World News: Code NATO WiFi… रूस में तबाही और खलबली के पीछे है ये ‘हथियार’, जानें यूक्रेन कैसे भेद रहा सटीक टारगेट – INA NEWS

यूक्रेन ने रूस के 4 एयरबेस और एक न्यूक्लियर नेवल बेस पर हमले किए. इससे बड़ा नुकसान अबतक रूस को नहीं हुआ है, लेकिन इस ऑपरेशन की शुरुआत 31 मई की रात को हो चुकी थी. यूक्रेनी खुफिया एजेंसी ने एकसाथ कई मोर्चों पर बड़े हमले की प्लानिंग की और उसका सबसे बड़ा टारगेट 1 जून को पूरा हुआ. 31 मई की शाम से यूक्रेन ने रूस पर 4 रणनीतियों के तहत हमले शुरू किए. इसके लिए ड्रोन, वायुसेना, आर्टिलरी और एजेंट्स का इस्तेमाल किया गया.
22-23 मई को यूक्रेन पर रूस ने सबसे बड़े हमले किए. खारकीव से लेकर पोलैंड की सीमा तक यूक्रेनी धरती रूसी बारूद से दहल उठी, लेकिन अब यूक्रेन ने रूस पर पलटवार के लिए अपने सारे विकल्प इस्तेमाल किए और रूस के 13 प्रांतों में विनाशक मंजर नजर आ रहा है.
हमले में किस तरह की रणनीति अपनाई?
रूस के कई शहरों पर यूक्रेन ने ड्रोन हमले किए, जिनसे रिहाइशी इलाकों में तबाही मची है. फ्रंटलाइन पर यूक्रेन के हमलों में रूस के कई डिफेंस सिस्टम और मजबूत गढ़ तबाह हो गए. इसके साथ ही रूसी खुफिया एजेंसी ने सैबटाश हमले करके रूसी इन्फ्रास्ट्रक्चर को तबाह कर दिया. जिस पुल को धमाके से उड़ाया गया उसकी चपेट में एक यात्री ट्रेन भी आ गई. यूक्रेन ने रूस पर इतने भीषण हमले अबतक नहीं किए थे. इन हमलों के लिए चार तरह की रणनीति का इस्तेमाल किया गया.
फ्रंटलाइन और रूसी शहरों पर यूक्रेनी ड्रोन ब्रिगेड ने हमले किए. यूक्रेनी वायुसेना ने रूस के सीमाई शहरों पर बमबारी की. यूक्रेनी आर्टिलरी ने कुर्स्क पर एक बार फिर हमले किए हैं. इसके साथ ही यूक्रेनी एजेंट्स ने रूस के 2 पुल गिरा दिए. ये यूक्रेन के सैबटाश हमले की तस्वीर है. एक पुल पर ट्रक जा रहा है और नीचे एक ट्रेन गुजर रही है. तभी पुल के स्लैब के ट्रेन के ऊपर गिर जाते हैं. रूस ने इस हमले को यूक्रेनी खुफिया एजेंसी GUR का काम बताया है.
ब्रियांस्क का ये पुल 31 मई और 1 जून की रात गिरा. रूस ने इस मामले में आतंकवाद के एंगल के जांच शुरू कर दी है. हादसे वाली जगह पर राहत-बचाव जारी है. दूसरा हमला यूक्रेन ने कुर्स्क में किया है. कुर्स्क के एक पुल पर IED लगाकर उसे उड़ा दिया गया. इसके स्लैब भी नीचे से गुजर रही एक ट्रेन पर गिरे. कुर्स्क में ट्रेन के तीन डिब्बे पटरी से उतर गए. इसके साथ ही लोकोपायलट यानी ट्रेन के ड्राइवर को गंभीर चोट आई हैं, लेकिन ब्रियांस्क के पुल धमाके में रूस को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है.
यूक्रेन ने रूस के आरोपों का खंडन किया
रूस का दावा है कि यूक्रेनी खुफिया एजेंसी अपने एजेंटों के जरिए लंबे समय से हाईवे पर बने पुल गिराने की प्लानिंग कर रही थी. यूक्रेन ने ब्रियांस्क का पुल ट्रक में विस्फोटक लादकर कराया है. ट्रेन पर पुल गिरने से 7 यात्रियों की मौके पर मौत हो गई, जबकि इस घटना में 50 लोगों के घायल होने की रिपोर्ट है. रूस की ये ट्रेन ब्रियांस्क से मॉस्को जा रही थी. रूस ने इस घटना के आरोप यूक्रेनी खुफिया एजेंसी GUR पर लगाए हैं. हालांकि यूक्रेन ने रूस के आरोपों का खंडन किया है.
इसके अलावा रिपोर्ट ये भी है कि जेपोरिजिया क्षेत्र में रूस की एक मिलिट्री ट्रेन को भी यूक्रेनी ड्रोन ब्रिगेड ने टारगेट किया है. बीते कुछ महीने में रूस के कई पुल गिरे हैं और इनके पीछे यूक्रेनी खुफिया एजेंसी का हाथ बताया जा रहा है. ब्रियांस्क से पहले अप्रैल 2024 में स्मोलेंस्क का पुल गिरा. उससे पहले अक्टूबर 2023 में बरयातिया के पुल पर धमाका हुआ. जुलाई 2022 में जाबाकाल्स्की क्राई का पुल गिरा.
