Entertainment: हिंदी फिल्मों के बिना पाकिस्तान में थिएटर का क्या हाल होता… कितना पीछे है बॉलीवुड से लॉलीवुड? – #iNA

भारत के बिना पाकिस्तान किस-किस मोर्चे पर बदहाली का शिकार होता है, उसका एक नजीर वहां की मनोरंजन इंडस्ट्री का मौजूदा हाल भी है. भारतीय फिल्मों के प्रदर्शन पर जब-जब रोक लगाई गई, पाकिस्तान की एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री लड़खड़ाई. आज की तारीख में महज फवाद खान की बदौलत पाकिस्तानी फिल्म इंडस्ट्री का कारोबार चल रहा है. पहले कभी दिलीप कुमार, देव आनंद, अमिताभ बच्चन तो हाल के सालों में सलमान, आमिर और शाहरुख के अलावा संजय दत्त, रणवीर सिंह और रणबीर कपूर की फिल्में चोरी छिपे भी खूब देखाई जाती रही हैं. पाकिस्तान ने अपने दृष्टिकोण के हिसाब से एक था टाइगर, राजी, हैदर जैसी उन फिल्मों का प्रदर्शन नहीं होने दिया, जिनमें सीमा पार आतंकवाद को दिखाया गया था लेकिन दिलवाले, संजू, बजरंगी भाईजान जैसी फिल्मों को दिखाकर खूब कारोबार किया है.

आप को जानकर हैरानी होगी कि भारतीय फिल्मों के प्रदर्शन से ही पाकिस्तान के थिएटर गुलजार होते रहे हैं. आम पाकिस्तानियों का खूब मनोरंजन भी हुआ. लेकिन 2019 में जब पाकिस्तान में भारतीय फिल्मों के प्रदर्शन पर फिर बैन लगा दिया गया, तब वहां थिएटर से होने वाली कमाई की एक बार फिर कमर टूट गई. इसका जिम्मेदार पाकिस्तान खुद था, क्योंकि भारत की सर्जिकल स्ट्राइक की प्रतिक्रिया में पाकिस्तानी सरकार ने ये कदम उठाया था. इसका दुष्परिणाम हुआ कि दर्शक नदारद और थिएटर खाली. सिनेमा हॉल बंद होते चले गए. हॉल बंद होने से इस व्यवसाय से जुड़े लाखों लोग बेरोजगार हो गए.

जब-जब फिल्मों पर प्रतिबंध, थिएटर रहे खाली

गौरतलब है कि पुलवामा हमले से पहले भी भारत और पाकिस्तान के बीच जब-जब तनाव हुए, दोनों देशों की हुकूमत ने दोनों देशों की फिल्मों पर प्रतिबंध लगाया है. कुछ दिन पहले जम्मू-कश्मीर में पहलगाम आतंकी हमले के बाद फवाद खान और वाणी कपूर की आगामी फिल्म अबीर गुलाल पर भी भारत सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया है. आपको बता दें कि साल 2019 से पहले 1965 में भी दोनों देशों के युद्ध के समय पाकिस्तान ने भारतीय फिल्मों के प्रदर्शन पर रोक लगाई थी.

हालांकि मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बैन के बावजूद पाकिस्तान की एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री से जुड़े कारोबारियों ने गैर-कानूनी तरीके से भारतीय पंजाबी और बड़े स्टार कास्ट की हिंदी फिल्मों के पायरेटेड वर्जन को चोरी छिपे दिखाना जारी रखा. लेकिन यह गैर-कानूनी सिलसिला लंबे समय तक नहीं चल सका. फिल्म निर्माण और डिस्ट्रीब्यूशन की तकनीक जैसे-जैसे बदलती गई पाकिस्तान में पायरेटेड फिल्मों के शोज कम होते गए. इसका असर वहां के सिनेमा हॉल के बिजनेस पर पड़ा. भारतीय फिल्मों के नहीं दिखाए जाने से धड़ाधड़ सिनेमा हॉल बंद होने लगे.

2007 में बैन हटने पर पाक में खुले नए थिएटर्स

करीब बयालीस साल बाद सन् 2007 में जब तत्कालीन राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने भारतीय फिल्मों पर लगे बैन को हटाया तब वहां थिएटर कारोबारियों के चेहरे एक बार फिर खिल उठे. भारतीय फिल्में देखने के लिए पाकिस्तानी दर्शकों का हुजूम दोबारा थिएटरों में जुटने लगा. इस दौर में सलमान, आमिर, शाहरुख, अक्षय कुमार और गोविंदा बड़े स्टार के तौर माने जाते थे, इनकी फिल्में ब्लॉकबस्टर होती थीं. पाकिस्तान में इन भारतीय सितारों की फिल्में लोग खूब देखते थे. सलमान, शाहरुख से पहले पुरुष कलाकारों में खासतौर पर राजेश खन्ना, अमिताभ बच्चन और मिथुन चक्रवर्ती की फिल्मों की धूम रही है. वहीं अभिनेत्रियों में नरगिस, मीना कुमारी, वहीदा रहमान, मुमताज से लेकर हेमा मालिनी और रीना रॉय की फिल्में खूब देखी जाती रही हैं.

