World News: शेख हसीना के बाद खालिदा जिया… क्या बांग्लादेश में ये राजनीति के नए युग की शुरुआत है? – INA NEWS

बांग्लादेश में अंतरिम सरकार सत्ता में है, लेकिन शीर्ष नेताओं का लगातार देश छोड़ना एक बड़ा सवाल बन गया है. शेख हसीना के बाद अब पूर्व पीएम खालिदा जिया भी देश छोड़ चुकी हैं. मुश्किल दौर से गुजर रहे बांग्लादेश की सरकार जब चुनावों की तरफ देख रही है, ऐसे में दो प्रमुख दलों के नेताओं का देश में न होना कई सवाल खड़े कर रहा है.
खालिदा जिया मंगलवार को लंदन रवाना हो चुकी हैं. अपनी रवानगी की वजह उन्होंने बीमारी बताई है, हालांकि राजनीतिक उथल पुथल के दौर से गुजर रहे बांग्लादेश से इस तरह जिया खालिद का जाना बांग्लादेश की राजनीति के लिए सही नहीं माना जा रहा है. दरअसल बांग्लादेश की राजनीति पर लंबे समय तक दो महिलाओं ने राज किया है, इनमें शेख हसीना के बाद दूसरा नाम खालिदा जिया का ही है. खालिदा बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी की प्रमुख हैं.
चुनाव कराने की तैयारी कर रही है अंतरिम सरकार
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार चुनाव कराने की तैयारी में जुटी है, माना जा रहा है कि इस साल के अंत तक या अगले साल के पहले तीन माह में चुनाव कराए जा सकते हैं. लंबे समय से देश में शेख हसीना की बांग्लादेश आवामी लीग और खालिदा जिया की बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी एक दूसरे की प्रतिद्वंदी रही हैं. चुनाव से पहले शेख हसीना की वतन वापसी मुश्किल लग रही है, खालिदा जिया के बारे में भी यही बात समझ में आ रही है. ऐसे में अगर देश में चुनाव होते हैं और दोनों ही प्रमुख दलों की प्रमुख नेता अनुपस्थित रहते हैं तो यह देश की राजनीति के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है.
शेख हसीना को छोड़ना पड़ा था देश
बांग्लादेश आवामी लीग लंबे समय तक से बांग्लादेश की सत्ता पर काबिज थी और शेख हसीना पीएम थीं. हालांकि पिछले साल अगस्त में छात्र आंदोलन के बाद बांग्लादेश में आक्रोश ऐसा उभरा कि उन्हें देश छोड़कर भागना पड़ा था. फिलहाल वह भारत में हैं, बांग्लादेश की अंतरिम सरकार लगातार उन पर मुकदमा चलाने के लिए प्रत्यर्पण की मांग कर रही है. उनका पासपोर्ट भी रद्द किया जा चुका है. हालांकि भारत ऐसा नहीं कर रहा है. भारत सरकार ने हाल ही में उनका वीजा फिर बढ़ा दिया है.
खालिदा जिया पर क्या सोचती है युनुस सरकार?
खालिदा जिया 2001 से 2006 तक बांग्लादेश की पीएम रहीं थीं. हालांकि पीएम पद पर रहने के दौरान उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे. शेख हसीना ने सरकार में आने के बाद उन पर मुकदमा चलाया था और भ्रष्टाचार के दो मामले में दोषी पाते हुए उन्हें 17 साल जेल की सजा सुनाई थी. अंतरिम सरकार बनने के बाद इसमें से एक मामले में खालिदा जिया को माफी दे दी गई और दूसरे मामले में सुनवाई जारी है.
महफूज आलम बन सकते हैं किंगमेकर
छात्र आंदोलन के प्रमुख अगुवा रहे महफूज आलम बांग्लादेश चुनाव में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं, दरअसल महफूज आलम वर्तमान अंतरिम सरकार में स्पेशल असिस्टेंट की भूमिका में हैं. ऐसा कहा जाता है कि युनुस हर मामले में महफूज आलम की सलाह लेते हैं. शेख हसीना के देश छोड़ने के तत्काल बाद महफूज आलम ने नई पार्टी बनाने का ऐलान किया था, और ये कहा था कि देश को दो दलों की व्यवस्था से बाहर निकलना चाहिए. ऐसे में माना जा रहा है कि महफूज आलम भी चुनाव में नया दल बनाकर उतर सकते हैं.
क्या ये नई राजनीति का उदय है?
चुनाव तक अगर खालिदा जिया और शेख हसीना की वापसी नहीं होती तो निश्चित तौर पर बांग्लादेश के दो प्रमुख दल बांग्लादेश आवामी लीग और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी कमजोर होंगे, ऐसे में नए दलों को अपना प्रभाव बढ़ाने का मौका मिल सकता है, खासतौर से अगर महफूज आलम अपनी पार्टी बनाते हैं तो चुनाव में वह सबसे बड़े दल के तौर पर उतर सकते हैं. इसके अलावा जातीय पार्टी, लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी, बांग्लादेशी कम्युनिस्ट पार्टी, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ बांग्लादेश समेत कई दल हैं जो अपना प्रभाव बढ़ा सकते हैं.
पाकिस्तान की समर्थक है BNP
बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी और उसकी प्रमुख खालिदा जिया को पाकिस्तान समर्थक माना जाता है, देश की आंतरिक सरकार भी इस समय पाकिस्तान के साथ संबंध सुधारने में लगी है. ऐसे में माना जा रहा है कि बीएनपी और अंतरिम सरकार एक ही विचारधारा के साथ काम कर रहे हैं. इसके बावजूद खालिदा जिया का देश से बाहर जाना विदेशी मामलों के जानकारों के लिए चौंकाने वाला है.
शेख हसीना के बाद खालिदा जिया… क्या बांग्लादेश में ये राजनीति के नए युग की शुरुआत है?
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