Doomsday: प्रलय कब आएगी, जानें हिंदू, मुस्लिम, ईसाई या अन्य धर्मों में क्या लिखा है? #INA

Doomsday: प्रलय कब आएगी? यह प्रश्न हमेशा से मानव जीवन में उत्सुकता और चिंतन का विषय रहा है. प्रलय को अलग-अलग संस्कृतियों, धर्मों, और वैज्ञानिक दृष्टिकोणों से अलग-अलग ढंग से परिभाषित किया गया है. प्रलय का समय और स्वरूप निश्चित रूप से कोई नहीं जानता. यह मानवता के कर्म, प्राकृतिक संतुलन, और ब्रह्मांडीय घटनाओं पर निर्भर करता है. धर्म हमें सिखाता है कि हम अपने कर्मों से संतुलन बनाए रखें, जबकि विज्ञान हमें पृथ्वी और पर्यावरण की रक्षा के लिए प्रयास करने को प्रेरित करता है. प्रलय से बचाव का सबसे बड़ा साधन है सद्कर्म और जागरूकता.

प्रलय का धार्मिक और पौराणिक दृष्टिकोण

हिंदू धर्म के अनुसार प्रलय

हिंदू धर्म में प्रलय को सृष्टि के विनाश का समय माना गया है. ब्रह्मा, विष्णु, और महेश की सृष्टि रचना, पालन, और संहार की प्रक्रिया में प्रलय एक अनिवार्य चरण है. चार युग (सत्य, त्रेता, द्वापर, और कलियुग) के चक्र के अंत में प्रलय होती है. मान्यता है कि वर्तमान समय कलियुग का अंतिम चरण चल रहा है, और इसके अंत के बाद महाप्रलय होगी.

ईसाई धर्म के अनुसार प्रलय

बाइबल में अपोकैलिप्स (प्रलय) के बारे में लिखा है. इसे दुनिया के अंत और नए आरंभ के रूप में देखा जाता है. इसे जजमेंट डे (न्याय का दिन) भी कहा गया है. 

इस्लाम धर्म के अनुसार प्रलय

इस्लाम में प्रलय को कयामत का दिन कहा गया है. यह वह समय होगा जब पूरी सृष्टि का अंत होगा और इंसानों को उनके कर्मों के आधार पर न्याय मिलेगा.

अन्य धर्मों की बात करें तो बौद्ध धर्म में प्रलय को एक चक्र के समाप्त होने के रूप में देखा जाता है, जहां सृष्टि नष्ट होकर पुनः उत्पन्न होती है. वैज्ञानिक दृष्टिकोण में प्रलय का अर्थ पृथ्वी, ब्रह्मांड, या मानव सभ्यता के विनाश से है. जिसका कारण जलवायु परिवर्तन, खगोलीय घटनाएं, परमाणु युद्ध, सूर्य का अंत, ब्लैक होल या ब्रह्मांडीय घटना हो सकता है. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. हमारा चैनल इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)


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