World News: मसूद से भी खतरनाक भाई रउफ की कहानी, जो पर्दे के पीछे से बनाता था प्लान – INA NEWS

भारत के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ एयरस्ट्राइक में जैश-ए-मोहम्मद का डिप्टी चीफ अब्दुल रऊफ अजहर मारा गया. पाकिस्तान के बहावलपुर स्थित जैश मुख्यालय ‘मरकज़ सुब्हान अल्लाह’ पर हुई इस सटीक कार्रवाई में रऊफ गंभीर रूप से घायल हुआ और बाद में उसकी मौत हो गई.

उसकी मौत न सिर्फ जैश-ए-मोहम्मद के लिए, बल्कि आतंक के उस ढांचे के लिए बड़ा झटका है जो दशकों से भारत के खिलाफ ऑपरेट कर रहा था. रऊफ की पहचान सिर्फ आतंकी संगठन के ऑपरेशनल हेड की नहीं थी. वो एक शातिर मास्टरमाइंड था, जिसने दशकों तक भारत के खिलाफ हमलों की नींव तैयार की.

कौन था अब्दुल रऊफ अजहर?

अब्दुल रऊफ अजहर, जैश-ए-मोहम्मद का सरगना मसूद अजहर का छोटा भाई था. लेकिन वक्त के साथ वह खुद एक बड़ा नाम बन गया. इतना खतरनाक कि अमेरिका ने उसे 2 दिसंबर 2010 को ग्लोबल टेररिस्ट घोषित किया. अमेरिका के खजाना विभाग ने उस पर भारत और अफगानिस्तान में हमलों की प्लानिंग और आतंकियों की भर्ती का आरोप लगाया. 2007 में जब मसूद अजहर अंडरग्राउंड हो गया, तब जैश की कमान रऊफ के हाथ में आई. उस दिन से वह पर्दे के पीछे से पूरे संगठन का संचालन कर रहा था.

भारत में हुए कई बड़े हमलों का मास्टरमाइंड

रऊफ अजहर का नाम भारत के सबसे भीषण आतंकी हमलों से जुड़ा रहा.

1999 IC-814 हाईजैक: मसूद अजहर की रिहाई के लिए रऊफ ने इस ऑपरेशन को अंजाम दिलवाया. कंधार में भारतीय विमान के हाईजैक ने देश को झकझोर दिया था.

2001 संसद पर हमला: लोकतंत्र के मंदिर पर हुआ ये हमला रऊफ की प्लानिंग का नतीजा था. इसमें 9 लोगों की जान गई.

2002 डैनियल पर्ल की हत्या: अमेरिकी पत्रकार की पाकिस्तान में बेरहमी से हत्या, जिसमें जैश की भूमिका सामने आई.

2005 अयोध्या हमला: राम मंदिर परिसर में हुआ हमला सांप्रदायिक हिंसा भड़काने की कोशिश थी. रऊफ की वही पुरानी रणनीति धार्मिक उकसावे के साथ घातक हमले.

2008 मुंबई हमले: जैश की लॉजिस्टिक मदद की आशंका से रऊफ के कनेक्शन पर भी जांच हुई.

2016 पठानकोट हमला: भारतीय एयरबेस पर हुआ हमला, जिसमें 6 आतंकी घुसे. इस ऑपरेशन की निगरानी रऊफ ने की थी.

2019 पुलवामा हमला: भले ही नाम मसूद अजहर का था, लेकिन इस आत्मघाती हमले की लॉजिस्टिक्स और ग्राउंड प्लानिंग रऊफ ने ही संभाली थी.

क्यों था रऊफ भारत के लिए सबसे बड़ा खतरा?

रऊफ सिर्फ प्लानिंग तक सीमित नहीं था. वह जमीन पर एक्टिवेशन, घुसपैठ, हथियारों की सप्लाई, और भारत में स्लीपर सेल्स को एक्टिवेट करने जैसे ऑपरेशन को भी खुद देखता था. जैश के आतंकी ट्रेनिंग कैंपों की जिम्मेदारी उसी के पास थी. उसकी सोच थी एक तरफ धार्मिक उन्माद भड़काना, दूसरी तरफ सैन्य ठिकानों और राजनीतिक व्यवस्था को निशाना बनाना. पाकिस्तान के भीतर बैठे-बैठे वह भारत को अंदर से कमजोर करने की रणनीति चला रहा था.

चीन ने बचाया, लेकिन भारत ने खत्म किया

2022 में भारत ने रऊफ अजहर को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 प्रतिबंध समिति में ब्लैकलिस्ट करने की कोशिश की थी. लेकिन चीन ने “और सबूतों की ज़रूरत” बताते हुए इस कदम को रोक दिया. मगर 2025 की ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने वह कर दिखाया, जो सालों की कूटनीति और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर प्रयास नहीं कर सके. रऊफ को मार गिराया गया. रऊफ अजहर की मौत जैश के लिए वैसी ही है, जैसी रीढ़ की हड्डी के टूटने जैसी. मसूद पहले ही लंबे वक्त से अंडरग्राउंड है, और अब रऊफ भी नहीं रहा. इससे संगठन के भीतर नेतृत्व का संकट पैदा हो सकती है.

मसूद से भी खतरनाक भाई रउफ की कहानी, जो पर्दे के पीछे से बनाता था प्लान


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