Delhi-Ncr कौन हैं JNU प्रोफेसर, जिन्हें CBI ने किया गिरफ्तार, जानिए राजीव सिजारिया की पूरी कहानी- #INA
जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी. (फाइल फोटो)
सीबीआई ने भ्रष्टाचार के एक मामले में शनिवार को नेशनल असेसमेंट एंड एक्रेडिटेशन काउंसिल (एनएएसी) की निरीक्षण समिति के अध्यक्ष और जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) के एक प्रोफेसर समेत 10 लोगों को गिरफ्तार किया. उन्होंने बताया कि गिरफ्तार लोगों में आंध्र प्रदेश के गुंटूर स्थित कोनेरू लक्ष्मैया एजुकेशन फाउंडेशन (केएलईएफ) के कुलपति और दो अन्य अधिकारी भी शामिल हैं. इन सभी पर रिश्वत लेकर एक शिक्षण संस्थान को A++ रेटिंग देने के आरोप लगा है.
सीबीआई के मुताबिक केएलईएफ के अध्यक्ष कोनेरू सत्यनारायण, एनएएसी के पूर्व डिप्टी एडवाइजर एल मंजूनाथ राव, बेंगलुरु यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर एम. हनुमंथप्पा और एनएएसी के एडवाइजर एमएस श्यामसुंदर का नाम भी बतौर आरोपी एफआईआर में दर्ज किया गया है. हालांकि, उन्हें अब तक गिरफ्तार नहीं किया गया है.
कौन हैं राजीव सिजारिया
सीबीआई ने इस मामले में जेएनयू के प्रोफेसर राजीव सिजारिया को भी गिरफ्तार किया है. वह एनएएसी के कोऑर्डिनेटर के पद पर भी तैनात थे. जेएनयू की वेबसाइट से मिली जानकारी के अनुसार राजीव सिजारिया ने मैनेजमेंट-कंज्यूमर बिहेवियर में पीएचडी किया है. इससे पहले उन्होंने फिजिक्स-इलेक्ट्रॉनिक्स में एम.एससी. किया और मार्केटिंग मैनेजमेंट और ह्यूमन रिसोर्स मैनेजमेंट की डिग्री भी हासिल की है.
जानकारी के मुताबिक प्रोफेसर बनने से पहले राजीव सिजारिया ने चार साल कॉर्पोरेट की नौकरी भी की थी. वह एक अगस्त 1998 से सात अगस्त 2000 तक किर्लोस्कर ऑयल इंजन लिमिटेड, पुणे में डिप्टी एरिया मैनेजर के पद पर कार्यरत रहे. इसके बाद वह लुधियाना के माजेस्टिक ऑटो लिमिटेड में 9 अगस्त 2000 से 31 अगस्त 2002 तक सीनियर मार्केटिंग ऑफिसर के पद की जिम्मेदारी निभाई.
कई संस्थानों में रहे प्रोफेसर
राजीव सिजारिया ने अगस्त 2002 में सीनियर मार्केटिंग ऑफिसर की नौकरी छोड़ने के बाद सबसे पहले 11 सितंबर 2002 को झांसी के कॉलेज ऑफ साइंस एंड इंजीनियरिंग कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर एवं संस्थापक विभागाध्यक्ष, ह्यूमैनिटीज और मैनेजमेंट के तौर पर जॉइन किया. यहां सिजारिया ने 30 जून 2004 तक सेवा दी. इसके बाद वह कई कॉलेजों में अलग-अलग पदों पर काम करते रहे.
प्रोफेसर राजीव मेरठ की चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी में इंस्टीट्यूट ऑफ बिजनेस स्टडीज के चीफ और डिप्टी डायरेक्टर भी रहे. इसके बाद 5 दिसंबर 2020 को जेएनयू के अटल बिहारी वाजपेयी स्कूल ऑफ मैनेजमेंट एंड एंटरप्रेन्योरशिप में प्रोफेसर के पद पर उनकी नियुक्ति हुई. तब से वह यहीं पर कार्यरत थे. अब सीबीआई ने रिश्वतखोरी घोटाले में उन्हें गिरफ्तार कर लिया है. वहीं जेएनयू के कुलपति ने सोमवार को प्रोफेसर राजीव सिजारिया को निलंबित कर दिया.
क्या है पूरा मामला?
सीबीआई ने बताया कि एनएएसी निरीक्षण समिति के सदस्यों को (ए++) एक्रेडिटेशन (मान्यता) के लिए रिश्वत देने में कथित संलिप्तता के लिए केएलईएफ के कुलपति जीपी सारधी वर्मा, केएलईएफ के उपाध्यक्ष कोनेरू राजा हरीन, केएल यूनिवर्सिटी, हैदराबाद परिसर के डायरेक्टर ए. रामकृष्ण को गिरफ्तार किया है. एजेंसी ने एनएएसी निरीक्षण समिति के अध्यक्ष समरेंद्र नाथ साहा को भी गिरफ्तार किया है, जो रामचन्द्र चंद्रवंशी यूनिवर्सिटी के कुलपति भी हैं.
एजेंसी ने कहा कि समिति के सदस्य जेएनयू के प्रोफेसर राजीव सिजारिया, भारत इंस्टीट्यूट ऑफ लॉ के डीन डी. गोपाल, जागरण लेकसिटी यूनिवर्सिटी के डीन राजेश सिंह पवार, जीएल बजाज इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट के डायरेक्टर मानस कुमार मिश्रा, दावणगेरे यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर गायत्री देवराज और संबलपुर यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर बुलु महाराणा को भी गिरफ्तार किया गया है.
एजेंसी ने कहा कि मामले के संबंध में चेन्नई, बेंगलुरु, विजयवाड़ा, पलामू, संबलपुर, भोपाल, बिलासपुर, गौतमबुद्धनगर और नई दिल्ली में 20 स्थानों पर तलाशी ली गई. सीबीआई के एक प्रवक्ता ने कहा, 37 लाख रुपए नकद, छह लैपटॉप, एक आईफोन 16 प्रो मोबाइल फोन और अन्य आपत्तिजनक सामान बरामद किए गए हैं.
कौन हैं JNU प्रोफेसर, जिन्हें CBI ने किया गिरफ्तार, जानिए राजीव सिजारिया की पूरी कहानी
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