दुनियां – रूस, ईरान, तुर्किए और विद्रोही गुट… सीरिया में गृह युद्ध 2.0 के कितने किरदार? – #INA

सीरिया एक बार फिर गृह युद्ध की आग में जल रहा है. इसमें बशर अल-असद की सरकार की नेशनल डिफेंस फोर्स और प्रमुख विद्रोही गुट HTS के अलावा भी कई किरदार हैं. रूस और ईरान जहां बशर सरकार को बचाने के लिए प्रमुख सहयोगी के तौर पर काम कर रहे हैं तो वहीं तुर्किए पर आरोप हैं कि उसने सुन्नी विद्रोही गुटों को ट्रेनिंग और हथियार मुहैया कराया है.
इसके अलावा कुर्दिश लड़ाके और छोटे-छोटे विद्रोही गुट भी मौजूद हैं जो बशर सरकार के अलावा एक-दूसरे के खिलाफ भी लड़ाई लड़ रहे हैं. इसमें कुर्दिश लड़ाकों की सीरिया डेमोक्रेटिक फोर्स को अमेरिका का समर्थन प्राप्त रहा है तो वहीं तुर्किए समर्थित सीरियाई नेशनलिस्ट आर्मी भी इस जंग का एक अहम किरदार है.
चलिए एक-एक कर इन किरदारों के बारे में जानते हैं कि इस जंग में इनकी क्या भूमिका है?
पहला किरदार: बशर अल-असद सरकार
सीरिया में साल 2000 से बशर अल-असद सत्ता में हैं, इससे पहले उनके पिता हाफिज़ अल-असद ने कई दशकों तक सीरिया पर शासन किया. 2011 में अरब क्रांति से प्रेरित होकर सीरिया के दक्षिणी शहर दाराआ में लोकतंत्र समर्थकों ने आंदोलन की शुरुआत की. असद सरकार ने इन विरोध-प्रदर्शनों को कुचलने के लिए दमनकारी नीतियां अपनाईं. सरकार के इस रवैये से देशव्यापी आंदोलन की शुरुआत हुई, जो धीरे-धीरे गृह युद्ध में तब्दील हो गया. बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार सीरिया में 2011 से जारी गृह युद्ध में करीब 5 लाख लोगों की मौत हो चुकी है.
दूसरा किरदार: असद सरकार का सहयोगी रूस
रूस और ईरान, सीरिया में बशर सरकार के प्रमुख सहयोगी हैं. 2011 के आंदोलन के बाद शुरू हुए गृह युद्ध में ईरान और रूस की सेना ने हथियारबंद विद्रोहियों से लड़ने में बशर सरकार और सीरिया की नेशनल डिफेंस फोर्स की मदद की थी. 2016 में रूस ने सीरिया के अलेप्पो शहर पर जमकर बमबारी की थी, जिसकी बदौलत सीरियाई सेना ने 8 साल पहले इस शहर पर दोबारा कब्जा हासिल किया था.
8 साल बाद अलेप्पो पर विद्रोही गुटों का कब्जा. (Karam Almasri/NurPhoto via Getty Images)
इससे पहले सीरिया का यह दूसरा सबसे बड़ा शहर विद्रोही गुटों का गढ़ हुआ करता था. 26 नवंबर को अचानक हुए विद्रोहियों के हमले के बाद असद सरकार ने एक बार फिर रूस से सैन्य मदद मांगी, जिसके बाद 8 साल बाद रूसी सेना ने एक बार फिर अलेप्पो शहर पर बम बरसाए. असद सरकार का कहना है कि रूसी सेना विद्रोही गुटों के ठिकानों पर बमबारी कर रही है, लेकिन इन हमलों में कई नागरिकों के मारे जाने की भी खबर है.
तीसरा किरदार: शिया बहुल आबादी वाला ईरान
ईरान एक शिया बहुल मुल्क है, जो सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल-असद के प्रमुख सहयोगियों में से एक है. बशर अल-असद शिया समुदाय से आते हैं लिहाजा इस क्षेत्र में उन्हें ईरान का पूरा समर्थन मिलता है. विद्रोही गुटों के हमलों के बीच ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची रविवार को सीरिया की राजधानी दमिश्क पहुंचे, जहां उन्होंने राष्ट्रपति बशर अल-असद से मुलाक़ात कर ईरान के मजबूत समर्थन का वादा किया.
सीरिया के बाद अराघची तुर्किए की राजधानी अंकारा पहुंच चुके हैं, यहां उन्होंने तुर्किए के विदेश मंत्री से मुलाकात की है. दरअसल आरोप हैं कि तुर्किए सीरिया में मौजूद कुछ सुन्नी विद्रोही गुटों का समर्थन करता है. लिहाजा ईरान इस मसले को कूटनीतिक तरीके से भी सुलझाने के प्रयास में जुट गया है.
