Political – दिल्ली सीएम रेस से बाहर हुए सभी सांसद, दावेदारों के लिस्ट में अब किनके-किनके नाम?- #INA

प्रवेश वर्मा

दिल्ली की सियासत में इस वक्त सिर्फ एक ही बात की चर्चा है कि मुख्यमंत्री कौन होगा. 27 साल के बाद दिल्ली की सत्ता में लौटी बीजेपी अब सरकार गठन के लिए जुट गई है. बीजेपी के नेता मुख्यमंत्री पद की रेस में हैं, जिसमें विधायक ही नहीं सांसद भी हैं. बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व ने अपने किसी भी सांसद को सत्ता की कमान नहीं सौंपी जाएगी. बल्कि, जीतकर आए विधायकों में से भी किसी को बागडोर दी जाएगी. इसके तहत सीएम की रेस से सांसद बाहर हो गए हैं, लेकिन इसके बाद भी मुख्यमंत्री पद के दावेदारों की फेहरिश्त कम नहीं हुई. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिरकार बीजेपी के किस नेता के सिर सत्ता का ताज सजेगा?

दिल्ली के विधानसभा चुनाव में बीजेपी बिना सीएम चेहरे के उतरी थी. पीएम मोदी के नाम और काम पर चुनाव लड़ी है. दिल्ली की कुल 70 विधानसभा सीटों में से 48 सीट जीतकर सत्ता में लौटी है. इस तरह से बीजेपी पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाने जा रही है, जिसके चलते ही पार्टी के कई नेता सीएम पद के लिए सियासी जोड़तोड़ में जुटे हुए हैं. बीजेपी नेतृत्व दिल्ली की बागडोर ऐसे चेहरे को सौंपना चाहती है, जो दिल्ली के सियासी समीकरण में फिट बैठने के साथ-साथ क्षेत्रीय बैलैंस को भी साध सकें.

सीएम की रेस से सांसद हो हए आउट

सूत्रों की मानें तो बीजेपी दिल्ली में अपने किसी भी सांसद को सीएम नहीं बनाएगी. बीजेपी अगर इस फार्मूले पर सीएम का चुनाव करती है तो पार्टी के कई बड़े नेताओं की उम्मीदों पर पानी फिर जाएगा. दिल्ली की सभी सातों संसदीय सीटों पर बीजेपी का कब्जा है. मनोज तिवारी से लेकर रामवीर सिंह बिधूड़ी और बांसूरी स्वराज के नामों के लेकर सियासी कयास लगाए जा रहे थे. इसके अलावा बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा के नाम की चर्चा भी तेज है. माना जा रहा था कि बीजेपी अगर दिल्ली में अपने सांसद या फिर पैराशूट नेता को सीएम के सत्ता की बागडोर सौंपेगी, लेकिन पार्टी शीर्ष नेतृत्व के फैसले के सांसदों के नाम की अटकलों पर विराम लग गया है.

दिल्ली में कौन होगा बीजेपी का सीएम

मुख्यमंत्री पद के दावेदार में नई दिल्ली विधानसभा सीट से पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल को हराने वाले प्रवेश वर्मा का है. प्रवेश वर्मा ने जीत दर्ज करने के साथ ही केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी. वहीं, मंगलवार को बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से दिल्ली से जीतने वाले 10 विधायकों ने मुलाकात की है. नवनिर्वाचित विधायक सिखा रॉय, सतीश उपाध्याय, अनिल शर्मा, अरविंदर लवली, अजय महावार, रेखा गुप्ता, अनिल गोयल के साथ जेपी नड्डा ने मुलाकात की थी. माना जा रहा है कि अगले एक-दो दिन जेपी नड्डा कुछ और विधायकों से वन-टू-वन मिलेंगे. 16 फरवरी को बीजेपी विधायक दल की बैठक हो सकती है, जिसमें मुख्यमंत्री के नाम पर मुहर लगेगी.

प्रवेश वर्मा के सिर सजेगा सत्ता का ताज?

अरविंद केजरीवाल को चुनावी शिकस्त देने के बाद प्रवेश वर्मा के सीएम बनने की सबसे ज्यादा कयास लगाई जा रही है. प्रवेश वर्मा जिन नई दिल्ली सीट से जीते हैं, उसे दिल्ली की सत्ता का धुरी माना जाता है. दिल्ली के 33 साल के सियासी इतिहास में 25 साल तक मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नई दिल्ली सीट से बने विधायक का कब्जा रहा है. 1998 से 2013 तक शीला दीक्षित नई दिल्ली सीट से विधायक रही हैं और दिल्ली की सीएम रहीं. ऐसे ही 2013 से 2024 के आखिर तक अरविंद केजरीवाल नई सीट से प्रतिनिधित्व करते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री रहे. शीला दीक्षित को हराकर अरविंद केजरीवाल दिल्ली के सीएम बने थे और अब केजरीवाल को चुनावी मात देने वाले प्रवेश वर्मा के नाम की चर्चा हो रही है.

