दुनियां – श्रीलंका में भारत और चीन के कौन-कौन से प्रोजेक्ट्स दांव पर लगे हैं? – #INA
श्रीलंका, हिंद महासागर में स्थित एक द्वीप देश है. बंदरगाहों की वजह से प्राचीन समय में यह सिल्क रूट का एक अहम हिस्सा रहा है. महज 2.21 करोड़ आबादी वाला यह देश अपनी भौगोलिक स्थिति के कारण भारत और चीन दोनों के लिए काफी महत्वपूर्ण है.
मौजूदा समय में भले ही श्रीलंका की सत्ता पर वामपंथी और चीन के करीबी माने जाने वाले अनुरा दिसानायके काबिज़ हों लेकिन उन्होंने अपनी पहली विदेश यात्रा के लिए भारत की सरजमीं को चुनकर साफ संदेश दे दिया है कि उनके लिए भारत कितनी अहमियत रखता है. उनका यह कदम चीन के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है क्योंकि चीन की भी श्रीलंका में उतनी ही दिलचस्पी है जितनी भारत की लेकिन दोनों देशों के मकसद अलग-अलग हैं.
चाहे परिस्थितियां कैसी भी हों भारत और चीन दोनों ही श्रीलंका के साथ अच्छे संबंध बनाकर रखना चाहते हैं, इसकी सबसे बड़ी वजह है कि जहां चीन इस क्षेत्र को भारत के खिलाफ इस्तेमाल करने की रणनीति पर काम कर रहा है तो वहीं भारत अपनी समुद्री सुरक्षा और नेबरहुड फर्स्ट की नीति के तहत श्रीलंका को दूर नहीं जाने देना चाहता. यह वजह है कि श्रीलंका में भारत और चीन के कई प्रोजेक्ट्स दांव पर हैं.
भारत के श्रीलंका में कई बड़े प्रोजेक्ट
श्रीलंका में भारत कई बड़े प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहा है, इसके अलावा अनुरा दिसानायके की भारत यात्रा के दौरान भी कई अहम प्रोजेक्ट्स पर आगे बढ़ने पर सहमति बनी है.भारत, श्रीलंका में हाउसिंग प्रोजेक्ट पर भी काम कर रहा है, जल्द ही इस प्रोजेक्ट से जुड़े फेज-3 और फेज-4 का काम पूरा होने वाला है. इसके अलावा 3 द्वीप हाइब्रिड रिन्यूएबल एनर्जी प्रोजेक्ट और कम्युनिटी डेवलपमेंट प्रोजेक्ट भी चल रहे हैं.
श्रीलंका में भारत विभिन्न समुदायों के धार्मिक स्थलों में सोलर इलेक्ट्रिफिकेशन प्रोजेक्ट पर भी तेजी से आगे बढ़ रहा है. इसके अलावा दोनों देशों के बीच 5 बिलियन डॉलर की रोड, रेल लिंक परियोजना पर चर्चा हो रही है, जिससे भारत और श्रीलंका के बीच कनेक्टिविटी बेहतर होगी. श्रीलंका के राष्ट्रपति और पीएम मोदी के बीच मुलाकात के बाद तय किया गया है कि भारत श्रीलंका के पावर प्लांट्स के लिए LNG सप्लाई करेगा. साथ ही दोनों देश जल्द ही रक्षा सहयोग से जुड़े समझौते को भी अंतिम रूप देने के लिए सहमत हैं.
दोनों के बीच तीन बड़ी परियोजनाओं की बात करें तो इनमें पहला है- डायरेक्ट कनेक्टिविटी. इसके तहत भारत और श्रीलंका के बीच समुद्र में एक पुल का निर्माण का किया जाना है, हालांकि इसका स्ट्रक्चर कैसा होगा इस पर फैसला बाकी है. दूसरी बड़ी परियोजना में श्रीलंका के बिजली वितरण सेक्टर को भारत के पावर ग्रिड से जोड़ना शामिल है वहीं तीसरा प्रोजेक्ट दोनों देशों के बीच गैस और तेल आपूर्ति के लिए पाइपलाइन बनाना है.
चीन कर रहा प्रभाव बढ़ाने की कोशिश
श्रीलंका अपने विदेशी कर्ज के बोझ से निपटने के लिए चीन पर निर्भर है. चीन ने साल 2006 से 2019 के बीच श्रीलंका के इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में करीब 12 बिलियन डॉलर का निवेश किया है. हालांकि भारत ने भी श्रीलंका को आर्थिक संकट के दौरान काफी मदद दी है, भारत सरकार ने अब तक श्रीलंका को 5 बिलियन डॉलर की लाइन ऑफ क्रेडिट और ग्रांट दिया है.
श्रीलंका में चीन के प्रमुख प्रोजेक्ट्स की बात करें तो सबसे अहम है हंबनटोटा बंदरगाह. श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह का निर्माण चीन ने किया है. इस बंदरगाह के लिए, श्रीलंका ने चाइना एक्स-इम बैंक से 1.2 बिलियन अमरीकी डॉलर उधार लिए थे. जिसके बाद साल 2017 में श्रीलंका ने इस बंदरगाह को चीन को 99 साल के पट्टे पर सौंप दिया था.
अब वह हंबनटोटा जैसा एक और बंदरगाह बनाने की प्लानिंग रहा है. इसके अलावा कोलंबो के बाहर रियल एस्टेट परियोजना और एक रडार बेस स्थापित करने की भी योजना है. इस रडार बेस के जरिए चीन भारतीय नौसेना की गतिविधियों और तमिलनाडु में बने दोनों परमाणु ऊर्जा संयंत्रों पर नजर रख सकेगा.
BRI का अहम हिस्सा है श्रीलंका
इसके अलावा चीन, श्रीलंका में कोलंबो पोर्ट सिटी का निर्माण कर रहा है, साल 2014 में इस प्रोजेक्ट की शुरुआत हुई थी, जिसे साल 2042 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. इसके अलावा श्रीलंका, चीन के महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) प्रोजेक्ट का भी अहम हिस्सा है. चीन इस प्रोजेक्ट के जरिए दो नए ट्रेड रूट विकसित कर रहा है जिसके तहत वह रेलवे, बंदरगाह, हाइवे और पाइपलाइन के नेटवर्क के जरिए अफ्रीका और यूरोप तक कनेक्टिविटी स्थापित करेगा.
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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम
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