World News: ISI की नजरअंदाजी या आतंकी गुटों का टकराव… सैफुल्लाह के मिट्टी में मिलने की Inside Story – INA NEWS

पाकिस्तान की सरजमीं पर पनपते आतंक के नेटवर्क में अब दरारें खुलकर सामने आने लगी हैं. लश्कर-ए-तैयबा का टॉप कमांडर और जमात-उद-दावा का अहम चेहरा रजाउल्लाह निजामानी उर्फ अबू सैफुल्लाह की सिंध में हत्या ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं. आखिर जिस आतंकी को ISI ने खुद सुरक्षा दी थी, वह सिंध में अज्ञात हमलावरों की गोलियों का शिकार कैसे बन गया? क्या यह आतंकी गुटों के भीतर चल रही खींचतान का नतीजा है या फिर अब पाक खुफिया एजेंसी की पकड़ भी कमजोर हो चुकी है?

अबू सैफुल्लाह उर्फ रजाउल्लाह निजामानी बीते कई सालों से सिंध के बदीन जिले के मतली शहर में रह रहा था. वह मूल रूप से सिंध के ही मलान इलाके का निवासी था. जम्मू-कश्मीर में आतंक फैलाने के बाद वह लंबे समय तक अंडरग्राउंड रहा और फिर नेपाल के रास्ते पाकिस्तान आया. रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तान लौटने के बाद उसे ‘गाजी’ का खिताब दिया गया और ISI के संरक्षण में सिंध में बसाया गया, ताकि वह संगठन के अंदरुनी मिशनों को असानी से अंजाम दे सके.

पाकिस्तान में सक्रिय आतंकी संगठन

पाकिस्तान के भीतर करीब 30 से अधिक आतंकी संगठन सक्रिय हैं, जिनमें प्रमुख हैं. लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP), हक्कानी नेटवर्क, अल-कायदा, इस्लामिक स्टेट खुरासान (IS-K), जमात-उद-दावा, हिजबुल मुजाहिदीन, बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA), और हरकत-उल-मुजाहिदीन. इनमें से कई समूह पाकिस्तान की सेना और ISI के संरक्षण में काम करते हैं, लेकिन हाल के सालों में इनके आपसी मतभेद, वर्चस्व की लड़ाई और फंडिंग को लेकर झगड़े भी खुलकर सामने आए हैं.

आतंकी गुटों के टकराव में गई जान?

अबू सैफुल्लाह की हत्या एक सोची-समझी साजिश थी या आतंकी गुटों के बीच टकराव का नतीजा. इस सवाल अभी तक कोई सटीक जवाब नहीं मिला है. लेकिन कई लोगों का मानना है कि जमात-उद-दावा और लश्कर जैसे संगठनों के भीतर नेतृत्व को लेकर चल रहे मतभेद और ऑपरेशनल कंट्रोल को लेकर तनाव चरम पर है. साथ ही तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान जैसे गुट, जो पहले लश्कर के सहयोगी थे, अब प्रतिस्पर्धा में आ गए हैं. ऐसे में किसी ने संगठन के भीतर से ही सैफुल्लाह को खत्म करवाया हो, यह संभावना बेहद प्रबल है.

भारत, बांग्लादेश और नेपाल तक फैलाया आतंक

अबू सैफुल्लाह की आतंकी यात्रा की शुरुआत भारत से हुई थी. वह 2001 में रामपुर सीआरपीएफ कैंप पर हमले, 2005 में बेंगलुरु स्थित IISc हमले और 2006 में नागपुर स्थित RSS मुख्यालय को निशाना बनाने की साजिशों में शामिल था. इन हमलों के बाद वह बांग्लादेश भाग गया, जहां उसने फर्जी पासपोर्ट और आईडी से खुद को छिपाया. बाद में नेपाल के काठमांडू में भी कुछ सालों तक अंडरकवर रहा. ये भी कहा जा रहा था कि वो नेपाल में अपना एक अलग फ्रंट तैयार कर रहा था. हालांकि 2012-13 के बाद वह पाकिस्तान लौट आया और ISI की निगरानी में सिंध में बस गया.

