World News: बस दे दीजिए ये दो सपोर्ट, फिर पाकिस्तान को… तालिबान ने भारत से मांगी मदद – INA NEWS

तालिबान के नेतृत्व वाले अफगानिस्तान ने भारत से औपचारिक रूप से दो बड़े सपोर्ट की मांग की है. मरीजों के इलाज के लिए मेडिकल वीजा और कारोबारियों को व्यापारिक वीजा. यह अपील अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी और भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर के बीच हुई हाई-लेवल टेलीफोनिक बातचीत के दौरान सामने आई. मौजूदा हालात में जब पाकिस्तान से तालिबान के रिश्ते चरमरा रहे हैं, तब भारत की ओर अफगान नजरें उम्मीद से देख रही हैं.

तालिबान ने भारत से कहा कि अफगानिस्तान के आम लोग, खासकर कारोबारी और बीमार नागरिक, भारत में व्यापार और इलाज की सुविधा के इच्छुक हैं. अफगान विदेश मंत्रालय के अनुसार, मुत्ताकी ने जयशंकर से अनुरोध किया कि भारत वीजा प्रक्रिया को आसान बनाए. साथ ही भारत में कैद कुछ अफगान नागरिकों को रिहा कर उनके देश वापस भेजने की अपील भी की गई.

विदेश मंत्रियों ने इन मुद्दों पर भी की चर्चा

इस बातचीत के दौरान दोनों देशों ने चाबहार पोर्ट के सामरिक महत्व को रेखांकित किया और इस क्षेत्रीय कनेक्टिविटी हब को तेजी से विकसित करने की सहमति जताई. अफगानिस्तान ने यह भी स्पष्ट किया कि वह संतुलित विदेश नीति और रचनात्मक संबंधों के पक्ष में है. मुत्ताकी ने भारत को क्षेत्रीय स्थिरता में महत्वपूर्ण भागीदार बताते हुए विश्वास जताया कि अफगान-भारत संबंध और मजबूत होंगे.

भारत के लिए आसान क्यों नहीं?

भारत के लिए चुनौती यह है कि उसने अभी तक तालिबान सरकार को औपचारिक रूप से मान्यता नहीं दी है. साथ ही भारतीय खुफिया एजेंसियों ने वीजा के संदर्भ में सुरक्षा चिंताओं को भी उजागर किया है. मौजूदा समय में भारत का काबुल में कोई कार्यरत वाणिज्य दूतावास नहीं है, जिससे वीजा प्रक्रिया ठप पड़ी है. 2021 में तालिबान के सत्ता में आने के बाद भारत ने पुराने सभी वीजा रद्द कर दिए थे और केवल e-Emergency X-Misc वीजा के जरिए कुछ अफगानों को प्रवेश की इजाजत दी थी.

तालिबान ने भारत को दिया भरोसा

तालिबान ने भारत को भरोसा दिलाया है कि वीजा पाने वाले नागरिकों की सख्त जांच की जाएगी ताकि कोई सुरक्षा जोखिम न हो. अफगान प्रवक्ता हाफिज जिया अहमद के अनुसार, दोनों पक्ष व्यापार और वीजा सुविधाओं को आसान बनाने पर सहमत हुए हैं. हालांकि भारत की ओर से जारी आधिकारिक बयान में वीजा पर सीधा जिक्र नहीं है, लेकिन अफगान विकास में सहयोग देने की प्रतिबद्धता दोहराई गई है.

इस पूरी कवायद के बीच यह साफ हो गया है कि अफगानिस्तान पाकिस्तान से खफा है और भारत के साथ संबंधों को नई दिशा देना चाहता है. भारत की ओर से यदि व्यापारिक और चिकित्सा वीजा की सुविधा बहाल होती है, तो यह न केवल अफगानों के लिए राहत होगी बल्कि भारत को क्षेत्रीय नेतृत्व की भूमिका में भी मजबूत करेगी. साथ ही पाकिस्तान को भी इससे कड़ा संदेश जाएगा कि अफगानिस्तान अब उसके भरोसे नहीं है.

बस दे दीजिए ये दो सपोर्ट, फिर पाकिस्तान को… तालिबान ने भारत से मांगी मदद


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