World News: निर्वासन पर विपक्ष राजनीति कर रहा, UPA सरकार में सैकड़ों भारतीयों के साथ हुए दुर्व्यवहार – INA NEWS

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने सत्ता संभालते ही अमेरिका में गैर कानूनी तौर पर रह रहे नागरिकों के खिलाफ कार्रवाई की, उन्हें अपने-अपने मुल्कों में जबरन भेजना शुरू कर दिया है. भारत में निर्वासन के पहले बैच में 104 भारतीय नागरिक शामिल हैं, जिन्हें अमेरिकी सेना में वापस पंजाब भेजा है. इनमें कई नागरिक गुजरात के भी हैं. वैसे अमेरिका यह कार्रवाई अपने आप्रवासी कानूनों के तहत कर रहा है लेकिन भारत में विपक्ष ने इस मुद्दे पर केंद्र सरकार को घेरना शुरू कर दिया है. जानकारी के मुताबिक अमेरिकी आव्रजन और सीमा शुल्क प्रवर्तन (ICI) के तहत 2012 में भी केवल महिलाओं और बच्चों को छोड़कर इसे सख्ती से लागू किया गया था और सैकड़ों लोगों को वापस किया, लेकिन तब कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल इस मुद्दे पर चुप थे.
गौरतलब है कि डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने चुनावी अभियान के दौरान ही इसे जोर शोर से ऐलान कर दिया था कि उनकी सरकार आते ही अवैध नागरिकों की पहचान करके उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. अब ट्रम्प प्रशासन द्वारा अमेरिकी आव्रजन और सीमा शुल्क प्रवर्तन के तहत अवैध तौर पर रहे लोगों को हिरासत में लिया जा रहा है और निर्वासित किया जा रहा है. दुनिया के कई देशों में इस मुद्दे पर हड़कंप मचा हुआ है.
पिछले सालों में किए गए निर्वासन
आंकड़ों पर गौर करें तो अमेरिका कम से कम साल 2009 से ही अवैध रूप से रह रहे भारतीय नागरिकों को निर्वासित कर रहा है, यह कार्रवाई केवल 2025 में नहीं हुई है. निर्वासन के लिए मानक संचालन प्रक्रियाएं (SOP), जिसमें प्रतिबंधों का उपयोग भी शामिल है. यह साल 2012 से ही लागू है और तभी से अमेरिकी प्रशासन सक्रिय है. सरकार चाहे डेमोक्रेट्स की हो या रिपब्लिकन की- अवैध नागरिकों के खिलाफ कार्रवाई हर दौर में की गई है. नीचे की तालिका में यूपीए सरकार के कार्यकाल में हुई कार्रवाई और वापसी के आंकड़े दर्ज हैं-
यूपीए सरकार के कार्यकाल का आंकड़ा
साल | कितने लोग लौटे? |
2009 | 734 |
2010 | 799 |
2011 | 597 |
2012 | 530 |
2013 | 515 |
2014 | 591 |
अतीत में निर्वासन के प्रति कांग्रेस का रवैया
यूपीए सरकार के कार्यकाल में अमेरिका में रह रहे सैकड़ों भारतीय युवाओं को तमाम दुश्वारियों का सामना करना पड़ता था. सक्रिय शासन में कमी और कूटनीतिक निष्क्रियता के चलते तब युवाओं को अंधेरे में रखा जाता था. सरकार अपने नागरिकों के हित में खड़े होने के बजाय मूकदर्शक बनी रहती थी. इतिहास के पन्ने पलटें तो ट्राई-वैली यूनिवर्सिटी (TVU) घोटाला से हजारों छात्रों का भविष्य बर्बाद हो गया. ट्राई-वैली यूनिवर्सिटी कैलिफ़ोर्निया में स्थित है. इस गैर-मान्यता प्राप्त निजी विश्वविद्यालय को अमेरिकी अधिकारियों द्वारा बड़े पैमाने पर वीज़ा धोखाधड़ी का खुलासा करने के बाद 2011 में बंद कर दिया गया था.
इस संस्थान पर अमेरिकी आव्रजन और सीमा शुल्क प्रवर्तन के छापे में कई गड़बड़ियां पाई गईं. पता चला कि इस विश्वविद्यालय ने कानूनी तौर पर शिक्षा प्रदान किए बिना ही मुख्य रूप से भारत से हजारों छात्रों को एफ-1 वीजा जारी किया गया था. कई छात्र अनजाने में इस गोरखधंधे में फंस गए और उनको गंभीर परिणाम भुगतना पड़ा. उन्हें अपमान और उत्पीड़न का सामना करना पड़ा. उनकी गिरफ्तारी तक की गई. यहां तक कि अपराधियों की तरह उनको रेडियो टैग भी लगाए गए. जानकारी के मुताबिक इनमें कई लोग आंध्र प्रदेश से थे. उनका करियर तो बर्बाद हुआ ही, पैसे भी बर्बाद हुए.
अमेरिकी कार्रवाई पर सरकार की प्रतिक्रिया
हाल के दिनों में अमेरिकी प्रशासन की कार्रवाई को लेकर अब भारत सरकार का साफतौर पर कहना है कि अमेरिका निर्वासित लोगों के साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार करे. भारत सरकार अमेरिका के साथ बातचीत कर रही है कि निर्वासित लोगों के साथ किसी भी तरह का दुर्व्यवहार न हो. निर्वासित लोगों को भोजन और चिकित्सा सहायता सहित बुनियादी जरूरतें समय पर दी जाएं. सरकार ने यह भी साफ किया है कि उसके अनुरोध पर अमेरिकी प्रशासन उचित कार्रवाई कर रहा है.
निर्वासन पर विपक्ष राजनीति कर रहा, UPA सरकार में सैकड़ों भारतीयों के साथ हुए दुर्व्यवहार
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