World News: जिस कोर्ट ने पुतिन के खिलाफ जारी किया था अरेस्ट वारंट, उस पर अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप ने क्यों लगाया बैन? – INA NEWS

अमेरिका में सत्ता पर काबिज होने के बाद से ही राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अब तक कई चीजों पर निशाना साध चुके हैं. अब ट्रंप ने अंतरराष्ट्रीय आपराधिक कोर्ट (International Criminal Court) पर भी बैन लगा दिया है. यह वो ही कोर्ट है जिसने साल 2023 में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के खिलाफ यूक्रेन वॉर को लेकर अरेस्ट वारंट जारी किया था. हालांकि, ट्रंप के इस कोर्ट पर बैन लगाने के पीछे का कनेक्शन इजराइल से जुड़ा हुआ है.

सबसे पहला सवाल जो इस खबर को पढ़ने से उठता है वो यह ही है कि ट्रंप ने यह बैन क्यों लगाया? दरअसल, ट्रंप ने यह बैन रूस के चलते नहीं लगाया है बल्कि इसका कनेक्शन इजराइल से है. डोनाल्ड ट्रंप और इजराइल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू काफी करीबी है.

क्यों लगाया ट्रंप ने बैन?

आईसीसी ने नेतन्याहू के खिलाफ गाजा पर हमला करने को लेकर युद्ध गतिविधियों के चलते अरेस्ट वारंट जारी किया था. हालांकि, न तो अमेरिका और न ही इजराइल इस अदालत के सदस्य है और वो इसको मान्यता भी नहीं देते हैं.

डोनाल्ड ट्रंप ने आईसीसी पर बैन लगाने की वजह बताते हुए कहा, अमेरिका और हमारे करीबी सहयोगी इजराइल को निशाना बनाने वाली नाजायज और निराधार कार्रवाइयों में शामिल होने और नेतन्याहू और उनके पूर्व रक्षा मंत्री, योव गैलेंट के खिलाफ “आधारहीन गिरफ्तारी वारंट” जारी करके अपनी शक्ति का दुरुपयोग करने की वजह से बैन लगाया गया है.

साथ ही आदेश में कहा गया है कि अमेरिका और इजराइल पर आईसीसी का कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है. इसी के साथ आदेश में कोर्ट को लेकर कहा गया है कि अदालत ने दोनों देशों के खिलाफ अपने एक्शन से एक “खतरनाक मिसाल” सामने रखी है.

नेतन्याहू से मुलाकात के बाद लिया एक्शन

ट्रंप की यह कार्रवाई कोर्ट पर तब हुई है जब इजराइल के पीएम नेतन्याहू वाशिंगटन के दौरे पर पहुंचे थे. उन्होंने और ट्रंप ने मंगलवार को व्हाइट हाउस में बातचीत की और नेतन्याहू ने गुरुवार का कुछ समय कैपिटल हिल में सांसदों के साथ बैठक में बिताया. इसी के बाद अब ट्रंप ने उस कोर्ट पर बैन लगा दिया है जिसने नेतन्याहू के खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी किया था.

आदेश में कहा गया है कि अमेरिका आईसीसी के “उल्लंघनों” के लिए जिम्मेदार लोगों पर “ठोस एक्शन लेगा. उल्लंघन करने पर एक्शन में लोगों की प्रोपर्टी को ब्लॉक किया जा सकता है. इसी के साथ आईसीसी अधिकारियों, कर्मचारियों और उनके रिश्तेदारों को अमेरिका में एंट्री भी नहीं दी जाएगी.

डोनाल्ड ट्रंप के कोर्ट पर बैन लगाने के बाद लोगों की प्रतिक्रिया सामने आने लगी है. अमेरिकन सिविल लिबर्टीज यूनियन के राष्ट्रीय सुरक्षा प्रोजेक्ट के स्टाफ वकील चार्ली होगल ने कहा, दुनिया भर में मानवाधिकारों के हनन के शिकार लोगों के पास जब इंसाफ मांगने जाने के लिए कोई जगह नहीं होती है तो वो अंतरराष्ट्रीय आपराधिक कोर्ट का रुख करते हैं. इसी के साथ उन्होंने आगे कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप के कार्यकारी आदेश से इन सभी लोगों के लिए इंसाफ पाना और भी मुश्किल हो जाएगा.

कोर्ट पर पहले भी चला ट्रंप का चाबुक

इजराइल की ही तरह अमेरिका भी कोर्ट के सदस्य देशों में शामिल नहीं है. कोर्ट के सदस्यों में 124 देश शामिल है. इससे पहले भी कोर्ट पर ट्रंप का चाबुक चला है. साल 2020 में, अफगानिस्तान पर अमेरिका सहित कई जगह से हुए युद्ध के चलते जांच शुरू की गई थी, लेकिन इस जांच के चलते ट्रंप ने वकील फतौ बेनसौदा पर बैन लगा दिया था. हालांकि, राष्ट्रपति जो बाइडेन ने उन प्रतिबंधों को हटा दिया था.

कोर्ट को क्या होगा नुकसान?

अब यहां सवाल उठता है कि ट्रंप के इस एक्शन से कोर्ट को क्या नुकसान होगा? अमेरिका के कोर्ट पर बैन लगा देने से उनके लिए यात्रा करना मुश्किल हो जाएगा. साथ ही वो सबूतों को सुरक्षित रखने में अमेरिका की तकनीक का भी इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे. ऐसा पहले भी हुआ था अदालत को पिछले साल एक बड़े साइबर हमले का सामना करना पड़ा था, जिसकी वजह से कर्मचारी हफ्तों तक सबूतों तक नहीं पहुंच पाए थे.

अमेरिका के बैन लगाए जाने के बाद कुछ यूरोपीय देश भी इस से पीछे हट रहे हैं. नीदरलैंड ने पिछले साल के आखिर में एक बयान में अन्य आईसीसी सदस्यों से इन संभावित प्रतिबंधों के जोखिमों को कम करने के लिए सहयोग करने के लिए कहा था, ताकि अदालत अपना काम जारी रख सके और अपने जनादेश को पूरा कर सके. यह अदालत नीदरलैंड में ही मौजूद है.

जिस कोर्ट ने पुतिन के खिलाफ जारी किया था अरेस्ट वारंट, उस पर अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप ने क्यों लगाया बैन?


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