World News: 8 महीने पुराना समझौता मानने को क्यों मजबूर हुए इजराइल के पीएम नेतन्याहू! क्या ये हमास की जीत? – INA NEWS
पिछले 15 महीने से चले आ रहे गाजा युद्ध के रुकने का ऐलान किसी भी वक्त हो सकता है. मंगलवार को कतर के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माजिद अल अंसारी ने कहा कि इजराइल और हमास के बीच गाजा युद्ध विराम वार्ता समझौते के सबसे करीब है और समझौते का फाइनल ड्राफ्ट दोनों पक्षों को दे दिया गया है. पिछली एक साल में मध्यस्थ दोहा और काहिरा में कई बार मिले, लेकिन समझौते को आखिरी स्वरूप नहीं दिया जा सका.
इजराइल के चैनल 12 ने सोमवार को बताया था कि समझौते को यरुशलम व्यापक रूप से स्वीकार्य मान रहा है. एसोसिएटेड प्रेस ने मंगलवार को जानकारी दी कि हमास ने भी इस समझौते को स्वीकार कर लिया है. हमास के बयान में कहा गया कि चल रही वार्ता अपने आखिरी दौर में है और उन्होंने दूसरे फिलिस्तीनी गुटों को इस बारे में सूचित किया है. 28 दिसंबर से चल रही बंधक और युद्ध विराम बातचीत का आधार जुलाई में जो बाइडेन की ओर से पेश किया गया वही समझौता है, जिसे पहले इजराइली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू अस्वीकार कर चुके हैं.
Advisor to Prime Minister and Foreign Affairs Spokesperson Dr. @majedalansari: Gaza Ceasefire Talks on Home Stretch
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— Ministry of Foreign Affairs – Qatar (@MofaQatar_EN) January 14, 2025
अब डील मानने को क्यों तैयार हुए नेतन्याहू?
जुलाई में आए जो बाइडेन वाले प्रस्ताव को हमास ने उसी रूप में स्वीकार कर लिया था, लेकिन फिर बाद में इजराइल द्वारा उत्तरी गाजा और फिलाडेल्फिया कॉरिडोर में अपनी सेना रखने की शर्त ने इस डील को होते-होते रोक दिया.
गाजा में लगातार भीषण बमबारी के बाद भी बंधकों की वापसी न होने के बाद इजराइली सड़कों पर विरोध प्रदर्शन बढ़ गए. इन प्रदर्शनों में तब तेजी और आई, जब सेना के एक अधिकारी ने ये बयान दिया कि गाजा में इजराइल सेना मिलिट्री मिशन के सभी बिंदु हासिल कर चुकी है, इसके बाद बंधकों की रिहाई सिर्फ वार्ता से ही हो सकती है.
इजराइल मीडिया के मुताबिक इजराइली कोर्ट ने कई नेतन्याहू प्रशासन के अधिकारियों पर बंधक डील को खत्म करने के लिए मुकदमा चलाया है. दूसरी ओर अमेरिकी चुनाव में डेमोक्रेट्स के हार ने बाइडेन प्रशासन को ये संदेश दिया कि सेंटर लेफ्ट और लेफ्ट वोटर्स भी गाजा युद्ध में उनके रुख को लेकर खुश नहीं है.
बच सकती थी 120 इजराइली सैनिकों की जान
अगर इस समझौते को नेतन्याहू 8 महीने पहले मान लेते, तो तब से गाजा में हुई 120 इजराइली सैनिकों और लगभग 35 हजार फिलिस्तीनी नागरिकों की मौत नहीं होती. इजराइल सेना ने वार्ता के बीच भी गाजा में भीषण बमबारी की है. फिलिस्तीनी स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि पिछले 24 घंटों में गाजा में इजराइली हमलों में 63 लोग मारे गए और 281 घायल हुए हैं.
हमास की शर्तों पर समझौता
हमास शुरू से ही कहता आया है कि सीजफायर का आधार गाजा से इजराइली सेना की वापसी और स्थाई युद्धविराम होना चाहिए. मंगलवार को डील का फाइनल ड्राफ्ट भी इन्हीं मुद्दों पर तैयार हुआ, जिसमें इजराइल धीरे-धीरे गाजा से अपनी सेना बुलाएगा और पहले चरण के बाद स्थाई युद्ध विराम पर वार्ता शुरू की जाएगी.
इसके अलावा इजराइल अपने बंधकों के बदले हजारों फिलिस्तीनी कैदियों को भी रिहा करेगा. इजराइल के दक्षिणपंथी नेता और संगठन इस समझौता का विरोध कर रहे हैं और नेतन्याहू को सरकार गिराने की धमकी दे रहे हैं. अब देखना होगा कि अगर सीजफायर का ऐलान होता है, तो क्या नेतन्याहू अपनी कुर्सी बचा पाएंगे…
8 महीने पुराना समझौता मानने को क्यों मजबूर हुए इजराइल के पीएम नेतन्याहू! क्या ये हमास की जीत?
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