World News: पाकिस्तान-चीन से दोस्ती का खामियाजा भुगतेंगे यूनुस, भारत ने दी ये बड़ी चोट – INA NEWS

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस के हालिया चीन-पाक झुकाव का असर अब भारत-बांग्लादेश रिश्तों पर साफ दिखने लगा है. भारत ने बांग्लादेश में चल रही कई अहम रेल परियोजनाओं पर फिलहाल ब्रेक लगा दिया है. ये प्रोजेक्ट्स पूर्वोत्तर भारत को बांग्लादेश के जरिए जोड़ने के लिए बनाए जा रहे थे, ताकि ‘चिकन नेक’ यानी सिलिगुड़ी कॉरिडोर पर निर्भरता घटाई जा सके.
लेकिन अब भारत इन परियोजनाओं पर दोबारा सोच रहा है. सूत्रों के मुताबिक, भारत पूर्वोत्तर को जोड़ने के लिए वैकल्पिक रास्तों पर विचार कर रहा है, ताकि सप्लाई चैन और रणनीतिक सुरक्षा दोनों सुरक्षित रहें.
बयानबाज़ी से बिगड़े हालात
मोहम्मद यूनुस के बयान, जिसमें उन्होंने पूर्वोत्तर भारत में चीन को निवेश का न्योता दिया और पाकिस्तान से भी नज़दीकी की वकालत की, भारत को रास नहीं आए. इसके बाद भारत ने बांग्लादेश को दी गई ट्रांजिट सुविधा वापस ले ली, और जवाब में ढाका ने भारतीय यार्न के आयात पर रोक लगा दी. दोनों देशों के रिश्तों में अचानक तनाव साफ दिखने लगा.
कौन-कौन सी परियोजनाएं प्रभावित हुईं?
अखौरा-अगरतला रेल लिंक: नवंबर 2023 में पीएम मोदी और शेख हसीना ने इसका वर्चुअल उद्घाटन किया था. इससे अगरतला से कोलकाता की दूरी 36 घंटे से घटकर 12 घंटे हो जाती.
खुलना-मोंगला रेल लाइन: भारत की मदद से 65 किमी की ब्रॉड गेज लाइन तैयार की जा रही थी. इस लाइन से मोंगला पोर्ट भारतीय रेल नेटवर्क से जुड़ता, जिससे व्यापार बढ़ता.
ढाका-टोंगी-जॉयदेबपुर रेल विस्तार: यह प्रोजेक्ट 2027 तक पूरा होना था, लेकिन डिजाइन और टेंडर में देरी की वजह से अब तक आधा भी पूरा नहीं हो पाया है.
इन तीनों के अलावा करीब 5 अन्य प्रस्तावित रेल प्रोजेक्ट भी रोक दिए गए हैं. इन सबका अनुमानित खर्च करीब 5,000 करोड़ रुपये बताया गया है.
बांग्लादेश चीन-पाक की ओर झुक रहा?
हालिया घटनाओं से ऐसा लग रहा है कि बांग्लादेश अब भारत से दूरी बनाकर चीन और पाकिस्तान के करीब जाने की कोशिश कर रहा है. मोहम्मद यूनुस की चीन यात्रा में वहां के राष्ट्रपति से रेलवे प्रोजेक्ट्स पर बातचीत हुई. चीन के बेल्ट ऐंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के तहत बांग्लादेश में 4.45 अरब डॉलर के इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश की बात भी सामने आई है.
क्या भारत के पास विकल्प हैं?
सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि अगर बांग्लादेश की ओर से ऐसे ही संकेत मिलते रहे तो भारत को नेपाल और भूटान के ज़रिए पूर्वोत्तर को जोड़ने पर गंभीरता से काम करना होगा. हालांकि ये रास्ते भी आसान नहीं हैं, लेकिन लंबे समय में ये रणनीतिक तौर पर अहम हो सकते हैं. भारत और बांग्लादेश दोनों ने अब तक इन मुद्दों पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन सूत्र बताते हैं कि बीते कुछ महीनों में द्विपक्षीय सहयोग की गति काफी धीमी पड़ी है. और जब तक बांग्लादेश भारत की चिंताओं को दूर करने की कोशिश नहीं करता, तब तक कोई भी नया कदम उठाना मुश्किल है.
पाकिस्तान-चीन से दोस्ती का खामियाजा भुगतेंगे यूनुस, भारत ने दी ये बड़ी चोट
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