Nation- क्या समंदर में समा जाएगा कपिलाश्रम? सतयुग में यहां तप करने आए थे भगवान; हर साल लगता है गंगासागर मेला- #NA

गंगासागर में स्थापित भगवान कपिल का आश्रम
पश्चिम बंगाल के गंगासागर में स्थापित भगवान कपिल के आश्रम पर कलियुग की ढेढ़ी नजर है. सतयुग में भगवान कपिल की तपोस्थली रहे इस आश्रम पर खतरा मंड़राने लगा है. यह खतरा किसी इंसान से नहीं, बल्कि समंदर से है. समंदर की लहरें लगातार कटाव कर रही हैं. इसकी वजह से आश्रम की ओर जाने वाली सड़कें पहले ही ध्वस्त हो चुकी हैं. अब आशंका है कि यह आश्रम भी समंदर में समा सकता है. इसी पूर्णिमा पर ही समंदर में उठी लहरों ने आश्रम को बहुत नुकसान पहुंचाया है.
चाक नं. एक से लेकर स्नानघाट की सड़क पर समुद्र का कटाव हो रहा है. इसकी वजह से भगवान कपिल मुनि के मंदिर का अस्तित्व पर भयंकर खतरा मंडराने लगा है. अभी राज्य सरकार ने यहां गंगासागर मेला 2025 संपन्न तो कराया है. इसके लिए समुद्र तट के किनारे तटबंध और सड़कों की रिपेयरिंग कराई गई थी. बावजूद इसके स्नान घाट संख्या 2 और 3 को बंद करना पड़ा था. इसकी वजह से देश विदेश से आए तीर्थ यात्रियों को घाट संख्या 1, 5 और 6 पर स्नान करने के बाद कपिल मुनि मंदिर तक जाने के लिए दूसरे रास्तों से जाना पड़ा.
समुद्र की लहरों से क्षतिग्रस्त हुआ तटबंध
स्थानीय लोगों के मुताबिक इस बार पूर्णिमा के दिन समुंद्र की उफनती लहरों की वजह से कपिल मुनि आश्रम के सामने स्नान घाट 1 से 4 तक के तटवर्ती तटबंध बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए. इसकी वजह से कपिलमुनि आश्रम की समुंद्र से दूरी बहुत कम रह गई है. जिस प्रकार से यहां मौसम बदल रहा है और समुंद्र लगातार तेवर दिखा रहा है, उससे कपिलमुनि आश्रम की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई जा रही है. पश्चिम बंगाल में बीजेपी नेता अरुणाभ दास ने कहा कि राज्य सरकार ने गंगासागर मेले पर करोड़ों रुपये का खर्च किया, लेकिन यह सारा पैसा यहां के जमीनी नेता खा गए.
सतयुग से है आश्रम का अस्तित्व
इस आश्रम के प्रसंग श्रीमद भागवत और स्कंद पुराण के अलावा कई अन्य ग्रंथों में मिलते हैं. कपिल मुनि को भगवान नारायण का छठां अवतार माना जाता है. उनका प्रकाट्य कर्दम ऋषि और माता देवहूति के संयोग से हुआ था. श्रीमद भागवत में कथा आती है कि भगवन कपिल ने अपनी माता को सृष्टि और प्रकृति के 24 तत्त्वों का उपदेश किया और उसके बाद उत्तराखंड में आकर तपस्या करने लगे थे. उन्होंने ने ही भगवान राम के पूर्वज सगर के 100 पुत्रों को भस्म किया और उसके बाद यहां गंगासागर आ गए थे. इसके बाद भगीरथ अपने पुरखों को तर्पण के लिए गंगा को धरती पर ले आए. सांख्य दर्शन के प्रवर्तक कपिल मुनि ने कपिल गीता जैसी कई रचनाएं लिखी हैं.
क्या समंदर में समा जाएगा कपिलाश्रम? सतयुग में यहां तप करने आए थे भगवान; हर साल लगता है गंगासागर मेला
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