जब वैशाली जिले के डीएम ने खुद अपने सामने बीमार बच्चे का करवाया इलाज

संवाददाता-राजेन्द्र कुमार ।

वैशाली /हाजीपुर। 14 फरवरी। एक छोटे से मोहल्ले में एक बड़ी इंसानियत की मिसाल पेश हुई, जब जिलाधिकारी श्री यशपाल मीणा ने अपने सामने एक बीमार बच्चे का इलाज करवाने का निर्णय लिया। उनका यह कार्य केवल प्रशासनिक दायित्व नहीं, बल्कि मानवीय भावनाओं का प्रतीक भी था।

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आज सुबह बागमली मोहल्ले के एक व्यक्ति अपने दस वर्षीय बच्चे अयान के साथ सदर अस्पताल परिसर में बैठे थे। अयान की तबीयत बिगड़ने के कारण उसके माता-पिता चिंतित थे। अयान का हाथ टूट गया था और उसकी दर्द भरी चीत्कार सुनकर कोई भी माता-पिता का दिल पिघल सकता था। अचानक उनकी नजर जिलाधिकारी श्री यशपाल मीणा पर गई। उनका चेहरा राहत की उम्मीद के साथ एक संभावना का प्रतीक बन गया।

डीएम का संवेदनशील कदम

बाप ने हिम्मत जुटाई और जिलाधिकारी के पास दौड़ पड़े। “एक्सक्यूज मी सर!” उन्होंने कहा। जिलाधिकारी ने तुरंत पूछा, “क्या बात है?” जब बीमार बच्चे के पिता ने बताया कि उनके बच्चे अयान का हाथ टूट गई है, तो जिलाधिकारी की प्रतिक्रिया अद्भुत थी। उन्होंने किसी भी प्रकार की औपचारिकता का ध्यान न रखते हुए, पास खड़े अस्पताल अधीक्षक जो हड्डी के डॉक्टर भी है, को तुरंत बच्चे को देखने के लिए कहा। इस प्रकार, यह एक अद्वितीय क्षण बना जब डीएम स्वयं बच्चे और उनके परिजनों को डॉक्टर के चेंबर में लेकर आए।

इलाज का ऐतिहासिक क्षण

इस पूरे घटनाक्रम में जिलाधिकारी ने जिस संवेदनशीलता और तत्परता का परिचय दिया, वह सच्चे प्रशासनिक नेतृत्व का उदाहरण है। डीएम ने न केवल औपचारिकता निभाई, बल्कि उन्होंने खुद अयान के इलाज की देखरेख की। उनकी आँखों में मानवता का भाव था और उन्होंने बच्चे की सुरक्षा और स्वास्थ्य को पहले रखा। अस्पताल में उपस्थित सभी लोगों के लिए यह एक प्रेरणादायक पल था।

परिवार की प्रतिक्रिया

अयान के माता-पिता ने जिलाधिकारी के इस कार्य के लिए दिल से धन्यवाद अदा किया। उन्होंने कहा कि इस कठिन समय में जब वे सभी संभव चिकित्सा सहायता के लिए भटक रहे थे, तब डीएम का हाथ बढ़ाना उनके लिए एक आशीर्वाद साबित हुआ। यह न केवल एक बच्चे के लिए बल्कि एक पूरे परिवार के लिए राहत का एक पल था। इस घटना ने उन्हें यह भी दिखाया कि समाज में अब भी ऐसे लोग हैं जो मानवता के लिए संजीदा हैं।

समाज के लिए एक संदेश

इस घटनाक्रम ने हमें यह सिखाया कि मानवीय संवेदनाएं कभी-कभी नियम और प्रक्रियाओं से ऊपर होती हैं। यह एक उदाहरण है जब प्रशासनिक शक्तियों का सही उपयोग किया गया। इस तरह की घटनाएँ न केवल बच्चों और उनके परिवारों को राहत देती हैं, बल्कि समाज में एकता और सहानुभूति के भाव को भी बढ़ावा देती हैं।

जिलाधिकारी श्री यशपाल मीणा द्वारा किए गए इस कार्य ने हमें यह याद दिलाया कि सरकारी पदों पर बैठे लोग समाज की सेवा करने वाले लोग हैं। जब प्रशासन और मानवता एक साथ आ जाते हैं, तब बहुत सारे लोगों की जीवन में सकारात्मक बदलाव आ सकता है। यह घटना समाज को यह सिखाने में मदद करेगी कि सच्ची सेवा के लिए संवेदनशीलता और तत्परता आवश्यक हैं।

इस प्रकार, यह घटना निश्चित रूप से हाजीपुर में मानवता की एक नई मिसाल पेश करती है, जिसके लिए सभी को जिलाधिकारी श्री यशपाल मीणा का धन्यवाद अदा करना चाहिए।

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