World News: संसद में झूठ, आवाम से धोखा…डरपोक शहबाज के हर शब्द में दिखा भारत का खौफ, ये रहे सबूत – INA NEWS

भारत की ओर से ऑपरेशन सिंदूर स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ का राष्ट्र के नाम संबोधन आया. लेकिन ये संबोधन किसी जीत की घोषणा नहीं, बल्कि हार के एहसास और सफाई से भरी एक लंबी दास्तान थी. भारत की ओर से 9 स्थानों पर की गई सैन्य कार्रवाई के बाद पाकिस्तान ने जिस तरह का रुख अपनाया, उससे साफ जाहिर है कि वह अब भारत के साथ पारंपरिक युद्ध के लिए न तैयार है, न सक्षम. शहबाज शरीफ ने इशारों ही इशारों में मान लिया कि पाकिस्तान के लिए अब युद्ध लड़ना सिर्फ जज़्बे की बात नहीं, संसाधनों और रणनीति की भी ज़रूरत है. जो अब उनके पास नहीं बची.
प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने दावा किया कि पाकिस्तान की वायुसेना और सेना ने पूरी तैयारी के साथ भारत के हमले का जवाब दिया और भारतीय लड़ाकू विमानों को आगे बढ़ने से रोक दिया. शहबाज के इस बयान से साफ झलक रहा है कि वो पाकिस्तान की आवाम को ये बताना चाह रहा है कि उन्होंने भारत की मिसाइलो का खूब मुकाबला किया, हालांकि इसकी सच्चाई सभी ने देख ली है कि कैसे भारत ने पाक को घर में घुसकर सबक सिखाया. ऐसे में शहबाज अपनी हार मानने की जगह सिर्फ और सिर्फ पाक की आवाम को मूर्ख बनाने का काम कर रहे हैं.
शहबाज के बयान की हकीकत
उन्होंने अपने भाषण में भी कहा कि यह एक कन्वेंशनल वॉर थी जिसमें न्यूक्लियर हथियारों का कोई नामोनिशान नहीं था. उन्होंने इस बात को बार-बार दोहराया कि अल्लाह के फज्ल से पाकिस्तान को बड़ी फतह मिली. अब यहां समझने वाली बात है ये है कि अगर शहबाज कह रहे हैं कि वो जीत गए हैं, तो वो इसका कोई सबूत दे दें. जैसे भारत ने अपने हमले के वीडियो जारी किए.
दरअसल, सच ये है पाकिस्तान भारत के हमले का कोई भी जवाब नहीं दे पाया. इसीलिए उसके पास जीत का कोई ठोस सबूत, कोई रणनीतिक बढ़त या कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया सामने नहीं आई. ऐसे में उनके भाषण से यह साफ संदेश गया कि पाकिस्तान अब खुली जंग की हालत में नहीं है.
खुद की स्क्रिप्ट में कैसे फंसे पाक
शहबाज शरीफ ने भारत पर हमला करने का दावा तो किया, मगर उनके शब्दों में कहीं भी कोई आक्रामकता नहीं दिखी. बल्कि उनके वीडियो में साफ तौर कई कट्स को देखा जा सकता है. इससे साफ पता चलता है कि पाकिस्तान डारा हुआ है. इतना ही नहीं उन्होंने यह भी बताया कि वे जनरल आसिम मुनीर और अन्य फौजी अधिकारियों के साथ जनाजे में शामिल हुए और शहीदों को सलाम पेश किया.
एक तरह से यह बयान भी पाकिस्तान का हार मानना है, जिसे उन्होंने इज़्ज़त की फतह बताकर ढंकने की कोशिश की. उनके संबोधन का लहजा बार-बार सफाई देने वाला और दुनिया के सामने खुद को बेकसूर दिखाने वाला था. यही नहीं, उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान की सरहदें लांघी नहीं गईं. जबकि भारतीय पक्ष इस ऑपरेशन को सीमा पार सर्जिकल स्ट्राइक बता चुका है.
हमले की जगह दुआ की बात कर रहे
शहबाज शरीफ ने कहा कि भारत ने पहलगाम हमले की आड़ में पाकिस्तान पर हमला किया, जबकि पाकिस्तान का इस घटना से कोई लेना-देना नहीं था. उन्होंने एक बार फिर जांच आयोग बनाने की पेशकश दोहराई, लेकिन साथ ही स्वीकार किया कि भारत ने इस ऑफर को मानने से इनकार कर दिया और उल्टे उनके एक सहयोगी देश के राजदूत को तलब कर लिया.
इससे पाकिस्तान की कूटनीतिक हैसियत और अलग-थलग पड़ने का संकेत साफ हो गया. यही नहीं, उन्होंने भारत पर बुज़दिलाना हमला करने का आरोप लगाया, लेकिन जवाब देने के नाम पर सिर्फ दुआ और जज़्बे की बात करते रहे.
खुद की कमजोरी नहीं छिपा पाए शहबाज
उनका संबोधन इस बात का प्रमाण था कि भारत की ओर से की गई सैन्य कार्रवाई के बाद पाकिस्तान न सिर्फ सैन्य स्तर पर दबाव में है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी अलग-थलग महसूस कर रहा है. उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान एक अमनपसंद मुल्क है और आतंकवाद से सबसे ज्यादा प्रभावित रहा है. ऐसे में भारत की कार्रवाई को उन्होंने दहशतगर्दी के खिलाफ जंग से ध्यान हटाने की साजिश बताया.
मगर ये बातें भी उनकी कमजोरी को छिपा नहीं सकीं. उन्होंने भारत के हमले में मारे गए 26 नागरिकों का ज़िक्र किया और एक 7 साल के मासूम की शहादत की बात कर भावुक अपील की, जिससे साफ था कि पाकिस्तान अब युद्ध से ज्यादा शहीदों की कहानियों से मनोबल बचाना चाहता है.
युद्ध की आड़ में राजनीति चमका रहे
शहबाज शरीफ का यह पूरा संबोधन इस बात की मिसाल बन गया कि पाकिस्तान अब खुद को युद्ध में झोंकने की हालत में नहीं है. उन्होंने जिस तरह भारत को जवाब देने की बात की, उसमें कहीं भी रणनीतिक बढ़त या ठोस योजना का ज़िक्र नहीं था. उल्टा, उन्होंने भारत के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय समर्थन की आस जताई, लेकिन यह भी स्वीकार किया कि उनकी पेशकश को कोई महत्व नहीं मिला.
अंततः उन्होंने अपील की कि सभी राजनीतिक दल एकजुट होकर पाकिस्तान को अज़ीम मुल्क बनाएं यानि एक युद्ध में पराजित मुल्क की तरह अंदरूनी एकता की दुहाई दी गई. इस बयान से ये भी समझा जा सकता है कि शहबाज पाक में अपनी राजनीति पर आंच भी नहीं आने देना चाहते हैं.
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