World News: आतंकियों की ढाल से लेकर जिहाद के हथियार तक… कितने काम के हैं पाकिस्तानी मदरसे? – INA NEWS

पाकिस्तान में मदरसों का इस्तेमाल किस मकसद से होता है, इस पर हमेशा बहस होती रही है. एक ओर इन संस्थानों को धार्मिक शिक्षा का केंद्र बताया जाता है, तो दूसरी ओर इन्हें आतंक की फैक्ट्री कहने वालों की भी कमी नहीं. हाल ही में पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने संसद में जो बयान दिया, उसने इस विवाद को फिर हवा दे दी. उन्होंने कहा कि भारत के हमलों के वक्त मदरसे के बच्चे उनके बचाव में काम आते हैं. ये वही मदरसे हैं, जहां बच्चों को धर्म के नाम पर कट्टरता और जिहाद के मायने सिखाए जाते हैं.
पाकिस्तान में हाफिज सईद जैसे आतंकी सरगना सालों से मदरसों को अपना हथियार बना चुके हैं. लाहौर के पास मुरीदके में बना उसका मदरसा इसका बड़ा उदाहरण है. यहां करीब 3000 बच्चों को पढ़ाया जाता है. सुबह-सुबह इन्हें शरीरिक ट्रेनिंग दी जाती है. फिर इन्हें कुरान के नाम पर जिहाद के अर्थ समझाए जाते हैं, लेकिन उस तरह नहीं, जैसे इस्लाम सिखाता है, बल्कि वैसे, जैसा लश्कर-ए-तैयबा चाहता है. यानी एक धार्मिक लिबास में बच्चों को धीरे-धीरे कट्टर सोच की ओर ढकेला जाता है.
बचाव की ढाल बनते हैं बच्चे
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री का बयान बताता है कि भारत की एयरस्ट्राइक जैसी कार्रवाई के बाद पाकिस्तान कैसे मासूम बच्चों को ढाल बनाकर अपने आतंकी ठिकानों को छिपाता है. ख्वाजा आसिफ के मुताबिक, ये बच्चे ‘धार्मिक कार्य’ के साथ-साथ रक्षा का भी काम करते हैं. यानी जब भारत आतंकी शिविरों पर हमला करता है, तो पाकिस्तान सरकार और सेना इन मदरसे बच्चों को सामने कर देती है, ताकि भारत जवाबी कार्रवाई न कर सके.
यहां सिखाई जाती है बंदूक चलाना
इन मदरसों में धार्मिक पढ़ाई के नाम पर बच्चों को शुरू में सेना जैसा अनुशासन सिखाया जाता है. धीरे-धीरे इन्हें हथियार पकड़ाए जाते हैं. फिजिकल ट्रेनिंग से शुरू होकर बंदूक चलाने की ट्रेनिंग तक ये बच्चे पहुंचते हैं. इनके लिए बंदूक सिर्फ एक हथियार नहीं, बल्कि ‘जिहाद का औजार’ बन जाती है. इन बच्चों को बताया जाता है कि भारत या पश्चिमी देश इस्लाम के दुश्मन हैं और उनके खिलाफ लड़ना फर्ज है.
बनते हैं सुसाइड बॉम्बर
यही बच्चे आगे चलकर आतंकी बनते हैं. कईयों को आत्मघाती हमलों के लिए तैयार किया जाता है. इन्हें फिदायीन हमलों की ट्रेनिंग दी जाती है. इनसे कहा जाता है कि अगर वे खुद को शहीद कर देंगे तो जन्नत नसीब होगी. रिपोर्ट्स बताती हैं कि ऐसे दर्जनों बच्चे कश्मीर, अफगानिस्तान और ईरान में आत्मघाती हमलों में इस्तेमाल किए गए हैं.
ऑपरेशन सिंदूर और मदरसा कनेक्शन
भारत की ऑपरेशन सिंदूर स्ट्राइक के बाद जो हड़कंप मचा, उससे साफ है कि भारत ने जिन ठिकानों को निशाना बनाया, उनमें ऐसे कई मदरसे भी थे, जो असल में आतंकी ट्रेनिंग सेंटर बन चुके थे. अल जज़ीरा की रिपोर्ट के मुताबिक अगर भारत कुछ दिन पहले ही हमला करता, तो मुरिदके के उसी मदरसे में मौजूद 3000 के करीब आतंकी या ट्रेनी वहीं मारे जाते.
भारत को बदनाम करने की चाल
स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान ने उलटे भारत को ही बदनाम करने की कोशिश की. जिन बच्चों को वह खुद आगे कर रहा था, उन्हीं की तस्वीरों को दुनिया के सामने दिखाकर मानवाधिकार का ढिंढोरा पीटने लगा. यह दोहरा चेहरा वही पाकिस्तान है, जो आतंक के खिलाफ खुद को पीड़ित बताता है लेकिन उसी आतंक के बीज अपने मदरसों में बोता भी है. पाकिस्तानी मदरसे केवल धार्मिक शिक्षा का केंद्र नहीं हैं. वे अब ऐसे अड्डे बन चुके हैं, जहां एक पीढ़ी को कट्टरता, नफरत और हिंसा के नाम पर भविष्य के लिए तैयार किया जा रहा है.
आतंकियों की ढाल से लेकर जिहाद के हथियार तक… कितने काम के हैं पाकिस्तानी मदरसे?
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