World News: अपना सपना पूरा करने के लिए बेकसूर भारतीयों की जान ले रहा सऊदी! आगे और भी खतरा – INA NEWS

मानवाधिकार संगठन ह्यूमन राइट्स वॉच और फेयरस्क्वेयर की ताजा रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि भारत, बांग्लादेश और नेपाल जैसे देशों से गए हजारों प्रवासी मजदूरों की सऊदी अरब में काम के दौरान ऐसी परिस्थितियों में मौतें हो रही हैं, जिन्हें रोका जा सकता था. रिपोर्ट में कहा गया है कि इन मौतों के पीछे बिजली के झटके, ऊंचाई से गिरना, सड़क दुर्घटनाएं और कार्यस्थल पर सुरक्षा उपायों की कमी जैसे कारण हैं.

ह्यूमन राइट्स वॉच ने आरोप लगाया है कि सऊदी अधिकारी इन मौतों की ठीक से जांच नहीं करते और अक्सर उन्हें गलत तरीके से रिपोर्ट किया जाता है, जिससे पीड़ित परिवारों को मुआवजा नहीं मिल पाता.

रिपोर्ट में एक मामले का हवाला देते हुए बताया गया कि एक बांग्लादेशी मजदूर की काम के दौरान मौत के बाद उसके शव को तब तक नहीं सौंपा गया, जब तक परिवार ने स्थानीय दफन के लिए सहमति नहीं दी.

फीफा और सऊदी अरब की आलोचना

ह्यूमन राइट्स वॉच की वैश्विक पहल निदेशक मिंकी वर्डेन ने कहा कि सऊदी अरब और फुटबॉल की वैश्विक संस्था फीफा को मजदूरों के लिए मूलभूत श्रम सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए. उन्होंने चेतावनी दी कि यदि जवाबदेही तय नहीं की गई, तो आने वाले वर्षों में हजारों और रोकी जा सकने वाली मौतें हो सकती हैं, खासकर 2034 फुटबॉल विश्व कप की तैयारियों के दौरान कदम उठाये जा सकते थे.

मानवाधिकार संगठन फेयरस्क्वेयर ने अपनी अलग रिपोर्ट में बताया कि पिछले 18 महीनों में सऊदी अरब में 17 नेपाली मजदूरों की मौत की जांच की गई. फेयरस्क्वेयर के सह-निदेशक जेम्स लिंच के अनुसार, कई परिवार अब भी अपने मृत परिजनों द्वारा लिए गए कर्जों के कारण साहूकारों के दबाव में हैं.

सऊदी अरब की चुप्पी, फीफा का बचाव

रिपोर्ट के अनुसार, सऊदी सरकार ने इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है. वहीं, फीफा ने एक पत्र साझा करते हुए दावा किया है कि सऊदी अरब ने श्रमिक कल्याण के लिए व्यवस्थाएं लागू की हैं और अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के साथ सहयोग बढ़ाया है.

रिपोर्ट में 2022 के कतर विश्व कप की भी तुलना की गई, जहां प्रवासी श्रमिकों की मौतों को लेकर पहले से विवाद रहा है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि सऊदी अरब में हालात और भी खराब हो सकते हैं, क्योंकि 2034 विश्व कप में ज्यादा टीमें हिस्सा लेंगी और बुनियादी ढांचे का बोझ और बढ़ेगा.

सुप्रीम कमेटी जैसी निगरानी प्रणाली का अभाव

जहां कतर ने श्रमिक सुरक्षा के लिए एक निगरानी संस्था सुप्रीम कमेटी बनाई थी, वहीं सऊदी अरब में ऐसी कोई प्रणाली नहीं है. ह्यूमन राइट्स वॉच ने चेताया है कि जब तक इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाए जाते, तब तक प्रवासी मजदूरों की जान को गंभीर खतरा बना रहेगा.

यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब फीफा अध्यक्ष जियानी इन्फेंटिनो, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ सऊदी अरब की यात्रा पर थे और उन्होंने क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से मुलाकात की थी.

अपना सपना पूरा करने के लिए बेकसूर भारतीयों की जान ले रहा सऊदी! आगे और भी खतरा


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