दुनियां – सीरिया में ईरान को क्या मुस्लिम मुल्क ने दिया सदमा? बड़ा इशारा कर गए सुप्रीम लीडर खामेनेई – #INA

ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली खामेनेई ने सीरिया में हुए तख्तापलट पर अपना संबोधन दिया. उन्होंने अमेरिका और इजराइल पर असद सरकार के खिलाफ साजिश रचने का आरोप लगाया. खामेनेई ने कहा कि किसी को भी इस पर शक नहीं होना चाहिए कि सीरिया में जो कुछ भी हुआ वह अमेरिका और इजराइल की साजिश का हिस्सा है.
ईरान के सुप्रीम लीडर ने अपने संबोधन में अमेरिका और इजराइल को मुख्य साजिशकर्ता बताते हुए सीरिया के एक पड़ोसी मुल्क पर निशाना साधा है. उन्होंने किसी देश का नाम लिए बिना कहा कि, ‘सीरिया के एक पड़ोसी देश ने इस मामले में मुख्य भूमिका निभाई है, और वह ऐसा करना जारी रख रहा है, इसे हर कोई देख सकता है.’

A government in a neighboring country of Syria has played and is still playing a clear role in whats happening. However, the primary conspirators and control room are in the United States and the Zionist regime. We have evidence of this that leaves no room for doubt for anyone.
— Khamenei.ir (@khamenei_ir) December 11, 2024

सीरिया के किन पड़ोसी मुल्कों पर शक?
ईरान के सुप्रीम लीडर खामेनेई ने कहा कि हमारे पास इसके सबूत हैं जो किसी के लिए भी संदेह की कोई गुंजाइश नहीं छोड़ते, लिहाजा उनके इस बयान से सवाल उठ रहे हैं कि आखिर सुप्रीम लीडर का इशारा सीरिया के किस पड़ोसी मुल्क की ओर है? सीरिया की बॉर्डर रेखाओं पर नज़र डालें तो इसके पड़ोस में लेबनान, इजराइल, जॉर्डन, इराक और तुर्किए हैं. इस पूरे घटनाक्रम में इराक लगातार ईरान के संपर्क में रहा है और वह ईरान के फैसले का इंतजार भी करता रहा. वहीं लेबनान में हिजबुल्लाह की मौजूदगी की वजह से वह ईरान का भरोसेमंद है.
जॉर्डन या तुर्किए… किस मुल्क की ओर इशारा कर रहे खामेनेई?
सुप्रीम लीडर ने अपने संबोधन में खुले तौर पर इजराइल का नाम लिया है, लिहाजा अब बचते हैं जॉर्डन और तुर्किए. सीरिया में 27 नवंबर से जारी घटनाक्रम को लेकर तुर्किए पर लगातार आरोप लगते रहे हैं लेकिन खामेनेई के संबोधन के बाद शक की सुई जॉर्डन की ओर भी घूम गई है, ऐसा क्यों जानिए?
सीरिया में जॉर्डन ने किया ‘खेला’?
मिडिल ईस्ट में अरब देशों के बीच इजराइल एकलौता यहूदी देश है. ईरान इसके चारों ओर अपने प्रॉक्सी खड़े करने की कोशिश कर चुका है लेकिन एक इस्लामिक मुल्क ऐसा है जिसने कभी भी ईरान के मंसूबे को पूरा नहीं होने दिया. अप्रैल में जब ईरान ने सीरिया में उसके दूतावास के पास हुए हमले के जवाब में इजराइल पर कार्रवाई की तो जॉर्डन ने सुरक्षा कवच बनकर खड़ा हो गया. ईरान की ओर से दागे गए ज्यादातर ड्रोन और मिसाइलें जॉर्डन ने अपनी हवाई सीमा में ही मार गिराए. एक अक्टूबर को जब ईरान ने इजराइल पर करीब 180 बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं तब भी जॉर्डन ने इन्हें अपनी सीमा में ही इंटरसेप्ट करने की कोशिश की. हालांकि जॉर्डन का तर्क था कि ये मिसाइलें उसकी सीमा में गिर सकती थीं.
जॉर्डन के किंग अब्दुल्ला द्वितीय, अमेरिका के करीबी माने जाते हैं और इजराइल की खुलकर मदद करते रहे हैं. करीब सवा करोड़ की आबादी वाले सुन्नी बहुल अरब मुल्क जॉर्डन में अमेरिका का सैन्य अड्डा भी है, लेकिन हैरानी की बात है कि वह फिलिस्तीनियों के अधिकारों की पैरवी करते रहे हैं. जॉर्डन में सीरिया और फिलिस्तीनी शरणार्थियों की संख्या लाखों में है. इराक युद्ध, सीरिया गृह युद्ध और फिलिस्तीन पर इजराइली हमले ने जॉर्डन में शरणार्थियों की संख्या वहां की मूल आबादी के लगभग बराबर बढ़ा दी है. जॉर्डन की 1.15 करोड़ की आबादी में करीब 35 लाख फिलिस्तीन शरणार्थी और 10 लाख सीरियाई शरणार्थियों के होने का अनुमान लगाया जाता है.
असद के तख्तापलट का मास्टरमाइंड है तुर्किए?
तुर्किए, सीरिया का पड़ोसी मुल्क है और इसके साथ सीरिया की सबसे लंबी 909 किलोमीटर की सीमा लगती है. जॉर्डन की तरह तुर्किए भी सुन्नी बहुल मुल्क है. देश के राष्ट्रपति रेचेप तैयप एर्दोआन, फिलिस्तीन के मुद्दे को लेकर इजराइल पर काफी हमलावर रहे हैं लेकिन उन पर आरोप हैं कि गाजा पर इजराइली हमले के बावजूद वो तेल अवीव के साथ व्यापारिक संबंध बनाए हुए थे. उन्होंने हाल ही में इजराइल के साथ सभी संबंधों को खत्म करने का ऐलान किया था लेकिन आरोप हैं कि एर्दोआन सीरिया के मुद्दे पर पर्दे के पीछे से इजराइल और अमेरिका का साथ दे रहे थे.
दरअसल तुर्किए में करीब 32 लाख सीरियाई शरणार्थी रहते हैं, जो मुल्क के लिए एक बड़ा स्थानीय संकट बन चुके हैं. इसके अलावा सीरिया बॉर्डर पर मौजूद कुर्द लड़ाके भी उसके लिए बड़ा खतरा बने हुए हैं. सीरिया में तख्तापलट से इजराइल के बाद अगर किसी को बड़ा फायदा होता दिख रहा है तो वह तुर्किए है. एर्दोआन समर्थित लड़ाके और तुर्किए की सेना ने भी उत्तरी सीरिया में कुर्द विद्रोही गुटों के खिलाफ हमले शुरू कर दिए हैं. वहीं मंगलवार को तुर्किए के राष्ट्रपति ने ऐलान किया था कि वह सीरियाई शरणार्थियों की सुरक्षित और स्वैच्छिक वापसी के लिए सीरिया के साथ अपनी यायलादागी सीमा को खोलने जा रहे हैं.

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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम

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