प्रवेश वर्मा एक ताकतवर जाट नेता हैं, जो दिल्ली के गांवों से जुड़े हैं. दिल्ली में करीब 8 फीसदी जाट समाज का वोट है. इस बार बीजेपी के समर्थन में जाट समाज का अच्छा-खासा समर्थन मिला है. इसके चलते ही प्रवेश वर्मा के नाम की चर्चा सबसे ज्यादा है. इसके अलावा प्रवेश वर्मा के प्रभाव वाले बाहरी दिल्ली के गांवों वाले इलाके में बीजेपी को भरपूर समर्थन मिला. बाहरी दिल्ली की सातों सीटें बीजेपी की झोली में आ गईं. इस लिहाज से उन्हें मुख्यमंत्री की रेस में माना जा रहा.

दिल्ली के ग्रामीण इलाके में आम आदमी पार्टी का सफाया हो गया है. दिल्ली की किसी भी जाट बहुल सीट को आम आदमी पार्टी नहीं जीत सकी है. हरियाणा बार्डर से लगी ज्यादातर सीटें बीजेपी जीतने में सफल रही है. जाट समीकरण के चलते बीजेपी प्रवेश वर्मा को मुख्यमंत्री बनाकर जाट चेहरे के तौर पर उन्हें देश की राजनीति में आगे बढ़ा सकती है.

प्रवेश वर्मा को अमित शाह को नजदीकी माना जाता है और हिंदुत्व के मुद्दे आक्रामक राजनीति का चेहरा बनकर उभरे हैं. युवा हैं और दिल्ली की सियासी समीकरण में भी प्रवेश वर्मा फिट बैठते हैं, जिसके चलते सबसे प्रबल दावेदार उन्हें माना जा रहा है. प्रवेश वर्मा के पिता साहिब सिंह वर्मा दिल्ली के मुख्यमंत्री रह चुके हैं, उनके हाथों से सत्ता की बागडोर लेने के बाद ही 27 साल तक बीजेपी को वनवास दिल्ली में झेलना पड़ा है. ऐसे में अब जब बीजेपी सत्ता में लौटी है तो लंबे समय तक अपना दबदबा बनाए रखने की स्ट्रेटेजी बनाई है.

दलित चेहरे पर क्या खेलेगी दांव

दिल्ली के दलित बहुल सीटों पर बीजेपी का प्रदर्शन बहुत अच्छा नहीं रहा है. दिल्ली की दलित सुरक्षित 12 सीटों में से बीजेपी सिर्फ चार सीट ही जीत सकी है. कांग्रेस से बीजेपी में आए राजकुमार चौहान हैं, जो मंगोलपुरी सीट जीते हैं. इसके अलावा मादीपुर से आम आदमी पार्टी की राखी बिड़ला को हराने वाले कैलाश गंगवाल का नाम भी सीएम की रेस में माना जा रहा है तो बवाना से जीते रवि इंद्राज के नाम की चर्चा तेज है. दिल्ली में मुश्किल है कि बीजेपी किसी दलित को मुख्यमंत्री बनाने का दांव चले. दलित चेहरे के तौर पर किसी विधायक को बीजेपी मंत्रिमंडल में शामिल कर सकती है.

ब्राह्मण या वैश्य का दांव चलेगी

दिल्ली में बीजेपी के जीत और आम आदमी पार्टी की हार में दो अहम जातियों ने मुख्य किरदार निभाया है, जिसमें एक ब्राह्मण समुदाय है तो दूसरी वैश्य जाति. दिल्ली में ब्राह्मण 10 फीसदी से ज्यादा है तो वैश्य समाज की आबादी आठ फीसदी है. वैश्य समाज से विजेंद्र गुप्ता और रेखा गुप्ता का नाम चल रहा है. विजेंद्र गुप्ता रोहिणी सीट से लगातार तीसरी बार विधायक चुने गए हैं.

ब्राह्मण चेहरे के तौर पर सतीश उपाध्याय और पवन शर्मा को भी मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर देखा जा रहा है. सतीश ने AAP के क़द्दावर नेता सोमनाथ भारती को मालवीय नगर से हराया है. उत्तम नगर से जीत दर्ज करने वाले पवन शर्मा भी दिल्ली के सीएम पद के दावेदार हो सकते हैं.

वहीं, अगर बीजेपी दिल्ली में किसी महिला को मुख्यमंत्री बनाने का दांव चलती है तो उसमें शिखा राय और रेखा गुप्ता के नाम शामिल हैं. शिखा राय ने आम आदमी के दिग्गज नेता सौरभ भारद्वाज को हराया है. रेखा गुप्ता शालीमार बाग से चुनकर आई है.

बीजेपी की चार चुनी गई महिला विधायकों में से दोनों सबसे ज़्यादा अनुभवी हैं. इसीलिए उनके नाम की चर्चा भी तेज है. पूर्वांचली दांव बीजेपी अगर दिल्ली में चलती है तो लक्ष्मी नगर से जीते अभय वर्मा और करावल नगर से कपिल मिश्रा का हैं. इसके अलावा घोंडा से विधायक अजय महावर के नाम की चर्चा भी तेज है.

दिल्ली सीएम रेस से बाहर हुए सभी सांसद, दावेदारों के लिस्ट में अब किनके-किनके नाम?


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