युद्ध के दौरान ये वो बड़े पुल हैं जो यूक्रेन के धमाकों से गिरे हैं. पुलों पर हमले के साथ-साथ यूक्रेन ने फ्रंटलाइन से लेकर कई शहरों तक ताबड़तोड़ हमले किए हैं. फ्रंटलाइन पर यूक्रेन ने Su-27 से GBU-62 बम हमले किए. इसमें रूस की सैन्य पोस्ट तबाह हो गई. फ्रंटलाइन पर Mi-24 हेलिकॉप्टर से हाइड्रा रॉकेट हमले किए गए. फ्रंटलाइन पर रूस का एक Tor-M2 डिफेंस सिस्टम यूक्रेनी हमले में नष्ट हो गया. इसी के साथ जेपोरिजिया में यूक्रेनी हमले से रूस की कई D-30 होवित्जर गन नष्ट हो गईं
नाटो के यूरोपीय देश यूक्रेन को दे रहे इंटेलिजेंस
रूस के कुर्स्क शहर पर यूक्रेनी वायुसेना के हमले में रूसी फौजी ठिकाना ध्वस्त हो गया. स्मोलेंस्क में यूक्रेनी ड्रोन हमले से रूस का एक पंतशिर डिफेंस सिस्टम खाक हो गया. बेलरगोरोद में यूक्रेनी हमले से रूस के बख्तरबंद वाहन तबाह हो गए. रूस के कई इलाकों में यूक्रेनी एजेंट्स ने आगजनी भी की है. मॉस्को के एक वेयरहाउस से उठ रहा ये धुआं यूक्रेनी एजेंट्स की आगजनी का अंजाम है.
रिपोर्ट है कि यूक्रेन ने ये हमले नाटो की मदद से किए हैं. नाटो के यूरोपीय देश यूक्रेन को टारगेट का इंटेलिजेंस दे रहे हैं. इसके साथ ही नाटो ने अपने स्पेशल सिस्टम CSI की सर्विस भी यूक्रेन को देनी शुरू कर दी है, जिससे यूक्रेन के हमले सटीक हो रहे हैं. CSI एक ऐसा सिस्टम है जो सभी कमांड और कंट्रोल सेंटर को कॉर्डिनेशन देता है.
अमेरिका के बिना ही यूक्रेन को मदद
इसका कोडनेम नाटो वाई-फाई है. ये हार्डवेयर-सॉफ्टवेयर के जरिए टैक्टिकल इन्फॉर्मेशन एक्सचेंज करता है. इसका काम मिलिट्री विमानों और डिफेंस सिस्टम के बीच कॉर्डिनेशन करना है. इसके जरिए सेना के सभी टैक्टिकल कमांड्स का संपर्क बना रहता है. ये सिस्टम दुश्मन के टारगेट के बारे में रियल टाइम डेटा इन्फॉर्मेशन भेजता रहता है. नाटो वाई-फाई के जरिए फील्ड, कमांड सेंटर और एयरबोर्न यानी हवा में सभी विमानों के बीच बराबर कनेक्शन बना रहता है, यानी फील्ड में खड़े एक सैनिक से लेकर विमानों के बीच तक संपर्क रहता है.
यूरोप के देश ये मान चुके हैं कि अब अमेरिका के बिना ही यूक्रेन को मदद देनी होगी. अमेरिका का रुख साफ है कि वो यूक्रेन के लिए अपने डॉलर बर्बाद नहीं करने वाला है. UK-फ्रांस ने अमेरिका का रुख देखकर प्लान B एक्टिवेट कर दिया है. यूरोप का कॉलिशन ऑफ विलिंग ग्रुप अब लंबे समय तक यूक्रेन को हथियार देने का बंदोबस्त कर रहा है. अमेरिका यूक्रेन में यूरोपीय सैन्य तैनाती के खिलाफ है. अब यूरोप के देश युद्ध जारी रखने के लिए यूक्रेन को मदद देते रहेंगे. माना जा रहा है कि अमेरिका यूक्रेन पर युद्धविराम का दबाव बना सकता है और इस दबाव को कम करने के लिए यूरोप की मदद से रूस पर हमले किए जा रहे हैं.
ब्यूरो रिपोर्ट, TV9 भारतवर्ष
Code NATO WiFi… रूस में तबाही और खलबली के पीछे है ये ‘हथियार’, जानें यूक्रेन कैसे भेद रहा सटीक टारगेट
देश दुनियां की खबरें पाने के लिए ग्रुप से जुड़ें,
#INA #INA_NEWS #INANEWSAGENCY
Copyright Disclaimer :-Under Section 107 of the Copyright Act 1976, allowance is made for “fair use” for purposes such as criticism, comment, news reporting, teaching, scholarship, and research. Fair use is a use permitted by copyright statute that might otherwise be infringing., educational or personal use tips the balance in favor of fair use.
Credit By :-This post was first published on https://www.tv9hindi.com/, we have published it via RSS feed courtesy of Source link,