दुनियां – मॉस्को बम धमाका: रूसी जनरल इगोर किरिलोव की मौत, रूस ने पश्चिमी देशों की साजिश बताया – #INA
रूस की राजधानी मॉस्को रविवार को एक भीषण बम धमाके से दहल उठी. रूस सेना के हाई रैंकिंग जनरल और उनके असिस्टेंट की इस विस्फोट में मौत हो गई है. रूस के लिए हाई रैंक अधिकारी की मौत को एक बड़े नुकसान के तौर पर देखा जा रहा है.
रूस की जांच कमेटी ने बताया कि न्यूक्लियर, बायोलॉजिकल, केमिकल डिफेंस फोर्स (NBC) के चीफ लेफ्टिनेंट जनरल इगोर किरिलोव मंगलवार को सुबह एक रेसिडेंस ब्लॉक से निकल रहे थे, तभी एक स्कूटर में छिपाए गए बम में विस्फोट हो गया, जिससे उनकी मौत हो गई है.
विस्फोट के बाद आई तस्वीरों में बिल्डिंग के दरवाजे को बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुआ देखा जा सकता है. साथ ही आसपास की खिड़कियों के शीशे भी टुटे हुए हैं और दो बॉडी बैग भी रखे हैं.
जनरल पर लगे थे प्रतिबंध
अक्टूबर में ब्रिटेन ने किरिलोव पर प्रतिबंध लगाए थे. ब्रिटेन ने प्रतिबंध लगाते हुए कहा था कि उन्होंने यूक्रेन में केमिकल हथियारों के इस्तेमाल की निगरानी की थी और क्रेमलिन के दुष्प्रचार के लिए एक महत्वपूर्ण मुखपत्र के रूप में काम किया है. सोमवार को यूक्रेन की खुफिया एजेंसी SBU ने भी उन पर आरोप लगाया और टेलीग्राम पर कहा कि वह प्रतिबंधित रासायनिक हथियारों के बड़े पैमाने पर इस्तेमाल के लिए जिम्मेदार थे.
कैसे हुए हमला?
मास्को पुलिस और जांचकर्ताओं ने इस घटना को सुनियोजित हत्या करार दिया है. विस्फोट मॉस्को के दक्षिण-पूर्वी रिहायशी इलाके में हुआ. बम एक इलेक्ट्रिक स्कूटर में लगाया गया था, जिसमें लगभग 200 ग्राम टीएनटी का उपयोग किया गया था. धमाके में जनरल किरिलोव और उनके सहायक की घटनास्थल पर ही मौत हो गई. रूसी जांच समिति ने इस घटना पर हत्या का मामला दर्ज किया है और जांच तेजी से चल रही है. पुलिस कैमरों की फुटेज को जब्त कर संदिग्धों की तलाश में जुटी है.
जनरल इगोर किरिलोव कौन थे?
लेफ्टिनेंट जनरल इगोर किरिलोव की उम्र 54 साल थी. वह रूस की रेडिएशन, केमिकल और बायोलॉजिकल डिफेंस ट्रूप्स के चीफ थे. उनको एक निडर और साहसी सैन्य अधिकारी के तौर पर जाना जाता था, जिन्होंने अमेरिकी और पश्चिमी देशों की कथित जैविक और रासायनिक हथियार परियोजनाओं के खिलाफ कई सनसनीखेज खुलासे किए हैं. इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वह एक विवादित लेकिन प्रभावशाली शख्सियत थे.
Copyright Disclaimer Under Section 107 of the Copyright Act 1976, allowance is made for “fair use” for purposes such as criticism, comment, news reporting, teaching, scholarship, and research. Fair use is a use permitted by copyright statute that might otherwise be infringing. Non-profit, educational or personal use tips the balance in favor of fair use.
सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम
Source link