मोदी 3.0 सरकार का दूसरा बजट 1 फरवरी को संसद में पेश हो गया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट स्पीच के दौरान कई घोषणाएं कीं। लेकिन जिस घोषणा ने सबसे ज्यादा ध्यान खींचा, मिडिल क्लास और सैलरीड क्लास को खुश किया, वह रही 12 लाख रुपये तक की सालाना टैक्सेबल इनकम को टैक्स फ्री किया जाना। 75000 रुपये तक के स्टैंडर्ड डिडक्शन के साथ अब नई आयकर व्यवस्था में 12.75 लाख रुपये तक की सालाना आय पर कोई इनकम टैक्स नहीं भरना होगा। 12 लाख रुपये तक की सालाना टैक्सेबल इनकम, रिबेट की मदद से टैक्स फ्री हो सकेगी। रिबेट का मतलब है एक लिमिट तक टैक्स माफ कर दिया जाना।
इसके अलावा वित्त मंत्री ने नई आयकर व्यवस्था के तहत टैक्स स्लैब्स में बदलाव का भी ऐलान किया। इसके तहत, अब 4 लाख रुपये तक की टैक्सेबल सालाना आय पर कोई टैक्स नहीं लगेगा। 4 से 8 लाख रुपये पर टैक्स 5 प्रतिशत, 8 से 12 लाख रुपये पर 10 प्रतिशत, 12 लाख से 16 लाख रुपये पर 15 प्रतिशत, 16 से 20 लाख रुपये पर 20 प्रतिशत, 20 लाख रुपये से 24 लाख रुपये पर 25 प्रतिशत और 24 लाख रुपये से ऊपर की सालाना आय पर 30 प्रतिशत टैक्स लगेगा।
इसके अलावा सीनियर सिटीजन के लिए ब्याज से हुई आय पर टैक्स डिडक्शन की लिमिट दोगुनी करके 1 लाख रुपये की जाएगी। किराये पर TDS की सीमा को भी बढ़ाकर 6 लाख रुपये करने का प्रस्ताव किया गया है। यह लिमिट वर्तमान में 2.4 लाख रुपये है।
केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार पहली बार साल 2014 में सत्ता में आई। 2014 से लेकर अब तक मोदी सरकार 14 बजटों में टैक्सपेयर्स के लिए कई बड़े ऐलान कर चुकी है। आइए जानते हैं कि वित्त वर्ष 2025-26 के बजट से पहले मोदी राज में अब तक आम लोगों के लिए टैक्स के मोर्चे पर बजट के पिटारे से क्या-क्या निकाला है…
बजट 2014
लोकसभा चुनाव होने के कारण फरवरी में अंतरिम बजट पेश हुआ था। फिर मोदी सरकार सत्ता में आई और तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जुलाई 2014 में आम बजट पेश किया। इस बजट में मोदी सरकार ने बेसिक इनकम टैक्स एग्जेंप्शन लिमिट को 2 लाख से बढ़ाकर 2.5 लाख रुपये कर दिया। सीनियर सिटीजन के लिए यह सीमा 2.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 3 लाख रुपये की गई। साथ ही सेक्शन 80(सी) के तहत टैक्स डिडक्शन की लिमिट 1.1 लाख रुपये से बढ़ाकर 1.5 लाख रुपये की गई। सेक्शन 24 के तहत होम लोन के ब्याज पर टैक्स छूट की सीमा को भी 1.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 2 लाख रुपये किया गया।
बजट 2015
सेक्शन 80CCD(1b) के तहत NPS में निवेश पर 50 हजार रुपये की टैक्स छूट की घोषणा
इंडिविजुअल्स के लिए हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर टैक्स डिडक्शन लिमिट 15 हजार रुपये से बढ़कर 25 हजार रुपये हो गई। सीनियर सिटीजन के मामले में यह 20 हजार रुपये से बढ़कर 30 हजार रुपये हो गई।
1 करोड़ रुपये से अधिक की सालाना आय वाले इंडिविजुअल्स पर सरचार्ज 10% से बढ़ाकर 12% कर दिया गया
सैलरीड क्लास की ट्रांसपोर्ट अलाउंस लिमिट 800 रुपये से बढ़ाकर 1600 रुपये प्रति माह की गई।
वेल्थ टैक्स खत्म कर दिया गया
सुकन्या समृद्धि योजना में निवेश पर मिलने वाले ब्याज को टैक्स फ्री किया गया
बजट 2016
