World News: 10 साल यूक्रेन का फायदा और फिर अमेरिका का हिस्सा! आसान भाषा में समझें ट्रंप-जेलेंस्की की ‘बिग डील’ – INA NEWS

रूस से जंग झेल रहे यूक्रेन और अमेरिका के बीच एक मिनरल डील पर सहमति बनी है. इसने अंतरराष्ट्रीय कूटनीति और युद्ध रणनीति में नई हलचल पैदा कर दी है. यह समझौता अमेरिका को यूक्रेन के नेचुरल मिनरल में सीमित साझेदारी देगा. इससे एक निवेश कोष के जरिये आर्थिक पुनर्निर्माण और सामरिक सहयोग की नींव रखी जाएगी.

राष्ट्रपति जेलेंस्की और प्रधानमंत्री डेनीस श्मिहाल के मुताबिक, यह डील भविष्य के मुनाफे को साझा करने और अमेरिका की सैन्य सहायता को बनाए रखने के उद्देश्य से की गई है, लेकिन इसके पीछे कई रणनीतिक चालें और सख्त शर्तें भी छिपी हैं. आइए नीचे दिए गये एक-एक पॉइंट्स को समझते हैं, और जानने की कोशिश करते हैं कि ये डील मजबूती के लिए हुई है या फिर मजबूरी में की गई है.

10 साल बाद US का कितना हिस्सा?

इस डील में सबसे अहम बात यह है कि अगले 10 सालों तक खनिजों से होने वाला मुनाफा पूरी तरह यूक्रेन की अर्थव्यवस्था में ही पुनर्निवेश होगा. इसका मतलब यह है कि अमेरिका को तत्काल कोई आर्थिक लाभ नहीं मिलेगा. लेकिन इसके बाद, यानी 10 साल बाद, मुनाफे को यूक्रेन और अमेरिका के बीच बांटा जा सकता है. हालांकि यह शर्त अभी अंतिम समझौते में शामिल नहीं है और इसे आगे एक ‘तकनीकी’ समझौते के तहत जोड़ा जा सकता है.

कैसी है ट्रंप और जेलेंस्की की पार्टनरशिप?

इस डील की एक खास बात यह है कि अमेरिका को यूक्रेन के तेल, गैस और अन्य खनिजों तक भी सीमित साझेदारी में पहुंच मिलेगी. इन सभी संसाधनों पर यूक्रेन की मालिकाना हक बरकरार रहेगी, लेकिन अमेरिका उन्हें निकालने, निवेश करने और तकनीकी सहायता देने में भागीदार रहेगा. यह प्रावधान पहले के ड्राफ्ट में शामिल नहीं था, लेकिन बाद में इसे जोड़ा गया, जिससे यूक्रेनी पक्ष की ओर से कुछ नरमी दिखी.

EU की खटपट से डील पर क्या होगा असर?

यूक्रेन की यूरोपीय संघ (EU) में सदस्यता की महत्वाकांक्षा को देखते हुए, इस डील में यह भी स्पष्ट किया गया है कि यह समझौता EU की शर्तों के खिलाफ नहीं जाएगा. अगर EU सदस्यता के दौरान किसी नई बाध्यता की वजह से यूक्रेन को डील की शर्तों में बदलाव करना पड़े, तो अमेरिका ‘अच्छे इरादे’ से बातचीत के लिए सहमत होगा. इससे यह सुनिश्चित किया गया है कि डील, यूक्रेन की दीर्घकालिक विदेश नीति में रुकावट न बने.

रिटर्न ऑन इन्वेस्टमेंट के कितने आसार?

ट्रंप प्रशासन इस डील को अमेरिकी करदाताओं के लिए ‘रिटर्न ऑन इन्वेस्टमेंट’ के रूप में प्रचारित कर रहा है. हालांकि ट्रंप ने पहले यह मांग की थी कि यूक्रेन को अमेरिका द्वारा दी गई 350 अरब डॉलर की सहायता की भरपाई करनी चाहिए, लेकिन प्रधानमंत्री श्मिहाल के मुताबिक, डील में इस तरह की कोई भुगतान शर्त नहीं है. यह बात उन यूक्रेनवासियों को राहत देती है जो मानते हैं कि वे सिर्फ अपने लिए नहीं, बल्कि पश्चिमी दुनिया के लिए भी रूस से लड़ रहे हैं.

मिनरल दिए लेकिन सुरक्षा गारंटी नहीं मिली

हालांकि डील सैन्य सहयोग को फिर से मजबूत करने का इशारा देती है, लेकिन अमेरिका की ओर से कोई ठोस सुरक्षा गारंटी नहीं दी गई है. ट्रंप लंबे समय से यूक्रेन को वैसी ही सुरक्षा गारंटी देने से कतराते रहे हैं जैसी बाइडेन प्रशासन देता रहा है. इस डील के जरिये अमेरिका ने आर्थिक सहयोग तो सुनिश्चित किया है, लेकिन यह समर्थन कभी भी वापस लिया जा सकता है, जिससे कीव की चिंताएं बनी हुई हैं.

जेलेंस्की के लिए कुछ भी आसान नहीं

वहीं, क्रिवी रीह से आने वाले राष्ट्रपति जेलेंस्की के लिए यह डील एक घरेलू राजनीतिक चुनौती भी है. यूक्रेन के खनिज संसाधन जैसे कोयला, लोहा और अब दुर्लभ खनिज लंबे समय से देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ रहे हैं. अब उन्हें अमेरिकी साझेदारी में लाने का फैसला जहां एक ओर आर्थिक पुनर्निर्माण का रास्ता खोलता है, वहीं दूसरी ओर देश की सम्प्रभुता और संसाधनों पर नियंत्रण को लेकर कई सवाल भी खड़े करता है.

मजबूती या मजबूरी की डील?

डील के राजनीतिक असर की बात करें तो ट्रंप और जेलेंस्की के रिश्ते पहले से ही तनावपूर्ण रहे हैं. ट्रंप ने जेलेंस्की पर ‘तीसरे विश्व युद्ध’ की ओर बढ़ने का आरोप लगाया था, जबकि जेलेंस्की ने ट्रंप को ‘मास्को समर्थक’ मानसिकता से ग्रसित बताया था. बावजूद इसके, दोनों नेताओं को एक-दूसरे की जरूरत है. ट्रंप को अपनी शांति योजना के लिए और जेलेंस्की को रूस पर दबाव बनाए रखने के लिए. यही कारण है कि यह डील सिर्फ आर्थिक नहीं, बल्कि सामरिक और कूटनीतिक मोर्चे पर भी बेहद अहम मानी जा रही है.

10 साल यूक्रेन का फायदा और फिर अमेरिका का हिस्सा! आसान भाषा में समझें ट्रंप-जेलेंस्की की ‘बिग डील’


देश दुनियां की खबरें पाने के लिए ग्रुप से जुड़ें,

#INA #INA_NEWS #INANEWSAGENCY
Copyright Disclaimer :-Under Section 107 of the Copyright Act 1976, allowance is made for “fair use” for purposes such as criticism, comment, news reporting, teaching, scholarship, and research. Fair use is a use permitted by copyright statute that might otherwise be infringing., educational or personal use tips the balance in favor of fair use.
Credit By :-This post was first published on https://www.tv9hindi.com/, we have published it via RSS feed courtesy of Source link,

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Close
Crime
Social/Other
Business
Political
Editorials
Entertainment
Festival
Health
International
Opinion
Sports
Tach-Science
Eng News