संगठन में क्या करता था सैफुल्लाह?

सैफुल्लाह संगठन के लिए ऑपरेशनल रणनीति तैयार करने वाला मुख्य चेहरा था. वह युवाओं की भर्ती, हथियारों की सप्लाई, फंडिंग के चैनल और भारत के खिलाफ आतंकी हमलों की प्लानिंग का जिम्मेदार था. लश्कर और जमात दोनों के साथ उसका गहरा जुड़ाव था. संगठन में उसे फील्ड कमांडर के रूप में जाना जाता था. उसे हाई वैल्यू टारगेट माना जाता था, जिस कारण ISI ने उसे सीमित मूवमेंट की सलाह दी थी और सुरक्षा भी मुहैया कराई थी.

Lashkar-E-Tayyaba Razullah Nizamani Abu Saifullah

ISI की नजरअंदाजी या बदलती रणनीति?

सवाल यह भी उठता है कि जिस आतंकी को ISI खुद गाजी घोषित करता है, उसे खुले आम सड़क पर मारा जाना क्या उसकी अनदेखी का सबूत नहीं? पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी या तो अब इन पुराने आतंकियों को बोझ समझने लगी है या फिर किसी डील के तहत सैफुल्लाह को जानबूझकर एक्सपोज किया गया. यह भी संभव है कि वह भारत में किसी बड़ी साजिश का हिस्सा बन रहा हो और अंतरराष्ट्रीय दबाव के चलते उसे खत्म कर दिया गया.

सुरक्षित पनाहगाह कैसे बना डेंजर जोन?

सिंध को पाकिस्तान की आतंक की राजनीति में अपेक्षाकृत ‘शांत’ माना जाता रहा है. जहां बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा में सेना और आतंकियों के बीच सीधी भिड़ंत होती है, वहीं सिंध में ISI आतंकियों को पनाह देती रही है. कराची, हैदराबाद, बदीन, और मतली जैसे इलाके लंबे समय से आतंकियों के छिपने की जगह रहे हैं. लेकिन अब वहां भी अंदरूनी हिंसा और साजिशें पनप रही हैं, जो इस बात का संकेत है कि ISI का नेटवर्क खुद दरकने लगा है.

ISI की सुरक्षा और वफादारी पर उठे सवाल

अबू सैफुल्लाह की हत्या आतंकी नेटवर्क के भीतर के तनाव को उजागर करती है. पाकिस्तान भले ही सार्वजनिक मंचों पर आतंक से लड़ने की बातें करे, लेकिन हकीकत यह है कि वह खुद अपने बनाए हुए जाल में फंस चुका है. सैफुल्लाह का अंत इस बात का उदाहरण है कि अब आतंकी भी पाकिस्तान में सुरक्षित नहीं रहे. न ISI की सुरक्षा गारंटी है, न संगठन की वफादारी.

अबू सैफुल्लाह की हत्या पाकिस्तान के आतंकी नेटवर्क में पनप रही अस्थिरता और आपसी टकराव का नतीजा हो सकती है. यह घटना सिर्फ एक आतंकी के मारे जाने की नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम के बिखरने की आहट है, जिसकी शुरुआत सिंध से हो चुकी है.

ISI की नजरअंदाजी या आतंकी गुटों का टकराव… सैफुल्लाह के मिट्टी में मिलने की Inside Story


देश दुनियां की खबरें पाने के लिए ग्रुप से जुड़ें,

#INA #INA_NEWS #INANEWSAGENCY
Copyright Disclaimer :-Under Section 107 of the Copyright Act 1976, allowance is made for “fair use” for purposes such as criticism, comment, news reporting, teaching, scholarship, and research. Fair use is a use permitted by copyright statute that might otherwise be infringing., educational or personal use tips the balance in favor of fair use.
Credit By :-This post was first published on https://www.tv9hindi.com/, we have published it via RSS feed courtesy of Source link,

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Close
Crime
Social/Other
Business
Political
Editorials
Entertainment
Festival
Health
International
Opinion
Sports
Tach-Science
Eng News