीका?


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