World News: भारत-पाकिस्तान की जंग छोड़िए, इस रिपोर्ट में तय हो गई तीसरे विश्व युद्ध की तारीख – INA NEWS

भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है. पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद हालात जंग जैसे बन गए हैं. मगर दुनिया इस वक्त जिस दौर से गुजर रही है, उसमें तीसरे विश्व युद्ध की आहट कहीं ज़्यादा डरावनी और वैश्विक है. और अब, एक नई अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट ने मानो इस डर की तारीख तय कर दी है. इस रिपोर्ट के मुताबिक, न केवल भारत-पाकिस्तान बल्कि अमेरिका, रूस और पश्चिमी यूरोप भी ऐसे टकराव की दिशा में बढ़ रहे हैं, जिसका अंत एक विकराल युद्ध हो सकता है. और वो है वर्ल्ड वॉर थ्री.

और ये युद्ध सिर्फ पारंपरिक हथियारों से नहीं, बल्कि परमाणु बमों की तबाही लेकर आ सकता है. दूसरे विश्व युद्ध को बीते भले ही 80 साल हो गए हों, लेकिन उसका खौफ अब नए रूप में लौट रहा है. YouGov की तरफ से कराए गए इस सर्वे में यह भी सामने आया कि लोग न केवल संभावित परमाणु युद्ध से डरे हुए हैं, बल्कि उन्हें अपने ही देशों की सैन्य तैयारी और वैश्विक साझेदारों पर भी भरोसा नहीं है. WWII के इतिहास को वर्तमान से जोड़ते हुए लोगों ने यह भी माना कि नाजी जैसे अपराध आज फिर से कहीं भी दोहराए जा सकते हैं.

1. तीसरे विश्व युद्ध का डर, न्यूक्लियर तबाही का खतरा

ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, इटली और स्पेन के 41% से 55% लोगों ने माना कि अगले दशक में तीसरा विश्व युद्ध काफी संभव या संभावित है. अमेरिका में भी 45% लोगों की राय कुछ ऐसी ही है. सर्वे में शामिल लोगों में से 68% से 76% को लगता है कि यह युद्ध परमाणु हथियारों के इस्तेमाल के साथ होगा. और 57% से 73% लोगों को लगता है कि इससे जानमाल की हानी 1939-45 के युद्ध से भी ज़्यादा होगी. हर चार में से एक को डर है कि इससे दुनिया की अधिकांश आबादी मारी जा सकती है.

2. रूस है मुख्य खतरा, अमेरिका पर भी शक

यूरोप और अमेरिका में अधिकांश लोगों ने रूस को तीसरे विश्व युद्ध की सबसे बड़ी आशंका बताया. पश्चिमी यूरोप में 72% से 82% और अमेरिका में 69% लोगों ने रूस को प्रमुख खतरा माना. दिलचस्प बात ये रही कि अमेरिका को लेकर भी यूरोप के लोग संदेह में हैं. स्पेन (58%), जर्मनी (55%) और फ्रांस (53%) के लोगों ने माना कि अमेरिका के साथ बढ़ता तनाव भी यूरोप की शांति के लिए बड़ा खतरा है.

3. हम शामिल होंगे, पर हमारी सेना तैयार नहीं

इटली से लेकर यूके तक अधिकांश लोगों को लगता है कि यदि युद्ध हुआ, तो उनका देश उसमें शामिल होगा (66% से 89% लोगों ने ऐसा कहा). लेकिन अपनी सेनाओं पर भरोसा कम है. इटली में सिर्फ 16% और फ्रांस में 44% लोगों को लगता है कि उनकी सेना उन्हें बचा पाएगी. इसके उलट, 71% अमेरिकियों को अपनी सेना पर भरोसा है.

4. इतिहास पढ़ाने पर भी जोर

फ्रांस (72%), जर्मनी (70%) और ब्रिटेन (66%) के लोगों ने कहा कि वे WWII के बारे में अच्छी जानकारी रखते हैं. स्पेन में यह संख्या सबसे कम (40%) रही. 77% फ्रेंच नागरिकों को स्कूलों में WWII की शिक्षा मिली, जबकि ब्रिटेन में सिर्फ 48% और स्पेन में केवल 34% को. 80% से ज़्यादा लोग मानते हैं कि WWII आज भी प्रासंगिक है और इसे स्कूलों में पढ़ाया जाना चाहिए.

5. नाज़ी जैसे अपराध फिर हो सकते हैं?

अमेरिका के 52% नागरिकों को लगता है कि उनके देश में नाजी जर्मनी जैसे अपराध फिर हो सकते हैं. यूरोप में भी 31% (स्पेन) से 50% (जर्मनी) तक लोगों ने यही चिंता जताई. 59% लोगों को लगता है कि किसी और यूरोपीय देश में भी ऐसी घटनाएं दोहराई जा सकती हैं. ज्यादातर देशों (40% से 52%) में लोगों ने अमेरिका को WWII जीतने में सबसे बड़ा योगदानकर्ता माना.

17% से 28% ने सोवियत संघ को श्रेय दिया. यूके में 41% लोगों ने ब्रिटेन को सबसे अहम माना पर बाकी देशों में यह संख्या सिर्फ 5% से 11% रही. NATO को सबसे ज्यादा (52% से 66%) लोगों ने WWII के बाद शांति बनाए रखने में प्रमुख भूमिका निभाने वाला माना. UN को भी बड़ी संख्या में लोगों ने महत्वपूर्ण बताया. EU को भी 45% से 56% लोगों ने शांति का रक्षक माना.

भारत-पाकिस्तान की जंग छोड़िए, इस रिपोर्ट में तय हो गई तीसरे विश्व युद्ध की तारीख


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