दुनियां – ईरान: राष्ट्रपति पेजेश्कियान की सुप्रीम लीडर खामेनेई से बगावत… नए हिजाब कानून को लागू करने से इनकार – #INA

ईरान में नए हिजाब कानून को लेकर राष्ट्रपति पेजेश्कियान और सुप्रीम लीडर खामेनेई के बीच तनाव बढ़ गया है. उदारवादी छवि वाले राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियान ने साफ कर दिया है कि वह इस कानून को लागू नहीं कर सकते.
उधर सार्वजनिक और वैश्विक विरोध के बाद ईरान ने विवादास्पद हिजाब कानून के कार्यान्वयन को आधिकारिक तौर पर स्थगित कर दिया है, इस कानून में हिजाब न पहनने वाली महिलाओं और लड़कियों के लिए मौत की सज़ा जैसा कठोर प्रावधान किया गया था.
हिजाब कानून लागू करने से इनकार
ईरान के सुधारवादी नेता अली शकोरी-रैड ने जानकारी दी है कि राष्ट्रपति पेजेश्कियान ने सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली खामेनेई से साफ कह दिया है कि वह इस कानून को लागू नहीं करने जा रहे हैं. रैड के मुताबिक पेजेश्कियान ने खामेनेई से कहा है कि, ‘अगर नया हिजाब कानून लागू किया जाता है, तो इससे ईरान को भारी नुकसान होगा और इस कारण से मैं इसे लागू नहीं कर सकता.’
रिपोर्ट्स के मुताबिक सुप्रीम लीडर खामेनेई से राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियान की इस बातचीत के बाद ही नए हिजाब कानून को स्थगित करने का फैसला किया गया है. इससे पहले ईरान के एक्टिविस्ट और महिला अधिकारों की वकालत करने वालों ने राष्ट्रपति पेजेश्कियान से अपील की थी कि वह अपने अधिकारों का इस्तेमाल कर इस कानून को प्रभावी होने से रोकें.
संसद में लाया जाएगा संशोधित विधेयक
ईरान की सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद ने शनिवार को संसद को लिखे एक पत्र में अनुरोध किया कि ‘हिजाब और शुद्धता’ कानून को लागू करने की प्रक्रिया को रोक दिया जाए ताकि सरकार, संसद में एक संशोधित विधेयक पेश कर सके.
ईरान में अनिवार्य हिजाब से जुड़े नए कानून को बीते हफ्ते ही प्रभावी होना था, लेकिन राष्ट्रपति पेजेश्कियान के इनकार करने से ऐसा नहीं हो सका. इस्लामिक गणराज्य के इस नए कानून में हिजाब का विरोध करने वाली महिलाओं पर करीब 20 महीने की सैलरी के बराबर जुर्माना, जेल की सजा, कोड़े मारना और यहां तक ​​कि मौत की सज़ा भी शामिल है. अब देखना होगा कि राष्ट्रपति के इनकार के बाद सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद इसमें किस तरह का बदलाव करने जा रही है.
विवादित हिजाब कानून की आलोचना
एमनेस्टी इंटरनेशनल ने नए कानून की निंदा करते हुए कहा कि यह महिलाओं और लड़कियों के उत्पीड़न को बढ़ाता है, जबकि नियमों का विरोध करने वाले लोगों को मौत की सज़ा के आरोपों में फंसाता है.
अमेरिका में रहने वाली ईरानी पॉलिटिकल एक्सपर्ट मैरी मोहम्मदी का कहना है कि इस कानून का मकसद महिलाओं के संघर्ष को महंगा बनाकर उसे रोकना है. उन्होंने कहा कि, यह कानून महिलाओं की मांगों को आगे बढ़ने से रोकने, प्रशासन के वैचारिक समर्थकों का उत्साह बढ़ाने, रोजमर्रा की जिंदगी में संघर्ष पैदा कर समाज की सोच को खत्म करने और महिलाओं की क्रांतिकारी क्षमता को कमजोर करने की कोशिश है.

Copyright Disclaimer Under Section 107 of the Copyright Act 1976, allowance is made for “fair use” for purposes such as criticism, comment, news reporting, teaching, scholarship, and research. Fair use is a use permitted by copyright statute that might otherwise be infringing. Non-profit, educational or personal use tips the balance in favor of fair use.

सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम

Source link

Back to top button
Close
Crime
Social/Other
Business
Political
Editorials
Entertainment
Festival
Health
International
Opinion
Sports
Tach-Science
Eng News