World News: पहले हत्या और आगजनी, अब चला बुलडोजर… खून से रंगी है शेख मुजीबुर रहमान के घर की कहानी – INA NEWS

वे हमारे बच्चों की तरह हैं, वे कोई नुकसान नहीं पहुंचाएंगे. यह बात बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान ने तब कही थी, जब भारतीय खुफिया एजेंसी रिसर्च एनालिसिस विंग (RAW) से खबर आई थी कि बंगबंधु की हत्या की योजना बनाई जा रही है. यह घटना साल 1975 की है. बांग्लादेश की स्थापना के केवल चार साल बाद. भारतीय और अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने बांग्लादेश के प्रथम प्रधानमंत्री शेख मुजीबुर रहमान को बार-बार चेतावनी दी थी.

उन्होंने कहा कि बंगबंधु की हत्या की योजना बनाई जा रही थी. यह योजना बांग्लादेश सेना बना रही थी. इसका लक्ष्य मुजीब सरकार को उखाड़ फेंकना था. बंगबंधु ने उस चेतावनी पर ध्यान नहीं दिया. उनका भरोसा देशवासियों पर था. उनका मानना था कि जिन लोगों ने संघर्ष करके स्वतंत्रता प्राप्त की है, वे निश्चित रूप से हानि नहीं चाहेंगे. हालांकि, मुजीबुर गलत साबित हुए. बंगबंधु की उनके ही घर में निर्मम हत्या कर दी गई. मुजीबुर का शव घर की सीढ़ियों पर खून से लथपथ पड़ा था.

उस घर का पता था 32 धानमंडी. इसी घर से मुजीब ने मुक्ति संग्राम का आह्वान किया था. उन्होंने इसी घर से स्वतंत्र बांग्लादेश का सपना देखा था. मुजीबुर की हत्या इसी घर में की गई थी. यादों से भरे इस घर को संग्रहालय में बदल दिया गया था, लेकिन आज वह घर मौजूद नहीं है. बंगबंधु को बांग्लादेश के इतिहास से मिटाने के लिए कट्टरपंथियों ने उस घर को भी ध्वस्त कर दिया, जहां उनकी यादें जुड़ी हुई थीं.

जैसे ही यह खबर फैली कि देश से निष्कासित पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए बोलने वाली हैं, सारा गुस्सा बंगबंधु के घर, 32 धानमंडी पर फूट पड़ा. घर में तोड़फोड़ की गई और आग लगा दी गई. बाहर खुशी थी. फिर, आधी रात को, नगरपालिका ने बुलडोजर मंगवाए और मकान को गिराना शुरू कर दिया. मुजीब की स्मृति को समर्पित सिर्फ एक हिस्सा ही नहीं, बल्कि पूरा मकान ही ध्वस्त कर दिया गया.

जानें शेख मुजीबुर के घर का इतिहास

साल 1956 में जब शेख मुजीबुर रहमान उद्योग मंत्री थे. उन्होंने अपने निजी सचिव की मदद से ढाका के धानमंडी में जमीन के लिए आवेदन किया था. एक साल बाद सरकार ने यह जमीन उन्हें 6,000 रुपए में आवंटित कर दी. 1958 तक मुजीब परिवार सेगुनबागीचा स्थित सरकारी आवास संख्या 115 में रहता था. अचानक मार्शल लॉ घोषित कर दिया गया और मुजीबुर रहमान को 12 अक्टूबर को वहां से गिरफ्तार कर दिया गया. उन्हें तीन दिन के भीतर घर छोड़ने का आदेश दिया गया. मुजीबुर की पत्नी और बच्चों को सिद्धेश्वरी में एक किराए के मकान में रहने के लिए मजबूर होना पड़ा. वह वहां भी अधिक समय तक नहीं रह सके. सरकार लगातार धमकी दे रही थी. अपनी जान बचाने के लिए उन्होंने सूफिया कमाल की मदद से सेगुनबागीचा में 300 रुपए में एक मकान किराए पर लिया.

Mujibur

शेख मुजीबुर रहमान.

शेख मुजीबुर 1960 तक जेल में रहे. रिहाई के बाद उन्होंने धानमंडी में एक मंजिला मकान बनवाया. वह उस आधे-अधूरे दो कमरों वाले मकान में रहने लगे. मुजीबुर को 1 अगस्त 1961 को हाउस बिल्डिंग फाइनेंस कॉरपोरेशन से ऋण मिला. उन्होंने 1000 रुपए एडवांस में लेकर घर का काम शुरू कर दिया.

