World News: ट्रंप को टेरर स्वीकार? सीरिया से बैन हटाया..अल-जुलानी से हाथ मिलाया – INA NEWS

बदलते वर्ल्ड ऑर्डर में बुधवार को सामने आई एक तस्वीर पूरी दुनिया में वायरल हो रही है औऱ चर्चा का विषय बनी हुई है. ये तस्वीर दुनिया के दो अलग-अलग ध्रुवों के राष्ट्राध्यक्षों की मुलाकात की है. लेकिन परिचय सामान्य नहीं है. ये असामान्य परिचय है, क्योंकि आमतौर पर ऐसा देखने को नहीं मिलता.
इस तस्वीर में एक हैं दुनिया के सबसे शक्तिशाली राष्ट्र कहे जाने वाले अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और दूसरे हैं सीरिया के अंतरिम राष्ट्रपति अहमद अल-शरा उर्फ अबु मोहम्मद अल-जुलानी. ये पिछले 25 वर्षो में पहली बार है जब अमेरिका और सीरिया के राष्ट्र प्रमुखों की मुलाकात हुई है.
ट्रंप को तो सभी जानते हैं, लेकिन सीरिया के अंतरिम राष्ट्रपति का परिचय ही सबसे ज्यादा हेडलाइंस में है. अल जुलानी तख्तापलट के बाद सीरिया के अंतरिम राष्ट्रपति बने. इतना ही नही जुलानी के आतंकी संगठन अलकायदा से संबंध रहे हैं. इन पर अमेरिका ने 10 मिलियन डॉलर ईनाम भी रखा था, जिसे 5 महीने पहले दिसंबर 2024 में हटा लिया गया.
जुलानी के ही हयात तहरीर अल-शाम या HTS ने बशर अल असद की सत्ता को पिछले साल उखाड़ फेंका था. जिसके बाद अल असद को भागकर अपने परिवार के साथ रूस में शरण लेनी पड़ी. तख्तापलट के बाद सीरिया में जुलानी ने लाखों लोगों का ख़ून बहाया. जुलानी ने तख्तापलट के बाद सीरिया की खूंखार जेलों से हज़ारों आतंकियों को रिहा किया. जनवरी में जुलानी सीरिया का राष्ट्रपति बने और अब वो दुनिया से हाथ मिलाने की कोशिशों में लगे हैं.
जुलानी और ट्रंप की मुलाकात, जिसके कूटनीतिक मायने बहुत ज्यादा हैं. ट्रंप और जुलानी ने हाथ मिलाया. और फिर दोनों नेताओं ने सऊदी प्रिंस के साथ मीटिंग की. ट्रंप, जुलानी और बिन सलमान की मुलाकात रियाद में हुई. वहीं तुर्की के राष्ट्रपति तैय्यप एर्दोआन मीटिंग में ऑनलाइन जुड़े. इसके बाद ट्रंप ने सीरिया पर लगाए गए सभी बैन हटा लिए.
बताया जा रहा है कि तुर्की और सऊदी अरब की अपील पर ट्रंप ने यह बैन हटाया है. लेकिन इसके साथ ही कुछ बड़े सवाल भी उठ रहे हैं. ट्रंप ने अलकाय़दा के आतंकवादी रहे शख्स से हाथ क्यों मिलाया? ट्रंप ने सीरिया पर लगाया गया बैन क्यों हटाया? क्या ट्रंप जुलानी से हाथ मिलाने से पहले अमेरिका की एंटी टेरर नीति भूल गए?
ट्रंप और जुलानी की मुलाकात पर इतने सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि सीरिया के अंतरिम राष्ट्रपति अहमद अल-शरा उर्फ अबु मोहम्मद अल-जुलानी का बैकग्राउंड आतंकी गतिविधियों में लिप्त रहा है. जुलानी की ऐसी भी तस्वीरें वायरल हुई थीं, जिस पर लिखा था- Stop This Terrorist. जिस पर 10 मिलियन डॉलर का इनाम है. इसका ऐलान US स्टेट डिपार्टमेंट ने 10 मई 2017 को ही किया था.
