दुनियां – अमेरिका ने की चीन के दुश्मन की मदद तो ‘ड्रैगन’ ने ऐसे ले लिया बदला! – #INA

डोनाल्ड ट्रंप की जीत के बाद अमेरिका और चीन के बीच तनाव बढ़ा है. हाल ही में अमेरिका ने चीन के सबसे बड़े दुश्मन ताइवान के राष्ट्रपति के लिए न केवल रेड कार्पेट बिछाया बल्कि 385 मिलियन डॉलर के हथियारों की डील को मंजूरी भी दे दी.
अमेरिका के इस कदम से तिलमिलाए चीन ने गुरुवार से 13 अमेरिकी सैन्य फर्मों पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है. चीन, ताइवान को अपना अभिन्न अंग मानता है और इसकी स्वतंत्रता के किसी भी प्रयास का धुर विरोधी है.
चीन ने जताई थी कड़ी आपत्ति
गुरुवार को चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा कि अमेरिका ने ताइवान के राष्ट्रपति को अपने क्षेत्र से गुजरने की व्यवस्था की और हथियारों की डील को मंजूरी दी. इससे पहले भी चीन ने अमेरिका की ओर से ताइवान को एफ-16 जेट और रडार के लिए स्पेयर पार्ट्स और संभावित 385 मिलियन डॉलर के हथियारों की बिक्री को मंजूरी देने पर कड़ी आपत्ति जताई थी.
13 अमेरिकी सैन्य कंपनियों पर बैन
चीन के विदेश मंत्रालय ने बताया कि बैन वाली लिस्ट में टेलीडाइन ब्राउन इंजीनियरिंग इंक, ब्रिंक ड्रोन्स इंक और शील्ड एआई इंक शामिल हैं. इसके अलावा रैपिड फ्लाइट एलएलसी, रेड सिक्स सॉल्यूशंस, सिनेक्सस इंक, फायरस्टॉर्म लैब्स इंक, क्रेटोस अनमैन्ड एरियल सिस्टम्स इंक, हैवोक AI, नेरोस टेक्नोलॉजी, साइबरलक्स कॉर्पोरेशन, डोमो टैक्टिकल कम्युनिकेशंस और ग्रुप डब्ल्यू पर भी चीन ने प्रतिबंध लगाया है.
5 कंपनियों के अधिकारियों की संपत्ति जब्त
यही नहीं चीन रेथियॉन, BAE सिस्टम्स और यूनाइटेड टेक्नोलॉजी सहित 5 कंपनियों के 6 अधिकारियों की संपत्तियां भी जब्त करेगा और देश में उनके प्रवेश पर रोक लगाएगा. चीनी के किसी भी संगठन या व्यक्तिय को इनके साथ लेन-देन की इजाजत नहीं है.
चीन और ताइवान के बीच अदावत का लंबा इतिहास है. 1940 के दशक में जब चीन में वामपंथी सरकार आई तो राष्ट्रवादी गुट के बचे हुए लोग ताइवान द्वीप पर जाकर बस गए और इस पर चीन से स्वतंत्र हिस्से के तौर पर शासन चलाने लगे. लेकिन चीन अब भी ताइवान पर अपना दावा ठोकता है और इसकी आजादी के खिलाफ है.
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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम
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