शेख मुजीबुर रहमान के सबसे छोटे बेटे शेख रसेल का जन्म 18 अक्टूबर 1964 को इसी घर में हुआ था. यह मकान 1966 में बनकर तैयार हुआ. मुजीबुर ने अपने दो मंजिला मकान में शौक के तौर पर एक पुस्तकालय बनवाया. 1969 के पूर्वी पाकिस्तान विद्रोह और 1970 के पाकिस्तान आम चुनाव सहित कई बड़े निर्णय इसी घर में लिए गए थे. उन्होंने 25 मार्च 1971 की रात को इसी घर से बांग्लादेश की स्वतंत्रता की घोषणा की थी. इसके कुछ ही समय बाद मुजीबुर रहमान को गिरफ्तार कर लिया गया.

यह घर बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान क्षतिग्रस्त हो गया था. बाद में इसका नवीनीकरण किया गया. शेख मुजीबुर रहमान के पाकिस्तान से लौटने के बाद उनका परिवार इस घर में लौट आया. बंगबंधु 1972 से 1975 तक अपने परिवार के साथ इस घर में रहे.

उस समय भारत की खुफिया एजेंसी रॉ के प्रमुख रामेश्वर नाथ काव थे. उन्हें एक गुप्त स्रोत से जानकारी मिली कि बांग्लादेशी सेना मुजीबुर रहमान की हत्या की साजिश रच रही है और उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को इसकी जानकारी दी. उन्होंने रामेश्वर नाथ को बांग्लादेश भेजकर मुजीब को चेतावनी दी, लेकिन बंगबंधु इस बात पर विश्वास नहीं करना चाहते थे. उन्होंने कहा, “वे मेरे बच्चों की तरह हैं. वे मुझे कोई नुकसान नहीं पहुंचाएंगे.”

घर में ही शेख मुजीबुर रहमान की हुई थी हत्या

1975 में मुजीबुर को फिर से चेतावनी दी गयी. इस बार भी उन्होंने चेतावनी पर ध्यान नहीं दिया. उसी वर्ष 21 मई को मुजीबुर काम खत्म करके धानमंडी लौट रहे थे. ग्रेनेड हमले से उनकी हत्या करने का प्रयास किया गया. उस हमले में मुजीब बच गये. उनके जन्मदिन से पहले ढाका में तीन बम विस्फोट हुए. ऐसा माना गया कि यह मुजीबुर की हत्या का प्रयास था.

Rahman

परिवार के सदस्यों के साथ शेख मुजीबुर रहमान.

15 अगस्त 1975 को पाकिस्तानी सेना सभी आठ घाटों को बंद करके उतरी. 14 अगस्त की रात को शेख मुजीबुर रहमान, उनकी पत्नी और सबसे छोटे बेटे शेख रसेल तीसरी मंजिल के कमरे में एक साथ सोए थे. उनका बेटा जमाल और उसकी पत्नी रोजी तीसरी मंजिल पर दूसरे कमरे में थे. मुजीबुर का बेटा कमाल और उसकी पत्नी सुल्ताना चौथी मंजिल पर थे. घर के दो नौकर, रोमा और सलीम, मुजीब के घर के ठीक सामने बालकनी में सो रहे थे. इसके अलावा, सबसे निचली मंजिल पर कई मजदूर भी थे. उस समय शेख हसीना और उनकी बहन रेहाना विदेश में थीं.

घड़ी में सुबह के पांच बज रहा था. अचानक दरवाजा खुला और मुजीब की पत्नी बाहर निकली. उसने परिचारिका रोमा को बताया कि उसके भाई के घर पर हमला हुआ है. यह सुनकर रोमा सीधे घर के सामने की ओर दौड़ी. उन्होंने देखा कि कुछ लोग मुजीबुर के घर को निशाना बनाकर गोलियां चला रहे हैं. रोमा दौड़कर घर के सभी सदस्यों को जगाने गई और उन्हें बताया कि उन पर हमला होने वाला है. शेख कमाल और जमाल दोनों नीचे उतरे. अचानक गोलियों की आवाज आई और शेख कमाल की चीखें सुनाई देने लगीं.

हत्या से पहलेक्या थे बंगबंधु के अंतिम शब्द?

अपने बेटे की चीखें सुनकर बंगबंधु दौड़कर अपने कमरे में पहुंचे और कहा कि दरवाजा बंद कर दो. गोलियों की आवाज बंद हो गई. थोड़ी देर बाद मुजीबुर ने दरवाजा खोला और बाहर आ गए. एक क्षण में हमलावरों ने उसे घेर लिया बंगबंधु ने उनसे कहा, “तुम लोग क्या चाहते हो? मुझे कहा ले जा रहे हो.

हमलावर उसे जोर से धक्का देकर सीढ़ियों की ओर घसीटते हुए ले गए. बंगबंधु समझ गए कि आगे क्या होने वाला है. दो-तीन सीढ़ियाँ उतरने के बाद नीचे से बंगबंधु पर गोलियां चलाई गईं. मुजीबुर खून से लथपथ होकर सीढ़ियों से नीचे गिर पड़े. फिर भी, उन्होंने अनुरोध किया कि उनके परिवार को छुआ न जाए. किसी ने भी उस अनुरोध को नहीं सुना.

