World News: जिन मुसलमानों की सरेआम पाकिस्तान में ली जाती है जान, उनके लिए शहबाज शरीफ ने क्यों खोल दिए बॉर्डर? – INA NEWS

पाकिस्तान में शिया मुसलमानों को लेकर हमेशा से दोहरा रवैया देखने को मिलता है. एक ओर देश के भीतर शिया समुदाय को बार-बार आतंकी हमलों का शिकार बनाया जाता है, तो दूसरी ओर जब बात अंतरराष्ट्रीय मंच पर मुस्लिम एकता दिखाने की आती है, तो पाकिस्तान की सरकार उनके लिए दरवाजे खोल देती है. शहबाज शरीफ सरकार ने हाल ही में ईरान के साथ एक ऐसा ही फैसला लिया है, जिसने इस दोहरे मापदंड को और उजागर कर दिया है. सवाल यह है कि जिन मुसलमानों की जान पाकिस्तान में महफूज नहीं, उनके लिए बॉर्डर खोलने की आखिर मंशा क्या है?
पाकिस्तान और ईरान की साझा बैठक में यह फैसला लिया गया है कि मुहर्रम और अरबईन के मौके पर पाकिस्तान-ईरान बॉर्डर 24 घंटे खुला रहेगा. यह फैसला पाकिस्तान के गृह मंत्रालय ने आधिकारिक तौर पर घोषित किया है. इसका मकसद पाकिस्तान से ईरान और फिर वहां से इराक जाने वाले शिया श्रद्धालुओं को सुगम यात्रा की सुविधा देना बताया गया है. ईरान सरकार ने भी अपने स्तर पर पाकिस्तान से जाने वाले 5,000 श्रद्धालुओं के लिए मशहद में ठहरने और खाने-पीने की व्यवस्था करने का आश्वासन दिया है.
पाक में हर बार शिया ही बनते शिकार
यहां यह समझना जरूरी है कि ये वही शिया मुसलमान हैं, जिन्हें पाकिस्तान के अंदर ही बार-बार आतंकवाद का शिकार बनाया जाता है. बलूचिस्तान, कराची और खैबर पख्तूनख्वा जैसे इलाकों में शिया समुदाय की धार्मिक सभाओं पर हमले आम बात हो चुकी है. पाकिस्तान में लश्कर-ए-झांगवी जैसे सुन्नी कट्टरपंथी गुटों ने कई बार शियाओं को ‘काफिर’ घोषित कर खुलेआम हिंसा की है. बावजूद इसके, सरकार इन घटनाओं को रोकने में अक्सर नाकाम रही है.
ये फैसला नहीं शहबाज की चाल है
इस पृष्ठभूमि में जब पाकिस्तान सरकार श्रद्धालुओं की सुविधा के नाम पर बॉर्डर खोलने और विदेशी मेजबानी की बात करती है, तो यह सवाल उठता है कि क्या यह केवल मुस्लिम देशों के साथ अच्छे संबंधों की रणनीति है या फिर घरेलू विफलताओं पर पर्दा डालने की कोशिश? शहबाज शरीफ सरकार के इस फैसले को कई विश्लेषक ईरान से रिश्तों को मजबूत करने और अमेरिका के दबाव से निकलने की एक चाल के रूप में देख रहे हैं. साथ ही यह भी माना जा रहा है कि यह कदम शिया समुदाय को संतुष्ट करने की कोशिश है, ताकि देश में शांति बनी रहे.
इस यात्रा में ईरान की कितनी भूमिका
ईरान सरकार का यह सहयोग भी खास है क्योंकि वह पाकिस्तान से आए जायरीनों को सीधे इराक के पवित्र शहरों तक पहुंचाने के लिए विशेष इंतजाम कर रही है. मशहद से इराक तक श्रद्धालुओं के लिए खास रूट बनाए जा रहे हैं. इस पूरी व्यवस्था में पाकिस्तान की इमेज को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजबूत करने का प्रयास किया जा रहा है, लेकिन यह भी छुपा नहीं रह गया कि जिस सरकार ने अपने ही देश में शियाओं की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं की, वह सीमापार उन्हें कैसे सुरक्षित रखेगी?
सहानुभूति या सिर्फ राजनीतिक दिखावा?
इस फैसले ने पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों, विशेषकर शिया समुदाय के बीच कई तरह की चर्चाएं हो रही हैं. कुछ इसे एक सकारात्मक पहल बता रहे हैं, तो कुछ इसे सरकारी दिखावा मानते हैं. सवाल यह नहीं है कि श्रद्धालुओं को सुविधा क्यों दी गई, सवाल यह है कि जिनकी हिफाजत सरकार अपने घर में नहीं कर पा रही, उनके लिए विदेशी दरवाजे खोलना असली सहानुभूति है या सिर्फ राजनीतिक दिखावा?
जिन मुसलमानों की सरेआम पाकिस्तान में ली जाती है जान, उनके लिए शहबाज शरीफ ने क्यों खोल दिए बॉर्डर?
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