5 लाख रुपये से कम आय वालों के लिए टैक्स रिबेट 2000 से बढ़ाकर 5000 रुपये किया गया
1 करोड़ रुपये से अधिक की सालाना आय वाले इंडिविजुअल्स पर सरचार्ज 3% बढ़ाकर 15% कर दिया गया
नए होम बायर्स को 35 लाख रुपये तक के लोन पर चुकाए जाने वाले ब्याज के लिए अतिरिक्त 50,000 रुपये की टैक्स छूट दी गई
घर का किराया देने वालों के लिए सेक्शन 80GG के तहत टैक्स छूट को 24,000 से बढ़ाकर 60,000 रुपये किया गया
बजट 2017
2.5 लाख से 5 लाख रुपये तक की इनकम के लिए इनकम टैक्स रेट को 10% से घटाकर 5% किया गया
सभी टैक्सपेयर्स को 12,500 रुपये का टैक्स रिबेट दिया गया
50 लाख रुपये से 1 करोड़ रुपये की सालाना आय वालों पर 10% सरचार्ज लागू किया गया
बजट 2018
सैलरीड इंडीविजुअल्स के लिए 40,000 रुपये के स्टैंडर्ड डिडक्शन को वापस लाया गया। हालांकि इसके बदले में 15000 रुपये के मेडिकल रिइंबर्समेंट और 19,200 रुपये के ट्रांसपोर्ट अलाउंस पर टैक्स छूट को खत्म कर दिया गया
सीनियर सिटीजंस की 50,000 रुपये तक की इंटरेस्ट इनकम को टैक्स छूट दी गई, पहले यह सीमा 10,000 रुपये थी। इसके अलावा सीनियर सिटीजंस के लिए सेक्शन 80D के तहत 50,000 रुपये तक मेडिकल खर्च पर टैक्स छूट क्लेम कर सकने की सुविधा दी गई।
इक्विटीज से 1 लाख रुपये से अधिक के लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) पर 10% टैक्स लगाया गया
सेस 3% से बढ़ाकर 4% कर दिया गया
अंतरिम बजट 2019
इनकम टैक्स रिबेट की लिमिट को 2500 रुपये से बढ़ाकर 12500 रुपये किया गया। इसके चलते 5 लाख रुपये तक की इनकम, टैक्स फ्री हो गई।
स्टैंडर्ड डिडक्शन को 40000 रुपये से बढ़ाकर 50000 रुपये किया गया
बैंक या डाकघरों में जमा पर आने वाले 40000 रुपये तक के ब्याज को टैक्स फ्री किया गया। पहले यह लिमिट 10000 रुपये थी
सेक्शन 54 के तहत प्रावधान किया गया कि अगर कोई एक मकान को बेचकर मिले पैसों से दो मकान खरीदता है तो दोनों मकानों पर टैक्स से छूट मिलेगी। पहले यह छूट केवल एक नए मकान तक ही सीमित थी। हालांकि शर्त रखी गई कि मकान बेचकर हुए कैपिटल गेन्स की रकम 2 करोड़ रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए।
किसी व्यक्ति के दूसरे सेल्फ ऑक्यूपाइड मकान को टैक्स फ्री कर दिया गया। इससे पहले नियम था कि आपके दूसरे मकान में भले ही आपके परिवार के सदस्य रह रहे हों यानी आपने मकान किराए पर न दिया हो, फिर भी उस मकान पर आस-पास के एरिया के मुताबिक रेंट कैलकुलेशन होता था। इसी पर सरकार टैक्स कैलकुलेट करती थी।
किराए पर TDS की सीमा को भी 1.80 लाख रुपये से बढ़ाकर 2.40 लाख रुपये किया गया
बजट 2019
45 लाख रुपये तक का घर खरीदने के लिए 31 मार्च 2020 तक लिए गए होम लोन पर चुकाए जाने वाले ब्याज पर टैक्स डिडक्शन लाभ बढ़ाकर 3.5 लाख रुपये तक कर दिया गया। पहले आयकर कानून के सेक्शन 24 के तहत टैक्स डिडक्शन की लिमिट 2 लाख रुपये थी। लेकिन बजट 2019 में नए सेक्शन 80EEA के तहत 1.5 लाख रुपये तक का अतिरिक्त डिडक्शन होम लोन ब्याज पर प्रस्तावित किया गया।
2 से 5 करोड़ रुपये आमदनी पर सरचार्ज 3% और 5 करोड़ से ज्यादा की आय पर सरचार्ज 7% बढ़ाया गया
किसी शख्स के एक ही बैंक/को-ऑपरेटिव बैंक/पोस्ट ऑफिस में मौजूद सभी अकाउंट को मिलाकर एक वित्त वर्ष में 1 करोड़ रुपये से ज्यादा के कैश विदड्राल पर 2% TDS लगाए जाने की घोषणा की गई
इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) खरीदने के लिए लोन लेने पर चुकाए जाने वाले ब्याज पर 1.5 लाख रुपये तक के टैक्स डिडक्शन क्लेम कर सकने की घोषणा की गई।
ठेकेदारों या पेशेवरों को एक साल में 50 लाख रुपये सालाना से अधिक का भुगतान करने वाले व्यक्ति और HUF के लिए 5% की दर से TDS अनिवार्य किया गया
अचल संपत्ति के अधिग्रहण के लिए किए गए भुगतान से TDS के लिए कुछ अन्य चार्जों को भी कंसीडरेशन में लिए जाने का प्रस्ताव रखा गया। इनमें संपत्ति की खरीद के साथ क्लब की सदस्यता, कार पार्किंग शुल्क, बिजली या जलापूर्ति सेवाओं का भुगतान, रख.रखाव शुल्क समेत अन्य तरह के शुल्क शामिल हैं।
चालू खाते में एक करोड़ रुपये से अधिक जमा करने, एक लाख रुपये से अधिक बिजली बिल का भुगतान करने और एक साल में विदेश यात्रा पर दो लाख रुपये खर्च करने वालों के लिए आयकर रिटर्न दाखिल करना अनिवार्य करने का एलान किया गया
बजट 2020
नई इनकम टैक्स व्यवस्था की घोषणा की गई। लेकिन इसके साथ कई डिडक्शंस और एग्जेंप्शन का फायदा नहीं लिए जा सकने का प्रावधान किया गया।
सस्ते मकान की खरीद के लिए सेक्शन 80EEA के तहत 1.5 लाख रुपये तक की अतिरिक्त कटौती को एक साल बढ़ाने का प्रस्ताव किया गया
कंपनियों और म्यूचुअल फंड्स की ओर से दिए जाने वाले डिविडेंड पर DDT खत्म
ओवरसीज रेमिटेंस और ओवरसीज टूर पैकेज की बिक्री पर TCS वसूल करने के लिए आयकर कानून के सेक्शन 206C में संशोधन करने का प्रस्ताव
बजट 2021
75 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्ग जो केवल पेंशन और जमा से होने वाली ब्याज आय पर निर्भर हैं, उन्हें ITR फाइल करने से आजादी दी गई। जिन वरिष्ठ नागरिकों की आय के, पेंशन व बैंक जमा से ब्याज आय के अलावा अन्य सोर्स भी हैं, उन्हें आयकर रिटर्न भरना होगा
यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस पॉलिसीज (ULIPs) में एक साल में 2.5 लाख रुपये से ज्यादा के प्रीमियम का भुगतान करने पर सेक्शन 10 (10D) के तहत उपलब्ध टैक्स एग्जेम्पशन हटाने का प्रस्ताव, केवल 1 फरवरी 2022 के बाद बेची गई पॉलिसियों पर ही प्रभावी
सस्ते मकान की खरीद के लिए होम लोन के ब्याज पेमेंट पर सेक्शन 80EEA के तहत 1.5 लाख रुपये तक के अतिरिक्त टैक्स डिडक्शन को और एक साल बढ़ाया गया
प्राइवेट सेक्टर कर्मचारियों के मामले में EPF और VPF खाते में 2.5 लाख रुपये तक सालाना कॉन्ट्रीब्यूशन पर मिलने वाला ब्याज टैक्स फ्री करने का प्रस्ताव। इस लिमिट से ऊपर के कॉन्ट्रीब्यूशन पर मिलने वाला ब्याज टैक्स के दायरे में आने का ऐलान
सरकारी कर्मचारियों के लिए EPF और VPF खाते में 5 लाख रुपये तक के सालाना कॉन्ट्रीब्यूशन पर मिलने वाला ब्याज टैक्स फ्री कर दिया गया
10 करोड़ रुपये से ज्यादा के टर्नओवर वाले लोगों के लिए साल में 50 लाख रुपये से ज्यादा की खरीद पर 0.1% TDS लगाए जाने का प्रस्ताव
कर्मचारियों के प्रोविडेंट फंड व अन्य वेलफेयर फंड में एंप्लॉयर द्वारा कॉन्ट्रीब्यूशन जमा न करने पर, देरी से जमा किए गए कॉन्ट्रीब्यूशन पर एंप्लॉयर को डिडक्शन का लाभ नहीं मिलने का प्रस्ताव
रियल एस्टेट इंफ्रास्ट्रक्चर ट्रस्ट्स/इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट्स में डिविडेंड के भुगतान को TDS से छूट देने का प्रस्ताव