तब तक परिवार के सदस्य जान बचाने के लिए मुजीबुर के घर के बाथरूम में शरण ले चुके थे. मुजीबुर रहमान के भाई शेख नासिर के हाथ में गोली लगी. मुजीब की पत्नी ने अपनी साड़ी फाड़कर उनके हाथों पर बांध दी. उसी समय हमलावर तीसरी मंजिल पर आ गये.

एक-एक करके सभी को शौचालय से बाहर निकाला गया. सभी को नीचे ले जाया गया. सीढ़ियां उतरते समय मुजीबुर की पत्नी ने बंगबंधु का रक्तरंजित शव सीढ़ियों पर पड़ा देखा. यह देखकर वह बोली, “मैं कहीं और नहीं जाऊंगी, मुझे मार दो।” उन्हें घसीटकर घर के अंदर ले जाया गया. गोली चलने की आवाज सुनाई देती है…

उन्होंने मुजीब के सबसे छोटे बेटे रसेल को भी नहीं बख्शा. उस समय रसेल केवल 10 वर्ष का था. वह गोलियों और अपने पिता और दादा के रक्तरंजित शवों को देखकर भय से कांप रहा था. वह कहता रहा, “मुझे मेरी मां के पास ले चलो.” यह सुनकर हमलावरों ने उसका हाथ पकड़ लिया और कहा, चलो तुम्हें तुम्हारी मां के पास ले चलते हैं. रसेल की भी गोली मारकर हत्या कर दी गई. इसी तरह शेख मुजीबुर रहमान के भाई को भी बाथरूम में ले जाकर गोली मार दी गई.

अब इतिहास के पन्नों में खो गया मुजीबुर का घर

हसीना और उनकी बहन रेहाना अपने पूरे परिवार की हत्या की खबर मिलने के बाद भी वापस नहीं लौट सकीं. दोनों बहनें 17 मई 1981 को देश लौट आईं, लेकिन उन्हें अपने धानमंडी स्थित घर में प्रवेश करने से मना कर दिया गया. यहां तक ​​कि घर को नीलामी के लिए भी रखा गया था. उसी वर्ष 10 जून को हसीना ने सारा कर्ज चुकाने के बाद घर का स्वामित्व ले लिया. हसीना अपने पति के साथ मोहाखाली में रहती थी. 32, धानमंडी स्थित घर का उपयोग राजनीतिक कार्यक्रमों के लिए किया जाता था.

Dhanmandi House

मुजीबुर के घर को बुलडोजर से तोड़ डाला गया

जब से उन्होंने इस घर का स्वामित्व हासिल किया है, तब से वे इसे संग्रहालय में बदलने की योजना बना रही थी. हजारों बाधाओं के बाद 14 अगस्त 1994 को संग्रहालय का उद्घाटन हुआ. इस मकान का स्वामित्व 6 सितंबर को बंगबंधु मेमोरियल ट्रस्ट को सौंप दिया गया. मुजीबुर के नाम पर बने इस संग्रहालय को देखने के लिए देश-विदेश से लोग आते थे.

वह घर अब इतिहास के पन्नों से मिट गया. इस घर पर 5 अगस्त 2024 को हमला किया गया था, जब बांग्लादेश में बड़े पैमाने पर विद्रोह हो रहा था और शेख हसीना को देश छोड़कर भागने पर मजबूर होना पड़ा था. घर में आग लगा दी गई. 6 महीने की अवधि में इन्हीं प्रदर्शनकारियों ने न केवल तोड़फोड़ और आगजनी की है, बल्कि उन्हें शांति भी नहीं मिली है. इस बार बुलडोजर लाया गया और घर को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया गया.

टीवी 9 बांग्ला के इनपुट के साथ.

पहले हत्या और आगजनी, अब चला बुलडोजर… खून से रंगी है शेख मुजीबुर रहमान के घर की कहानी


देश दुनियां की खबरें पाने के लिए ग्रुप से जुड़ें,

#INA #INA_NEWS #INANEWSAGENCY
Copyright Disclaimer :-Under Section 107 of the Copyright Act 1976, allowance is made for “fair use” for purposes such as criticism, comment, news reporting, teaching, scholarship, and research. Fair use is a use permitted by copyright statute that might otherwise be infringing., educational or personal use tips the balance in favor of fair use.
Credit By :-This post was first published on https://www.tv9hindi.com/, we have published it via RSS feed courtesy of Source link,

Back to top button
Close
Crime
Social/Other
Business
Political
Editorials
Entertainment
Festival
Health
International
Opinion
Sports
Tach-Science
Eng News