World News: यूक्रेन के ड्रोन हमले और 1967 के इजराइली ‘ऑपरेशन फोकस’ में क्या है कनेक्शन? – INA NEWS

यूक्रेन और रूस के बीच चल रहे युद्ध ने अब एक नया मोड़ ले लिया है. यूक्रेन ने रविवार को रूस को 3 साल के युद्ध में सबसे बड़ा नुकसान पहुंचाया है. यूक्रेन ने रूस के 4 हजार किलोमीटर अंदर एयरबेस पर हमला कर 40 से ज्यादा रूसी बॉम्बर्स एयरक्राफ्ट को तबाह कर दिया. ये हमला कोई आम हमला नहीं था, इसमें जो तरीके और पेटर्न का यूक्रेन ने इस्तेमाल किया है, वो सच में काबिल-ए-तारीफ है.
आज के युद्ध में किसी देश की हवाई हमले की शक्ति को खत्म करना, उसको घुटनों पर लाने जैसा है. लेकिन ऐसा करने की शुरुआत इजराइल ने दश्कों पहले ही कर दी थी और यूक्रेन का ये हमला भी 1967 में किए गए इजराइली ऑपरेशन ‘फोकस’ और 2024 के पेजर ऑपरेशन से मिलता हुआ लगता है.
ऑपरेशन फोकस में तबाह हुए अरब सेना के विमान
5 जून 1967 की सुबह इजराइल ने ऑपरेशन फोकस शुरू किया, एक ऐसा हमला जिसने आधुनिक युद्ध की रणनीति को नए सिरे से लिखा. दो घंटे से भी कम समय में इजराइली एयरफोर्स ने 338 मिस्र के एयरक्राफ्ट्स को नष्ट कर दिया, जिनमें से ज्यादातर रनवे पर खड़े थे और जंग के लिए उड़ान भी नहीं भर पाए थे. दिन के अंत तक, मिस्र, सीरिया, जॉर्डन और इराक से 450 से ज़्यादा अरब विमानों को इजराइल ने तबाह कर दिया.
बदले में इजराइल ने सिर्फ 19 विमान खोए. जिसके बाद इस युद्ध की दिशा अपरिवर्तनीय रूप से बदल गई. 1 जून 2025 को यूक्रेन ने रणनीतिक दुस्साहस दिखाते हुए 3 साल से चले आ रहे इस युद्ध में नया अध्याय लिखा. यूक्रेन के इस हमले का तरीका सैन्य इतिहास के दायरे में ले जा रहा है और अलग होने के बावजूद एकसा दिखा रहा है.
1967 इजराइल अरब युद्ध और 2024 पेजर अटैक से क्या है संबंध?
यूक्रेन का ये हमला कोई आम एयर रेड नहीं थी. यह ऐसा हमला था जिसको एक भी यूक्रेनी विमान ने रूसी हवाई क्षेत्र में प्रवेश किए बिना अंजाम दिया है. यह 1941 के ऑपरेशन बारब्रोसा के बाद से रूसी सैन्य विमानों का एक दिन में किया गया सबसे बड़ा नुकसान है, जब नाजी जर्मनी ने USSR पर अचानक हमला बोल दिया था.
22 जून 1941 को जर्मन लूतफ्वाफे (जर्मन एयर फोर्स) ने कुछ ही घंटों में जमीन पर 1,200 से 2,000 सोवियत विमानों को नष्ट कर दिया. उस दिन के बाद से ये रूस की वायु शक्ति पर सबसे बड़ा हमला है.
हिजबुल्लाह पर पेजर हमले की याद दिलाती स्ट्राइक
यह हिजबुल्लाह पर पिछले साल किए गए इजराइली पेजर और वॉकी-टॉकी अटैक की भी याद दिलाता है. जिसमें सालों की निगरानी और तकनीकी पैठ के बाद, इजराइली खुफिया एजेंसियों ने शेल कंपनियां बनाई, वेबसाइट डिजाइन कीं और गुप्त रूप से हिजबुल्लाह को छूट वाले कम्यूनिकेशन डिवाइस बेचे, ये पेजर और वॉकी-टॉकी असली चीज़ से अलग नहीं थे, लेकिन कागज के पतले विस्फोटकों से लैस थे.
इजराइल ने न सिर्फ हिजबुल्लाह की रसद श्रृंखला में घुसपैठ की थी, बल्कि उसने सीधे दुश्मन के हाथों में किल स्विच भी लगा दिए थे. और एक ही बारी में 17 सितंबर 2024 के हिजबुल्लाह के हजारों लड़ाकों को निशाना बनाते हुए बड़ी रणनीतिक जीत हासिल की. यूक्रेन ने में भी ये हमला ट्रकों में छिपाकर भेजे गए मोबाइल ड्रोन सिस्टम से किया गया, जिसे रिमोट से ऑपरेट किया गया. इसके पीछे भी लंबी और घात लगाकर की गई सटीक साजिश शामिल थी.
BREAKING: +1,000 Pagers carried by Hezbollah operatives have exploded, possibly by an Israeli hack to overheat the lithium batteries within the devices.
Your phone has a BIGGER battery than a pager.
We are ALL carrying potential bombs in our pockets.
WATCH
pic.twitter.com/jjpURuFCkS
— Radar 𝘸 Archie
(@RadarHits) September 17, 2024
1967 का ऑपरेशन फोकस, हिजबुल्लाह के खिलाफ पेजर ऑपरेशन और आज यूक्रेन का ड्रोन हमला दशकों, भूगोल और तकनीक से अलग है. लेकिन तीन चीज़ों में समान हैं- बेहतर खुफिया जानकारी, ऑपरेशनल इनोवेशन और रणनीतिक दुस्साहस.
इतिहास में लिखा जाएगा यूक्रेन का ये हमला
दोनों ही देशों ने दिखाया है कि कैसे एक छोटा, खतरे में पड़ा राष्ट्र एक ऐसे विरोधी को मात दे सकता है और हरा सकता है जो आकार, भूगोल या तकनीकी क्षेत्र में आगे है. यूक्रेन के इस हमले को इतिहास में जगह जरूर मिलनी चाहिए. इसलिए नहीं कि उसने बड़े पैमाने पर रूस को नुकसान पहुंचाया, बल्कि इसलिए कि उसने बड़ी ताकत के आगे दिमाग, घबराहट पर सटीकता और अस्तित्व के खतरे का सामना करने में रचनात्मकता का साहस दिखाया है.
Today is a day that will go down in history and one of the most successful sabotage operations of all time.
At least 2, possibly 3 air bases struck by FPVs simultaneously destroying large numbers of Russian strategic bombers. pic.twitter.com/Q76wyF3HlJ
— Oliver Alexander (@OAlexanderDK) June 1, 2025
इस हमले के बाद जंग क्या मोड़ लेगी ये तो समय बताएगा, लेकिन एक बात तो तय है- यूक्रेन भी इजराइल के साथ उन देशों में शामिल हो गया है, जिन्होंने निर्णायक हमले करने से पहले परिणाम की चिंता नहीं की.
यूक्रेन के ड्रोन हमले और 1967 के इजराइली ‘ऑपरेशन फोकस’ में क्या है कनेक्शन?
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