दुनियां – फ्रांस में बार्नियर सरकार पर खतरा, अविश्वास प्रस्ताव पास हुआ तो पीएम को छोड़ना होगा पद – #INA
फ्रांस की बार्नियर सरकार पर खतरा मंडरा रहा है. संसदीय अनुमोदन के बिना बजट उपाय करने की वजह से विपक्ष ने सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया है. यदि यह प्रस्ताव पास हो जाता है तो बार्नियर सरकार गिर जाएगी और उन्हें पीएम पद छोड़ना होगा. यदि ऐसा हुआ तो फ्रांस में पिछले 60 साल के इतिहास में ऐसा पहली बार होगा जब किसी सरकार को इस तरह से हटाया जाएगा.
फ्रांस में वामंपथी और दक्षिणपंथी सांसदों ने सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया है. कुछ ही देर में नेशनल असेंबली में इसके लिए मतदान होना है. यहां 574 सांसद हैं, वोटिंग में अविश्वास प्रस्ताव को पास कराने के लिए 288 वोटों की जरूरत है. ऐसा माना जा रहा है कि विपक्ष के पास सरकार को गिराने के लिए पर्याप्त वोट हैं. ऐसे में सरकार के सामने इससे बचने के विकल्प बेहद कम नजर आ रहे हैं.
क्या मैक्रों की कुर्सी को भी है खतरा?
माइकल बार्नियर सरकार पर खतरा बढ़ने से राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की मुश्किलें बढ़ गई हैं. वह सऊदी अरब की राजकीय यात्रा से लौटने वाले हैं. ऐसा माना जा रहा है कि फ्रांस में हाल ही में चुनी गई सरकार को गिराकर विपक्ष मैक्रों को निशाना बनाना चाहता है. मैंक्रो का कार्यकाल 2027 तक है, हालांकि मैंक्रो इसे महज हवाबाजी मान रहे हैं. फ्रांसीसी मीडिया में मैक्रों के हवाले से कहा गया है कि मैं यहां इसलिए हूं क्योंकि मुझे फ्रांस के लोगों ने दो बार चुना है. हमारी अर्थव्यवस्था मजबूत है.
पीएम की कुर्सी गई तो मैक्रों के पास कम विकल्प
फ्रांस में तीन माह पहले ही चुनाव हुए थे. ऐसे में एक साल तक चुनाव नहीं कराए जा सकते. अगर बार्नियर सरकार गिरती है तो राष्ट्रपति के पास उनके स्थान पर किसी और को नियुक्त करने के लिए बेहद कम विकल्प होंगे. ऐसे में माना जा रहा है कि मैक्रों बार्नियर को कार्यवाहक पीएम की भूमिका में बने रहने के लिए कह सकते हैं, क्योंकि नया पीएम तो चुनाव के बाद ही चुना जा सकता है, जिसे फ्रांस के संविधान के मुताबिक फिलहाल नहीं कराया जा सकता.
बार्नियर बोले- सब सांसदों पर निर्भर
फ्रांस के पीएम माइकल बार्नियर ने अपनी सरकार के बचने के बारे में कहा है कि मैं चाहता हूं कि ऐसा हो, लेकिन सब सांसदों पर निर्भर है. अलजजीरा की एक रिपोर्ट के मुताबिक फ्रांस में यह राजनीतिक उथल पुथल का संबंध मैक्रों के उस निर्णय से है, जिसमें फ्रांस में समय पूर्व चुनाव कराने का फैसला लिया गया था. मैक्रों ने इसके पीछे दक्षिणपंथी उभार को रोकना अपना मकसद बताया था. हालांकि चुनाव में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिल सका था.
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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम
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