World News: न हमास-हिजबुल्लाह न अमेरिका-रूस…युद्ध के बीच इन 3 लोगों से डरे नेतन्याहू! – INA NEWS

इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के लिए इस वक्त सबसे बड़ी चुनौती हमास, हिजबुल्लाह नहीं या अमेरिका-रूस के समीकरण नहीं है बल्कि एक किताबों की दुकान बन गई है. दरअसल इजराइल की राजधानी यरुशलम में किताबों की दुकान पर पुलिस के छापे ने एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं. यह दुकान कोई आम दुकान नहीं, बल्कि चार दशकों से साहित्य और बौद्धिक विमर्श का केंद्र रही ‘एजुकेशनल बुकशॉप’ है. पिछले महीने हुई छापेमारी को लेकर आलोचना झेल रही इजरायली पुलिस ने एक बार फिर इस दुकान पर धावा बोला, बिना किसी वारंट के.
इस बार भी पुलिस ने वही किया जो पहले कर चुकी थी—गूगल ट्रांसलेट की मदद से किताबों के नाम खंगाले और जिन पर फिलिस्तीनी झंडे या ‘Palestine’ शब्द लिखा था, उन्हें जब्त कर लिया. दुकान के सह-मालिक इमाद मुना को हिरासत में ले लिया गया और 50 से ज्यादा किताबें जब्त कर ली गईं. दिलचस्प बात यह रही कि जिन किताबों पर कार्रवाई हुई, उनमें ब्रिटिश कलाकार बैंक्सी, इजरायली इतिहासकार इलान पापे और अमेरिकी विद्वान नोम चॉम्स्की की किताबें भी शामिल थीं.
फिलिस्तीनी झंडे वाले कवर भी निशाने पर
पुलिसकर्मियों ने किताबों की सामग्री नहीं, बल्कि उनके कवर देखे. जिन किताबों पर फिलिस्तीनी झंडा था, या ‘Palestine’ शब्द लिखा था, उन्हें उठा लिया गया. यह कार्रवाई इतनी मनमानी थी कि पुलिसकर्मी किताबों के अंश समझने के लिए गूगल ट्रांसलेट का सहारा ले रहे थे.
इससे पहले फरवरी में भी इस दुकान पर छापा पड़ा था. उस दौरान इमाद के बेटे अहमद मुना और एक अन्य भाई महमूद मुना को दो दिन हिरासत में रखा गया था. इसके बाद उन्हें पांच दिन के लिए नजरबंद कर दिया गया, लेकिन कोई चार्ज नहीं लगाया गया. तब पुलिस ने एक बच्चों की कलरिंग बुक को भी सबूत के तौर पर पेश किया था, जिसमें उन्होंने ‘आतंक फैलाने वाली सामग्री’ होने का दावा किया था.
पुलिस का क्या कहना है?
पुलिस ने दावा किया कि उन्हें एक शख्स ने शिकायत की थी कि दुकान में ‘भड़काऊ सामग्री’ वाली किताबें बिक रही हैं. इस आधार पर इमाद मुना को हिरासत में लिया गया और दुकान का ताला बंद कर दिया गया. बाद में ज्यादातर किताबें लौटा दी गईं और दुकान फिर से खुल गई.
एजुकेशनल बुकशॉप सिर्फ एक किताबों की दुकान नहीं है, बल्कि यरुशलम में साहित्य, विचार और बौद्धिक विमर्श का अहम केंद्र रही है. यहां न केवल फिलिस्तीनी और अंतरराष्ट्रीय लेखक आते हैं, बल्कि साहित्यिक कार्यक्रम भी होते हैं. इजरायली पुलिस की इस कार्रवाई को लेकर अब मानवाधिकार संगठनों और लेखकों में नाराजगी बढ़ रही है.
न हमास-हिजबुल्लाह न अमेरिका-रूस…युद्ध के बीच इन 3 लोगों से डरे नेतन्याहू!
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