बजट 2022
वर्चुअल डिजिटल एसेट्स यानि क्रिप्टोकरेंसी की बिक्री/ट्रांसफर से होने वाली कमाई 30 प्रतिशत टैक्स के दायरे में आने का ऐलान। साथ ही वर्चुअल डिजिटल एसेट्स के ट्रांसफर के दौरान अगर पेमेंट एक वित्त वर्ष में 10,000 रुपये से ज्यादा का रहा तो 1 प्रतिशत टीडीएस काटे जाने की घोषणा। हालांकि क्रिप्टो पेमेंट पर टीडीएस के लिए थ्रेसहोल्ड लिमिट कुछ विशिष्ट व्यक्तियों के लिए 50,000 रुपये प्रति वर्ष रखी गई। इन खास लोगों में ऐसे व्यक्ति/एचयूएफ शामिल किए गए, जिनके लिए इनकम टैक्स एक्ट के तहत अपने खातों का ऑडिट कराना जरूरी है।
बजट 2022 में यह भी कहा गया कि वर्चुअल डिजिटल एसेट्स के लेनदेन के मामले में एक्वीजीशन कॉस्ट को छोड़कर क्रिप्टोकरेंसी से इनकम का कंप्यूटेशन करते वक्त किसी खर्च या भत्ते के मामले में कोई डिडक्शन नहीं मिलेगा। साथ ही डिजिटल एसेट्स के ट्रांसफर के दौरान किसी भी तरह का लॉस, किसी अन्य आय के साथ सेटऑफ नहीं किया सकेगा। गिफ्ट में मिले वर्चुअल डिजिटल एसेट्स भी टैक्स के दायरे में आएंगे और टैक्स उसे देना होगा, जिसे गिफ्ट मिला है।
बजट 2023
नई आयकर व्यवस्था के तहत रिबेट के साथ 7 लाख रुपये तक की सालाना कमाई पर कोई टैक्स नहीं लगने का ऐलान। यानि इस लिमिट तक की इनकम पर बना टैक्स माफ हो जाएगा।
नई आयकर व्यवस्था में टैक्स स्लैब्स की संख्या को घटाकर 5 किया गया और बेसिक टैक्स एग्जेंप्शन लिमिट को बढ़ाकर 3 लाख रुपये किया गया।
0 से 3 लाख रुपये- निल
3 से 6 लाख रुपये- 5%
6 से 9 लाख रुपये- 10%
9 से 12 लाख रुपये- 15%
12 से 15 लाख रुपये- 20%
15 लाख से ऊपर- 30%
नई इनकम टैक्स व्यवस्था को डिफॉल्टेड टैक्स व्यवस्था बनाया गया। लेकिन पुरानी टैक्स व्यवस्था को चुनने का विकल्प खुला रखा गया।
सैलरीड क्लास टैक्सपेयर के लिए नई टैक्स व्यवस्था में भी 50000 रुपये के स्टैंडर्ड डिडक्शन का फायदा जोड़ा गया।
गैर-सरकारी सैलरीड एंप्लॉयीज के रिटायरमेंट के मामले में लीव इनकैशमेंट पर टैक्स एग्जेंप्शन की लिमिट को बढ़ाकर 25 लाख रुपये करने का ऐलान
आवासीय घरों में निवेश पर कैपिटल गेन्स से टैक्स डिडक्शंस को 10 करोड़ रुपये तक सीमित करने का प्रस्ताव
नई टैक्स व्यवस्था के तहत अब हाइएस्ट सरचार्ज रेट को 37 प्रतिशत से घटाकर 25 प्रतिशत किया गया
बजट 2024
नई आयकर व्यवस्था के तहत सैलरीड एंप्लॉयी के लिए स्टैंडर्ड डिडक्शन को 50,000 से बढ़ाकर 75,000 रुपये करने का प्रस्ताव
नई आयकर व्यवस्था के तहत टैक्स स्लैब्स में बदलाव, जिसके बाद रेट इस तरह हैं…0-3 लाख- जीरो
3-7 लाख- 5%
7-10 लाख- 10%
10-12 लाख- 15%
12-15 लाख- 20%
15 लाख से अधिक- 30%
पेंशनर्स के लिए फैमिली पेंशन पर डिडक्शन को 15,000 से बढ़ाकर 25,000 रुपये करने का प्रस्ताव
सिक्योरिटीज के फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस पर सिक्योरिटीज ट्रांजेक्शन टैक्स को बढ़ाकर क्रमश: 0.02 प्रतिशत और 0.1 प्रतिशत करने का प्रस्ताव
शेयर बायबैक के मामले में हासिल आय पर टैक्स लगाने का प्रस्ताव
कर्मचारी के एनपीएस में एंप्लॉयर की ओर से किए जा रहे कॉन्ट्रीब्यूशन को कर्मचारी की सैलरी के 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 14 प्रतिशत करने का प्रस्ताव
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