World News: इराक: सद्दाम हुसैन का विरोध करने वाले शिया मौलवी को दी फांसी, इस अधिकारी की हुई गिरफ्तारी – INA NEWS

इराक ने सद्दाम हुसैन का विरोध करने वाले शिया मौलवी को फांसी देने के मामले में पूर्व सुरक्षा अधिकारी को गिरफ्तार किया गया है. इराक की राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी के मुताबिक, एक प्रमुख शिया मौलवी और उसकी बहन को फांसी देने में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया है. पूर्व उच्च-स्तरीय सुरक्षा अधिकारी को 1980 में सद्दाम हुसैन की ओर से धार्मिक विरोध पर क्रूर कार्रवाई के दौरान फांसी दिया गया था.

मोहम्मद बाकिर अल-सदर एक प्रमुख इराकी शिया मौलवी और राजनीतिक आलोचक थे. इन्होंने पूर्व इराकी राष्ट्रपति की धर्मनिरपेक्ष बाथिस्ट सरकार का विरोध किया था. ईरान में 1979 की इस्लामी क्रांति के बाद उनका विरोध काफी ज्यादा हो गया था. इस विरोध ने इराक में शिया नेतृत्व वाले विद्रोह के बारे में सद्दाम के डर को बढ़ा दिया.

1980 में, जब सरकार ने शिया कार्यकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई की, तो अल-सदर और उनकी बहन बिंत अल-हुदा को गिरफ्तार कर लिया. ये एक धार्मिक विद्वान और कार्यकर्ता थे, जिन्होंने सरकारी उत्पीड़न के खिलाफ जमकर आवाज उठाई थी. रिपोर्ट्स में सामने आया है कि 8 अप्रैल, 1980 को फांसी पर लटकाए जाने से पहले उन्हें प्रताड़ित किया गया था.

शव को लौटाने से किया था इनकार

सरकार ने उनके शव लौटाने से इनकार कर दिया, क्योंकि उन्हें डर था कि उनकी कब्रें प्रतिरोध के लिए रैली स्थल बन जाएगी. अल-सदर की फांसी ने सद्दाम के प्रति शिया विरोध को और गहरा कर दिया. इससे ऐसे आंदोलन भड़क उठे, जिन्होंने बाथिस्ट सरकार के अंतिम पतन में योगदान दिया.

अल-सदर की फांसी में मुख्य संदिग्ध, सादून सबरी जमील जुमा अल-कैसी, पांच महीने पहले ही गिरफ्तार किए गए ही पांच लोगों में से एक था. एक सुरक्षा अधिकारी ने गोपनीयता से इसके बारे में जानकारी दी. क्योंकि उन्हें सार्वजनिक रूप से बोलने का अधिकार नहीं था.

अल-कैसी ने सद्दाम के अधीन उच्च पद संभाले, जिसमें राज्य सुरक्षा निदेशक और बंदरगाह शहर बसरा के साथ-साथ केंद्रीय शहर नजफ में सुरक्षा निदेशक शामिल थे. उन पर अल-सदर की हिरासत और फांसी की निगरानी करने का आरोप है. सुरक्षा सूत्र ने बताया कि 2003 में सद्दाम की सरकार के पतन के बाद, अल-कैसी अभियोजन से बचने के लिए हज्ज सालेह का उपनाम लेकर सीरिया भाग गया था. वह 26 फरवरी, 2023 को इराक लौटा और उसे फांसी के 44 साल बाद एरबिल में गिरफ्तार कर लिया गया.

इराकी राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी के मुताबिक, अल-कैसी को संभावित मौत की सजा का सामना करना पड़ सकता है. अगले सप्ताह अंतिम फैसला आने की उम्मीद है. प्रधानमंत्री मोहम्मद शिया अल-सुदानी ने एक्स की गिरफ्तारी की प्रशंसा करते हुए कहा कि हम अपराधियों को पकड़ने के लिए पूरी तरह से जिम्मेदार हैं. चाहे वे कितने भी लंबे समय से भाग रहे हों.

इराक: सद्दाम हुसैन का विरोध करने वाले शिया मौलवी को दी फांसी, इस अधिकारी की हुई गिरफ्तारी


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