लेकिन आज न सिर्फ जुलानी की निजी ज़िंदगी बदल गई है. बल्कि सीरिया भी बदला-बदला नज़र आ रहा है. जब से ट्रंप ने सीरिया से सभी तरह के बैन हटाए हैं, वहां लगातार जश्न हो रहा है. हज़ारों लोग सड़कों पर उमड़ पड़े हैं. राजधानी दमिश्क में लोगों ने रात के समय आतिशबाजी कर अपनी खुशी जाहिर की. उम्मैद स्क्वायर पर लोग जश्न मनाते हुए दिखाई दिए. कई लोगों ने खुशी में अपनी कारों के हॉर्न बजाए और नया सीरियाई झंडा लहराया.
दिलचस्प बात ये है कि ट्रंप ने जुलानी से अब्राहम समझौते पर हस्ताक्षर करने और इजराइल को मान्यता देने का भी आग्रह किया. आपको बता दें अब्राहम समझौता इजराइल और कई अरब देशों के बीच रिश्ते सामान्य करने की प्रक्रिया का हिस्सा है. इसके तहत संयुक्त अरब अमीरात, बहरीन, मोरक्को और सूडान के साथ इजराइल के संबंध बेहतर हो चुके हैं. अब ट्रंप सीरिया से इजराइल के संबंध सुधारने पर ज़ोर दे रहे हैं..
वैसे इन दिनों ट्रंप जो कुछ भी कर रहे हैं, वो सिर्फ अपने फायदे के लिए कर रहे हैं. सीरिया से दोस्ती के पीछे आखिर ट्रंप की ऐसी कौन सी मजबूरी है. इसे समझने की कोशिश करते हैं. सभी जानते हैं कि पिछले इतने सालों में गृह युद्ध झेल रहे सीरिया का हालत बेहद खस्ता है. यहां बड़ेे-बड़े शहर खंडहर में बदल चुके हैं. सिविल वॉर के दौरान सिर्फ़ लोगों का ख़ून ही नहीं बहा. बल्कि वहां का पूरा इन्फ्रास्ट्रक्चर भी पूरी तरह से ढह चुका है.
ऐसे में एक्सपर्ट्स दावा करते हैं कि सीरिया को फिर से खड़ा करने में करीब 400 बिलियन डॉलर यानी 34 लाख करोड़ रुपए का खर्च आएगा. और अगर सीरिया में कंस्ट्रक्शन का कॉन्ट्रैक्ट अमेरिका को मिल गया तो अमेरिका की चांदी ही चांदी होगी. जिस तरह ट्रंप ने कहा है कि वो गाजा को फिर से बसाएंगे.. वो सीरिया को भी फिर से बसाने का फैसला कर सकते हैं, जिसमें उनके लिए अपार संभावनाएं हैं.
वहीं ग्लोबल मामलों के जानकार दावा कर रहे हैं इस मुलाकात से पश्चिम एशिया में अमेरिका का प्रभाव बढ़ सकता है. रूस-चीन के मुकाबले सीरिया में अमेरिका का प्रभाव बढ़ेगा. उन्होंने कहा कि सीरिया में अमेरिका के उद्योगों की अपार संभावनाएं दिख रही हैं. अगर सीरिया और अमेरिका में कंस्ट्रक्शन पर कोई बड़ी डील हुई तो दोनों ही देशों में हजारों लोगों को रोज़गार मिलेगा. इसके साथ ही सीरिया की तरफ से पश्चिमी देशों की तरफ जाने वाले शरणार्थियों में कमी आएगी. इसके अलावा हिजबुल्लाह और ईरानी गार्ड्स के खिलाफ भी अमेरिका मजबूत होगा.
