दुनियां – ब्रिटेन में दिन के वक्त बर्गर, म्युसली, ग्रैनुला के विज्ञापन दिखाने पर क्यों लगा बैन? जानिए वजहें – #INA
पिछले दिनों ऑस्ट्रेलिया ने सोशल मीडिया बैन किया. ये बैन सभी के लिए नहीं था. केवल 16 साल तक के बच्चों के लिए था. अब पश्चिमी देश ब्रिटेन एक अलग तरह के प्रतिबंध की तरफ बढ़ा है. ब्रिटेन की सरकार टीवी चैनलों पर दिन में दिखाए जाने वाले कुछ चीजों के विज्ञापन पर प्रतिबंध लगा रही है.
सरकार ग्रैनुला, मफिन्स, म्यूसली और बर्गर जैसे खाने-पीने की चीजों को जंक फूड मानते हुए इनके विज्ञापनों को दिन में टीवी पर न दिखाने की तरफ बढ़ चुकी है. सरकार ऐसा बच्चों में बढ़ रहे मोटापे को कम करने के वास्ते कर रही है. आइये समझें ब्रिटेन के सरकार की पूरी योजना है क्या और क्यों उसे इस तरफ बढ़ना पड़ा.
सरकार की पूरी योजना है क्या?
नई व्यवस्था लागू होते ही खाने पीने की इन चीजों से जुड़े विज्ञापन केवल रात 9 बजे के बाद ही दिखलाए जा सकेंगे. फैसला अभी फौरी तौर पर लागू नहीं होगा. अगले साल अक्टूबर के महीने से इसे अमल में लाया जाएगा. सरकार का अनुमान है कि नए प्रतिबंधों से सालाना तौर पर करीब 20 हजार बच्चों को मोटापे की समस्या से बचाया जा सकता है.
सरकार, फैट, सुगर वाले कई दूसरे पैकेट बंद मशहूर खाने पीनी की चीजों के विज्ञापन पर रोक लगा रही है. ब्रिटेन में इनका ज्यादातर इस्तेमाल नाश्ते के तौर पर होता है. हालांकि, यहीं ये भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि सेहत के लिए अच्छी मानी जाने वाली ओट्स, बिना चीनी वाली दही पर ये प्रतिबंध लागू नहीं होगा.
ब्रिटेन को क्यों लेना पड़ा ये फैसला?
ब्रिटेन के नेशनल हेल्थ सर्विस के मुताबिक, देश के बच्चों में मोटापा बड़े पैमाने पर बढ़ रहा है. ब्रिटेन में चार साल की उम्र वाला हर दसवां बच्चा मोटापे की समस्या से जूझ रहा है. इसी तरह, पांच बरस की उम्र वाले हर पांचवे बच्चे को दांत में सड़न की दिक्कत हो रही. दांत सड़ने की ये दिक्कत चीनी के ज्यादा सामान खाने से हो रही है.
मोटापा बच्चों की शुरुआती जीवन को तो तबाह करता ही है. वे बाद में ताउम्र इसके असर से जूझते रहते हैं. इससे ब्रिटेन के स्वास्थ्य महकमे पर भी बड़ा खर्च पड़ता है. सरकार की कोशिश है कि बच्चों को टारगेट कर दिखलाई जाने वाले इन जंक फूड के विज्ञापनों पर रोक लगे. ताकि इन प्रोडक्ट्स को लेकर उनमें बढ़ रही चाहत को कम किया जा सके.
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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम
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