उधर ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियान ने सीरिया के पड़ोसी इराक के प्रधानमंत्री मोहम्मद शिया से रविवार को फोन पर बात की और सीरिया में विद्रोहियों के हमले को आतंकी कार्रवाई बताते हुए कहा है कि ईरान इसके खिलाफ हर तरह से सहयोग को तैयार है.
चौथा किरदार: विद्रोही गुट हयात तहरीर अल-शाम (HTS)
सीरिया में विद्रोही गुटों ने पिछले हफ्ते अचानक असद सरकार के खिलाफ बड़ा हमला शुरू कर दिया. महज़ 4 दिनों में ही विद्रोही गुट हयात तहरीर अल-शाम ने देश के दूसरे सबसे बड़े शहर अलेप्पो के बड़े हिस्से पर कब्जा हासिल कर लिया.
सीरिया में मौजूद इस्लामिक चरमपंथी समूह हयात तहरीर अल-शाम (HTS) लंबे समय से सीरियाई संघर्ष में शामिल है. इसे राष्ट्रपति बशर अल-असद के खिलाफ लड़ रहे सबसे मजबूत गुटों में से एक माना जाता है. इसकी स्थापना 2011 में गृह युद्ध की शुरुआत के दौरान की गई थी, तब इसका नाम ‘जबात अल-नुसरा’ था. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह समूह सीधे तौर पर अल कायदा का सहयोगी था. यही नहीं इसकी स्थापना में ISIS के आतंकी अबू बक्र अल-बगदादी ने भी अहम भूमिका निभाई.
साल 2016 में इस संगठन के लीडर अबू मोहम्मद अल-जवलानी ने अल कायदा से नाता तोड़कर ‘जबात अल-नुसरा’ को भंग कर दिया और एक नया संगठन बनाया. करीब एक साल बाद इस संगठन में कई अन्य समान विचारधारा वाले गुटों का विलय हुआ और इसका नाम ‘हयात तहरीर अल-शाम’ पड़ा.
पांचवां किरदार: तुर्किए और समर्थित विद्रोही गुट
सीरिया में गृह युद्ध की आग दोबारा भड़क चुकी है, इसके पीछे तुर्किए को मास्टरमाइंड बताया जा रहा है. दरअसल सीरियाई सरकार के दो मजबूत सहयोगी इस वक्त खुद उलझे हुए हैं. रूस जहां 33 महीने से यूक्रेन के खिलाफ जंग लड़ रहा है तो वहीं ईरान और उसके प्रॉक्सी गुट इजराइल के खिलाफ करीब एक साल से जारी संघर्ष से कमजोर हो चुके हैं. ऐसे में तुर्किए जो नॉर्दर्न सीरिया में मौजूद सीरियाई नेशनलिस्ट आर्मी को समर्थन देता रहा है, उसके पास असद सरकार का तख्तापलट करने का यह सबसे मुफीद समय है.
अटलांटिक काउंसिल के रिसर्चर ओमेर ओजकिजिलिक ने दावा किया है कि सीरिया के अलेप्पो शहर पर हमले के लिए विद्रोही गुट HTS को तुर्किए से समर्थन मिला है. उन्होंने कहा कि ये हमला 7 हफ्ते पहले होना था लेकिन तब तुर्किए ने पहले सीरिया की असद सरकार के साथ संबंधों को सामान्य करने की कोशिश की, जो नाकाम रही और फिर एर्दोआन सरकार ने इस हमले के लिए अपनी मंजूरी दे दी.
एक्सपर्ट्स के मुताबिक सीरिया में असद सरकार के खिलाफ विद्रोहियों को समर्थन देने के पीछे तुर्किए के बड़े हित छिपे हैं. शिया-सुन्नी विवाद से हटकर देखा जाए तो एर्दोआन के देश में करीब 32 लाख सीरियाई शरणार्थी रहते हैं, जो तुर्किए के लिए एक बड़ा संकट है. रिसर्चर ओमेर का कहना है कि तुर्किए चाहता है कि सीरियाई शरणार्थियों की वापसी के साथ-साथ उसकी सीमा सुरक्षित हो. लिहाज़ा तुर्किए विद्रोही गुटों को समर्थन कर असर सरकार पर इन शरणार्थियों की सीरिया वापसी को लेकर समझौते के लिए दबाव बनाना चाहता है.

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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम

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