World News: बांग्लादेश कोर्ट का बड़ा फैसला, ULFA नेता परेश बरुआ की फांसी की सजा रद्द – #INA
बांग्लादेश की अदालत ने भारत विरोधी संगठन उल्फा के प्रमुख परेश बरुआ की मौत की सजा को निलंबित कर दिया है. बांग्लादेश के उच्च न्यायालय ने चटगांव हथियार तस्करी मामले में सजा को घटाकर आजीवन कारावास करने का आदेश दिया, लेकिन इतना ही नहीं कोर्ट ने एक पूर्व मंत्री समेत 6 अन्य लोगों को भी बरी कर दिया.
विशेषज्ञों के मुताबिक बांग्लादेश में अशांति बीच हाई कोर्ट का फैसला बड़ा है. न्यायमूर्ति मुस्तफा जमान इस्लाम और नसरीन अख्तर की पीठ ने चटगांव हथियार तस्करी मामले में प्रतिवादियों की अपील के आधार पर सुनवाई के बाद यह फैसला सुनाया.
बता दें कि परेश बरुआ भारत विरोधी गतिविधियों का संचालन करते थे और असम में भारत विरोधी गतिविधियों को मदद देते थे. उस दौरान असम में उग्रवाद को काफी बढ़ावा दिया था.
10 ट्रक हथियार से हुए थे गिरफ्तार
गौरतलब है कि 2004 में बीएनपी-जमात गठबंधन सरकार के दौरान बांग्लादेश पुलिस ने आधी रात को चटगांव में कर्णफुली नदी के किनारे जेट घाट से हथियारों से भरे 10 ट्रक बरामद किए थे. बाद में जांच से पता चला कि चीन निर्मित हथियारों की तस्करी मुख्य रूप से भारत विरोधी गतिविधियों के लिए की जा रही थी.
इस घटना में परेश बरुआ, बीएनपी नेता लुत्फुज्जमां बाबर समेत कुल 50 लोग शामिल थे. उस मामले में फैसला सुनाते समय परेश बरुआ की सजा पहले ही कम कर दी गई थी. राज्य के पूर्व मंत्री लुतफुज्जमां बाबर को बरी कर दिया गया. इस महीने की शुरुआत में, उन्हें एक अन्य मामले में बरी कर दिया गया, जिससे उनकी जान मौत की सजा से बच गई.
कोर्ट से फैसले से बढ़ी भारत की चिंता
बता दें कि बांग्लादेश में जारी अशांति के बीच इस फैसले ने भारत की चिंता बढ़ा दी है. परेश बरुआ इस देश के उत्तर-पूर्व में अपनी आतंकवादी गतिविधियां जारी रखता है. ऐसे में विशेषज्ञों का मानना है कि भारत में आतंकी हमलों का खतरा नए सिरे से बढ़ गया है. इस संदर्भ में अंतरराष्ट्रीय संबंध विशेषज्ञ राजगोपाल धर चक्रवर्ती ने फिर कहा, “इस फैसले के माध्यम से, यह व्यावहारिक रूप से स्पष्ट है कि जो लोग वर्तमान में भारत विरोधी हैं, वे ही बांग्लादेश से सम्मान के पात्र हैं.”
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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम
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