बदहाल हुई पाकिस्तान की फिल्म इंडस्ट्री

दिलचस्प बात ये कि 2007 में भारतीय फिल्मों से प्रतिबंध हटाए जाने के बाद पाकिस्तान में बंद होते सिनेमा हॉल व्यवसाय में रौनक लौट आई. यहां तक कि नए-नए सिनेमा हॉल खोले भी गए. इसके बाद लंबे समय तक भारतीय फिल्मों के दम से पाकिस्तान का मनोरंजन उद्योग फलता-फूलता रहा. लेकिन 2019 के बाद पाकिस्तान की फिल्म इंडस्ट्री फिर से चरमराई. आज की तारीख में पाकिस्तानी फिल्म इंडस्ट्री, जिसे हॉलीवुड और बॉलीवुड की तर्ज पर लॉलीवुड कहा जाता है, उसकी इकोनॉमी बदहाल हो चुकी है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पाकिस्तान में अब करीब 135 सिंगल स्क्रीन थिएटर ही बचे हैं. वहीं मल्टीप्लेक्स प्रोजेक्ट्स की रफ्तार भी धीमी है.

पिछले तीन दशक में यहां लगातार सिनेमा हॉल बंद होते गए हैं. पहले यहां एक हजार से भी अधिक सिंगल स्क्रीन वाले सिनेमा ह़ॉल हुआ करते थे. इनमें भी भारतीय पंजाबी और हिंदी फिल्में खूब कारोबार करती रही हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कराची समेत सिंध में कभी 257 सिनेमा हॉल होते थे लेकिन अब वहां 39 ही बचे हैं. इसी तरह पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में कभी सबसे ज्यादा 611 सिनेमा हॉल हुआ करते थे लेकिन अब 90 बचे हैं. अन्य क्षेत्रों की बात करें तो खैबर पख्तूनख्वा में 68 की जगह 6 और बलूचिस्तान में 24 में से 3 जबकि गिलगित बाल्टिस्तान और पीओके में एक भी सिनेमा हॉल नहीं है.

पाकिस्तान में मल्टीप्लेक्स प्रोजेक्ट्स भी कैंसल

हालात ये भी बताते हैं कि पाकिस्तान में दर्शकों की कमी के चलते कई मल्टीप्लेक्स प्रोजेक्ट्स भी रद्द कर दिए गए हैं. इसका कारण भारतीय फिल्मों पर लगे प्रतिबंध और ओटीटी पर फिल्में देखने का बढ़ता चलन भी है. भारत की बात करें तो पिछले तीन दशक के दौरान 24,000 की जगह यहां अब भी 4,745 सिंगल स्क्रीन थिएटर बचे हैं. दर्शकों की कमी की वजह से पाकिस्तान में मल्टीप्लेक्स प्रोजेक्ट्स आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं जबकि भारत में मल्टीप्लेक्स प्रोजेक्ट्स का लगातार विस्तार हो रहा है. आज की तारीख में इंडिया में करीब 3000 मल्टीप्लेक्स स्क्रीन हैं.

फवाद खान की बदौलत पाक फिल्म इंडस्ट्री

हाल के साल में पाकिस्तानी एक्टर फवाद खान की एक मात्र फिल्म द लीजेंड ऑफ मौला जट्ट ने नए दौर की मॉडर्न पेशकश की वजह से बड़ा कारोबार किया है, यह फिल्म 400 करोड़ के कलेक्शन को भी पार कर गई. लेकिन ना तो इससे पहले और ना ही इसके बाद पाकिस्तान की कोई भी फिल्म सौ करोड़ के कलेक्शन को भी पार कर सकी है. जबकि भारतीय फिल्मों की बात करें तो सौ करोड़ के क्लब में शामिल फिल्मों की संख्या सैकड़ों हैं वहीं 400-500 करोड़ कलेक्शन करने वाली फिल्मों की संख्या भी पचीसों हैं. सबसे हाल में छावा ने यह कमाल कर दिखाया है.

पाकिस्तानी कलाकारों को भारत में मिला प्यार

हालांकि इसमें कोई दो राय नहीं कि पाकिस्तान के कई कलाकारों ने अपनी-अपनी प्रतिभा से लाखों भारतीयों का दिल जीता है. भारतीय फिल्म उद्योग में उनकी प्रतिभा की कद्र भी खूब की गई है. दिवंगत मनोज कुमार की फिल्म क्लर्क से लेकर मौजूदा दौर की अबीर गुलाल फिल्म तक तमाम पाकिस्तानी सितारे हिंदी फिल्मों में कभी बतौर अभिनेता, अभिनेत्री तो बतौर गायक कलाकार शामिल होते रहे हैं. 1989 की क्लर्क में मोहम्मद अली-ज़ेबा, हिना में ज़ेबा बख्तियार, निकाह में सलमा आगा तो ऐ दिल है मुश्किल में फवाद खान या फिर गुजरे जमाने के गायकों में नूरजहां और गुलाम अली से लेकर अदनान सामी (अब भारतीय) तक को भरपूर प्यार मिला है. पाकिस्तान के टीवी शोज़ की कहानियां और कॉमेडी भारत में खूब लोकप्रिय रही हैं.

यह भी पढ़ें:पाकिस्तान मुर्दाबाद था और रहेगा जब फिल्मों ने दिखाया आतंकवाद का खौफनाक चेहरा

हिंदी फिल्मों के बिना पाकिस्तान में थिएटर का क्या हाल होता… कितना पीछे है बॉलीवुड से लॉलीवुड?


देश दुनियां की खबरें पाने के लिए ग्रुप से जुड़ें,

#INA #INA_NEWS #INANEWSAGENCY
Copyright Disclaimer :-Under Section 107 of the Copyright Act 1976, allowance is made for “fair use” for purposes such as criticism, comment, news reporting, teaching, scholarship, and research. Fair use is a use permitted by copyright statute that might otherwise be infringing., educational or personal use tips the balance in favor of fair use.
Credit By :-This post was first published on https://www.tv9hindi.com/, we have published it via RSS feed courtesy of Source link,

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Close
Crime
Social/Other
Business
Political
Editorials
Entertainment
Festival
Health
International
Opinion
Sports
Tach-Science
Eng News