World News: चीन की लैब में बना ‘सुपर डायमंड’ असली हीरे से कितना अलग है? – INA NEWS
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सोचिए, अगर कोई ऐसा हीरा हो, जो प्राकृतिक हीरे से भी कहीं ज्यादा सख्त हो, तो? चीन के वैज्ञानिकों ने इसे हकीकत बना दिया है. यह सिर्फ एक साधारण हीरा नहीं, बल्कि एक कृत्रिम हीरा है जो अपनी ताकत में किसी प्राकृतिक हीरे से भी कई कदम आगे है. हालांकि, लैब में पहले भी हीरा बनाने की कई कोशिशें की गईं, लेकिन सफलता की कहानी कभी पूरी नहीं हो पाई.
अब चीन के शोधकर्ताओं ने वह मुश्किल हल कर दी है, और दुनिया को एक नया ‘सुपर डायमंड’ पेश किया है. इस सुपर डायमंड का बड़ा फायदा उन उद्योगों को हो सकता है जो मजबूत और टिकाऊ सामग्री की तलाश में रहते हैं. तो आइए जानते हैं कि यह हीरा सामान्य हीरों से कैसे अलग है, और क्या यह भविष्य में गहनों में भी इस्तेमाल हो सकता है?
क्या है यह सुपर डायमंड?
साधारण हीरों का अटॉमिक स्ट्रक्चर क्यूबिक (घन) होता है, जिसकी वजह से ये सख्त होते हैं. मगर एक दुर्लभ हेक्सागोनल संरचना और भी ज्यादा सख्त होती है, जिसे लॉन्स्डेलाइट कहा जाता है. यह संरचना आमतौर पर उल्कापिंडों के टकराने से बनती है और इसे लैब में बनाने में वैज्ञानिकों को हमेशा मुश्किलें आती रही हैं.
अब, चीन के जिलिन विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने इस दुर्लभ और सख्त हीरे को बनाने में सफलता हासिल की है. उन्होंने ग्रेफाइट को खास परिस्थितियों में संकुचित करके उच्च गुणवत्ता वाले हेक्सागोनल हीरे का निर्माण किया है.
प्राकृतिक हीरों से भी सख्त
इस कृत्रिम हीरे की सख्ती 155 GPa तक मापी गई है, जबकि प्राकृतिक हीरे की सख्ती सिर्फ 100 GPa होती है. यही नहीं, यह हीरा 1,100 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान को भी सहन करने में सक्षम है, जो कि सामान्य हीरों से कहीं अधिक है. इसका मतलब है कि यह हीरा न सिर्फ सख्त है, बल्कि उच्च तापमान में भी अपने गुणों को बनाए रखता है.
फायदे क्या हो सकते हैं?
इस कृत्रिम हीरे की विशेषताएं इसे कटिंग और ड्रिलिंग जैसी औद्योगिक प्रक्रियाओं के लिए आदर्श बनाती हैं. वैज्ञानिकों का मानना है कि यह खोज कई क्षेत्रों में बदलाव ला सकती है, जैसे खनन, निर्माण, और यहां तक कि चिकित्सा उपकरणों में भी इसका इस्तेमाल हो सकता है.
इस अध्ययन ने हीरे के निर्माण के तरीके के बारे में नया नजरिया दुनिया के सामने रखा है. इस प्रक्रिया से भविष्य में उच्च गुणवत्ता वाली सख्त सामग्रियों का निर्माण संभव हो सकता है, जो औद्योगिक और अन्य क्षेत्रों के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है. हालांकि, अभी तक हेक्सागोनल हीरों को लैब में बनाने में ज्यादा सफलता नहीं मिल पाई थी, लेकिन इस नई प्रक्रिया के साथ वैज्ञानिकों को बेहतर निर्माण तकनीकों की उम्मीद है.
क्या गहनों में भी होगा इस्तेमाल?
इसका औद्योगिक इस्तेमाल तो साफ है मगर वैज्ञानिकों ने एक और दिलचस्प संभावना भी व्यक्त की है. हो सकता है कि भविष्य में इस सुपर डायमंड का इस्तेमाल गहनों में भी किया जाए. हालांकि, वर्तमान में इसका मुख्य ध्यान औद्योगिक उपयोग पर है, लेकिन जैसे-जैसे तकनीक विकसित होगी, हो सकता है कि इसे गहनों के रूप में भी देखा जाए.
चीन की लैब में बना ‘सुपर डायमंड’ असली हीरे से कितना अलग है?
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