लेकिन जो व्यक्ति कभी आतंकी था. आखिर उसने ट्रंप को कैसे मना लिया. ये भी सोचने वाली बात है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि जुलानी ने पहले तो सीरियन डेमोक्रेटिक फोर्स के साथ सीरिया के कई इलाकों को एकजुट किया. और अमेरिका की नजर में बने रहने के लिए हिजबुल्लाह और ईरानी फोर्स से दूरी बनाए रखी. इसके साथ ही अमेरिका को सीरिया के तेल की पेशकश की गई. दमिश्क में ट्रंप टावर बनाने का ऑफर दिया गया. और ये तो सभी जानते हैं कि जहां ट्रंप को अपना फायदा दिखता है, फिर वो किसी से भी हाथ मिलाने में पीछे नहीं हटते. फिर चाहे कोई आतंकी बैकग्राउंड का ही क्यों न हो.
कुल मिलाकर देखा जाए तो ट्रंप को सिर्फ और सिर्फ ट्रेड से मतलब है. पिछले कुछ बयानों और फैसलों में ये साफ नजर आया, वो भी ऐसे देशों के साथ जिनका कनेक्शन आतंकवाद से है. जिनपर आतंकवाद की वजह से सवाल उठ रहे हैं. पाकिस्तान के आतंकी गतिविधि में शामिल होने के बावजूद IMF से फंड दिलाया. सीरिया अमेरिका की आतंकी लिस्ट में था फिर भी उस पर से प्रतिबंध हटाया. और कतर जहां हमास का राजनीतिक दफ्तर है. जो अमेरिकी सुरक्षा चिंताओं को बढ़ाता है. उससे ट्रंप संविधान को नजरअंदाज कर लग्जरी गिफ्ट ले रहे हैं.
सऊदी अरब के बाद ट्रंप कतर पहुंच चुके हैं. यहां उन्हें सबसे महंगा गिफ्ट मिलने वाला है. उन्हें कतर 3400 करोड़ रुपए का आलीशान बोइंग 747 प्लेन गिफ्ट करने वाला है. ट्रंप को मिलने वाला गिफ्ट चर्चा में हैं. ये विमान एक बोइंग 747 जंबो जेट है, जिसे साल 2012 में कतर के पूर्व प्रधानमंत्री और कतर की शाही फैमिली के अमीर सदस्य हमाद बिन जसीम बिन जबेर अल थानी के लिए तैयार किया गया था.
ये विमान अंदर से एक आलीशान महल की तरह सजा हुआ है. इसके बीच चर्चा ये भी है कि अमेरिका में इस गिफ्ट पर ट्रंप की आलोचन हो रही है. अमेरिकी खुफिया एजेंसियों को डर है कि ये विमान ट्रंप की जासूसी के लिए इस्तेमाल हो सकता है.
ट्रंप का फोकस सिर्फ और सिर्फ ट्रेड पर कैसे है ये भी समझिए. अमेरिका और सऊदी अरब के बीच 12.1 लाख करोड़ रुपए की डिफेंस डील हुई. व्हाइट हाउस ने इसे इतिहास की सबसे बड़ी डिफेंस डील बताया है. इस समझौते के तहत सऊदी अरब को C-130 ट्रांसपोर्ट विमान, मिसाइलें, रडार सिस्टम और कई एडवांस हथियार दिए जाएंगे. मतलब ये कि ट्रंप का एकमात्र उदेश्य व्यापार है.
आज सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से मुलाकात के बाद ट्रंप ने भाषण भी दिया. और एक बार फिर उन्होेंने भारत-पाकिस्तान में सीजफायर का क्रेडिट लेने की कोशिश की और आतंकवाद से ज्यादा व्यापारनीति वाले भाव को जताया.
टेरर फैले तो फैलता जाए, ट्रेड पर कभी भी आंच न आए
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि हमने भारत और पाकिस्तान से बात की. दोनों शक्तिशाली परमाणु देश हैं. अगर दोनों में युद्ध हुआ, तो ये भयानक हो सकता था. मैंने अच्छा काम किया, मार्को और जेडी ने अच्छा काम किया. हम एक तरह से एक टीम हैं, और मुझे लगता है उन्हें शांति के लिए मना लिया और उन देशों से कहा कि आओ व्यापार करें.
ट्रंप को टेरर स्वीकार? सीरिया से बैन हटाया..अल-जुलानी से हाथ मिलाया
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