सेहत – लार स्वास्थ्य के लिए क्यों आवश्यक है? इससे पेट, आंख और मुंह की समस्या कैसे दूर होती है?

सोशल मीडिया पर ऐसी कई रील्स वायरल हो रही हैं जिनमें बताया गया है कि सुबह बेसी लार को मुंहासों पर से वह ठीक हो जाते हैं। आयुर्वेद में लार को बहुत महत्वपूर्ण बताया गया है। ये पूरी बॉडी डेटाबेस रहती है। मुँह में पानी आना तो हमेशा पानी पीने की सलाह दी जाती है। यही नहीं सुबह खाली पेट पानी भी पीना कहा जाता है, ताकि पूरे देश में पेट भर सके। असली लार में ऐसे कई इलेक्ट्रोड, इलेक्ट्रोड और एंजाइम होते हैं जो स्वास्थ्य को ठीक करते हैं।

लार में क्या होता है
लार को लार भी कहते हैं. लार मुंह की लार ग्लैड में बनी होती है। इसमें पानी, इलेक्ट्रोलाइट्स, म्यूकस, प्रोटीन और एमिलेज और लाइसोजाइम नाम के एंजाइम होते हैं। लार में मौजूद एमिलेज एंजाइम में मौजूद कार्बोहाइड्रेट को ब्रेकडाउन करता है जबकि लाइसोजाइम में एंटी साइंटिन गुण होते हैं। लार में मौजूद साबलिहाज़ शरीर को बाहरी बैक्टीरिया से दूर रखा गया है। म्यूकस और प्रोटीनयुक्त खाद्य पदार्थों में ल्युब्रिकैनिकल यानि चिकने बनाए रखे जाते हैं, जिससे खाना पेट में बेचा जाता है।

खाली पेट पानी की दुकान क्यों चाहिए
बहुत से लोगों को सुबह-सुबह चाय ही चाहिए होती है। सुबह खाली पेट चाय फ़ार्मुली पेट की समस्या हो सकती है। आयुर्वेद डॉ. आचार्य एस.पी. शर्मा कहते हैं कि सुबह चाय पीने की जगह पर एक गिलास पानी की टंकी रखनी चाहिए। इससे बासी लार पेट में कोलेस्ट्रॉल होता है जिसमें अच्छे एंजाइम पेट में बने होते हैं और पाचन क्रियाओं को तोड़ दिया जाता है। जो लोग सुबह खाली पेट पानी पीते हैं, उन्हें गैस, ब्लोटिंग, अपच या लूज मोशन की सुविधा नहीं होती।

मुहँसे, फोड़े-फुंसियाँ ठीक हैं
लार में एंटीसेप्टिक जैसे गुण होते हैं जिससे मुंहासे, दाना, दादू या फुंसियां ​​दूर होती हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ़ एम्स्टर्डम हुई स्टडी के अनुसार लार में लाइसोजाइम एंजाइम पिंपल्स को ठीक करता है। असल मुहांसे तब होते हैं जब त्वचा से ज्यादा ऑयली हो, रोम छिद्र बंद हो जाए या एकने करने वाला त्वचा में मौजूद हो। लार स्किन को फ्री फॉर्म में बनाया गया है और रोम छिद्र को खोला गया है। त्वचा की सूजन कम हो जाती है जिससे त्वचा संबंधित दुष्प्रभाव दूर हो जाते हैं। वहीं, नेशनल सेंटर ऑफ बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन अध्ययन के अनुसार जब भी त्वचा में कोई संक्रमण होता है तो त्वचा में एसिडिक हो जाता है जबकि लार का अंश एल्केलाइन होता है जिससे त्वचा में एसिडिक का समावेश हो जाता है। इंसानों के लार में ऐसे कई प्रोटीन होते हैं जिससे घाव तक ठीक हो जाते हैं।

मौखिक स्वास्थ्य अच्छा रहता है
लार से खाने का टेस्ट तो पता चलता है लेकिन इससे मौखिक स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है। लार में मौजूद कैल्शियम, प्रोटीन, पोटैशियम दांतों के लिए सुरक्षा कवच बनाए जाते हैं जिससे दांतों को सुरक्षित रखा जा सकता है और संक्रमण दूर रहता है। इससे मसूड़े भी मजबूत आधार वाले हैं। इसके अलावा लार से मुंह में भी बदबू नहीं आती। लार खाने की आदत को और ख़राब बैक्टीरिया को ख़त्म कर दिया जाता है। हालाँकि जिन लोगों की लार अच्छे से नहीं बनती है, उनका मुँह से बदबूदार रहता है।

डार्क सर्कल हो जाते हैं गायब
लार से आंखों के नीचे दिखने वाले डार्क सर्कल्स का भी इलाज होता है। सुबह इन काले धब्बों पर बसी लार मलने से त्वचा का रंग पहले जैसा होता है। लार से आँखों की रौशनी भी बहुत है. राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान जिन लोगों के पास 1000 पाउंड (लगभग 1000 रुपये) हैं, उनके अनुसार यदि वह सिर्फ घर पर रहते हैं तो उनकी समस्या दूर हो जाती है।

अगर सॉल टाइम लार निकले तो ये बीमारी हो सकती है (Image-Canva)

कम लार बनें यह पर
कुछ लोगों का मुँह सूखा रहता है। ऐसा कई बार दवा खाने से या डिहाइड्रेशन से हो सकता है। मायो क्लिनिक के अनुसार मुहांसे का मतलब यह है कि लार कम बन रही है जो स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है। अगर ऐसा हो तो शुगर फ्री च्विंगम शोरूम। बहुत सारा पानी पीएं. एल्कोहल बेस्ड माउथवॉश से बचना चाहिए। कई बार कॉफी या चाय पीने से भी मुंह सूख जाता है। खाने में प्रमुख या मित्रवत से असंबद्ध। मुँह की जगह नाक से सांस लें.

रोग संरचना क्षमता प्रबल है
हमारा शरीर किसी भी बीमारी से बच पाता है, जब हमारा प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत हो। लार से सामर्थ्य मजबूत होती है। असली मुंह में म्यूकस की छुट्टी होती है। यह परतदार बाहरी वस्तु शरीर से दूर की कहानी है। वहीं लार में लार टपकती है, कोशिकाएँ होती हैं जो लार में लार टपकती हैं। यह रजिस्ट्रार म्यूज़ियम फ़्लोरिडा को होस्ट करता है। वहीं, लार खाने में मौजूद कुछ तत्वों से शरीर को नुकसान पहुंच सकता है। इससे लार हमारे इंटरनेट सिस्टम को दबाती है। इस प्रतिक्रिया से ठीक ही गले में या मुंह में एलर्जी हो जाए लेकिन शरीर को नुकसान नहीं पहुंचता।

लार परीक्षण से पता चलता है मोटापा!
सामान्य व्यवसायिक अनुसंधान चपी अध्ययन के अनुसार लार से यूरिक एसिड के स्तर और शरीर के फैट का पता पहले ही चल सकता है। इस अध्ययन में 14 से 17 साल के बच्चों को शामिल किया गया और उनकी लार तैयार की गई। लार से यूरिक एसिड का स्तर पता करके बच्चों के शरीर में वजन का भी पता लगाया जाता है। असली लार की जांच से ऐसे बस्ती का पता चला जिसमें कोई लक्षण नहीं थे। इसके अलावा इस टेस्ट से विटामिन डी और कोलेस्ट्रोल के लेवल की भी जांच हुई।


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