World News: Sick Leave लेने वाले सच में बीमार हैं या नहीं… पता लगाने के लिए नियुक्त किए जा रहे जासूस – INA NEWS
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अगर आप जॉब करते हैं और बार-बार सिक लीव लेते हैं तो फिर आपको अब थोड़ा चौकन्ना रहने की जरूरत है. आप वास्तव में बीमार हैं और सिक लीव ले रहे हैं तो ऐसे लोगों के लिए तो नहीं, लेकिन जो लोग बिना बीमार हुए सिक लीव पर चले जाते हैं उन लोगों की अब खैर नहीं है. जर्मनी में कुछ ऐसा ही देखने को मिला है. जहां, पहले से चल रही कामगारों की कमी और गिरती अर्थव्यवस्था को देखते हुए कंपनियां अब सिक लीव लेने वाले कर्मचारियों के लिए एक तरह से जासूस नियुक्त करेगी. ताकि यह पता लगाया जा सके कि जब वो सिक लेता है तो वास्तव में वो बीमार है की नहीं.
जर्मनी में प्राइवेट जासूस मार्कस लेंट्ज कहते हैं कि अगर कोई साल में 30-40 या कभी-कभी 100 दिन तक बीमार रहता है तो फिर वो कंपनियों के लिए आर्थिक रूप से अनाकर्षक हो जाते हैं. इसका मतलब है कि कंपनियां उनमें इंटरेस्ट नहीं दिखाती हैं. जर्मनी में ऑटो टाइटन्स से लेकर उर्वरक उत्पादकों तक, कंपनियां यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था पर बीमार की छुट्टी की उच्च दरों के प्रभाव के बारे में टेंशन पैदा कर रही हैं.
सिक लीव की रिपोर्टिंग में बदलाव को बता रहे जिम्मेदार
हालांकि, कुछ लोगों का मानना है कि सिक लीव की रिपोर्टिंग में बदलाव से इस तरह की छुट्टियों में फर्जीवाड़ा करना आसान हो गया. विशेषज्ञों का कहना है कि बढ़ती संख्या के पीछे कारण अधिक जटिल हैं, जिनमें मानसिक बीमारियों में बढ़ोतरी से लेकर अधिक काम के दबाव तक शामिल हैं. कई लोग इस बात से सहमत हैं कि यह प्रवृत्ति जर्मनी पर भारी पड़ रही है. इसकी वजह से प्रोडक्शन से लेकर निर्यात तक में कमी देखने को मिली है. जिसका सीधा असर देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा है.
जर्मन एसोसिएशन ऑफ रिसर्च-बेस्ड फार्मास्युटिकल कंपनी के मुख्य अर्थशास्त्री क्लॉस मिशेलसन ने कहा कि प्रभाव महत्वपूर्ण है और निश्चित रूप से आर्थिक गतिविधि को प्रभावित करता है. उन्होंने कहा कि एसोसिएशन ने सिक लीव को लेकर पाया है कि बीमारी के कारण काम पर अनुपस्थिति की उच्च दर से पिछले साल जर्मनी के उत्पादन में 0.8 फीसदी की कमी आई. इसके कारण अर्थव्यवस्था को भी नुकसान उठाना पड़ रहा है.
2021 की तुलना में अब लोग ज्यादा ले रहे सिक लीव
जर्मन संघीय सांख्यिकी कार्यालय के आंकड़ों से पता चलता है कि जर्मनी में श्रमिकों ने पिछले साल औसतन 15.1 दिनों की सिक लीवली, जो 2021 में 11.1 दिनों से अधिक है. जर्मनी के प्रमुख वैधानिक स्वास्थ्य बीमाकर्ताओं में से एक ने बताया कि साल के पहले नौ महीनों में श्रमिकों के बीच बीमार दिनों की औसत संख्या 14.13 थी जो एक उच्च दर को दर्शाता है.
कर्मचारियों की भयंकर कमी से जूझ रहा जर्मनी
आर्थिक सहयोग और विकास संगठन के आंकड़ों से पता चलता है कि बीमारी के कारण जर्मन पिछले साल औसतन 6.8 प्रतिशत कामकाजी घंटों से चूक गए. फ्रांस, इटली और स्पेन जैसे अन्य यूरोपीय संघ के देशों की तुलना में जर्मन में स्थिति काफी बदतर होती जा रही है. इसलिए कंपनियां अब सिक लीव लेने वालों की जासूसी करवाएंगी और यह पता लगाएंगी कि क्या लोग सही में बीमार पड़ रहे हैं या फिर काम से भागने के लिए इस तरह के विकल्प का दुरुपयोग तो नहीं कर रहे हैं.
Sick Leave लेने वाले सच में बीमार हैं या नहीं… पता लगाने के लिए नियुक्त किए जा रहे जासूस
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