World News: जापान में बच्चे क्यों कर रहे इतना सुसाइड? 40 साल में सबसे ज्यादा आत्महत्या पिछले साल – INA NEWS
जापान हमेशा ही से दुनिया के उन देशों में शुमार होता रहा है जहां सबसे ज्यादा आत्महत्याएं होती हैं. मगर पिछले बरसों से इस ट्रेंड में एक बदलाव आ रहा था. खासकर, व्यस्क लोगों में इसके मामले घटे थे. लेकिन अब 2024 को लेकर प्रकाशित आंकड़ों से पता चला है कि एलिमेंट्री, मिडिल और हाई-स्कूल के बच्चों में सुसाइड के मामले तेजी से बढ़े हैं. 2024 में 527 बच्चों ने आत्महत्याएं कीं. ये पिछले चालीस साल में सबसे ज्यादा है. 19 साल से भी कम उम्र के बच्चों में सुसाइड के इस बढ़ते चलन के पीछे की वजह करियर को लेकर अनिश्चितता, मेंटल हेल्थ की समस्याएं और पारिवारिक दिक्कतें हैं. आइये जापान के बच्चों में बढ़ रहे सुसाइड के मामलों को थोड़ा विस्तार से समझें.
दरअसल, जापान के वयस्क लोगों में आत्महत्या की दर कई सालों से कम होती जा रही है. लेकिन दुर्भाग्यवश, अब बच्चे इस ओर बढ़ रहे हैं. जापानी बच्चों में आत्महत्या की दर पहले से कहीं ज़्यादा दर्ज की गई है. लिहाजा, अधिकारियों को इसके हल खोजने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है. पिछले साल जापान में आत्महत्या करने वालों की कुल संख्या 22 हजार 680 थी. इनमें 13 हजार 763 पुरुष जबकि 6 हजार 505 महिलाएँ शामिल थीं. पिछले साल की तुलना में इस बरस जापान में वैसे तो आत्महत्या के मामलों में 1 हजार 569 लोगों की कमी आई है. साथ ही, 1978 – जब से जापान ने आत्महत्या के मामलों को दर्ज करना शुरू किया था, तब से ये दूसरा ऐसा साल है जब इतनी कम सुसाइड हुए.
किस क्लास के कितने बच्चे?
पर चिंता की बात दूसरी जगह है. आत्महत्या करने वाले प्राथमिक, मध्य और उच्च विद्यालय के बच्चों की संख्या पिछले साल यानी 2024 में 527 के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुँच गई. पिछले साल यानी 2023 की तुलना में इसमें 14 की बढ़ोतरी दर्ज हुई. 2024 में बच्चों में हुए सुसाइड के मामले 1980 के बाद से सबसे अधिक हैं. 15 प्राथमिक विद्यालय के, 163 मध्य विद्यालय के तो 349 उच्च विद्यालय के बच्चों ने आत्महत्याएं की हैं.19 साल से भी कम उम्र के इन बच्चों में आत्महत्या की सबसे बड़ी वजहों में स्कूल की समस्याएँ और जीवन को लेकर अनिश्चितता, मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी दिक्कतें और पारिवारिक समस्याएँ शामिल हैं. इस कहानी के और भी कुछ सिरे हैं.
बच्चों की शिकायतें कैसी?
बच्चों के लिए जापान में ऐसे संदेश बोर्ड भी लगाए जाते हैं, जहां वे अपना नाम उजागर किए बगैर अपनी दुःख-तकलीफ बयान कर सकते हैं. इन जगहों पर हर महीने 5 हजार गुमनामी भरे पोस्ट आते हैं. ज़्यादातर पोस्ट करने वालों का कहना है कि वे अपने माता-पिता की नाराजगी से जूझ रहे हैं. साथ ही, अपने अभिभावकों के दुनिया को देखने का नजरिया भी बच्चों को रास नहीं आ रहा. वहीं, कुछ बच्चे इस समझ के हैं भी कि उनके माता-पिता जेंडर या फिर मानसिक बीमारी के साथ उनके संघर्ष को नहीं समझते हैं. जापान के कुछ बच्चे तो हेल्पलाइन या स्थानीय परामर्श केंद्र पर कॉल करते हैं, लेकिन कुछ अपने मुद्दों के बारे में बड़ों से बात नहीं करना चाहते. यही समस्या की मूल वजह बन जाता है.
जापान में बच्चे क्यों कर रहे इतना सुसाइड? 40 साल में सबसे ज्यादा आत्महत्या पिछले साल
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